बदलते समय के साथ आज नारी ने समाज के हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है। महाराष्ट्र के जलगांव में जन्मीं टीवी कलाकार संगीता कपूरे भी एक ऐसीमहिला हैं जिन्होंने तेलगू, तमिल और मराठी फिल्मों में अभिनय करने के साथ-साथ प्रतिदिन टीवी पर प्रसारित होने वाले कई महत्वपूर्ण धारावाहिकों में नेगेटिव रोल निभाकर अपनी एक विशेष पहचान बनाई है।बालाजी टेलीफिल्म्स द्वारा निर्मित प्रसिद्ध सीरियल ‘क्लश’ में मुख्य पात्र देविका की चाची का किरदार निभा रही संगीता कपूरे समाज की हर लडक़ी को लक्ष्मी का रूप मानती हैं। उनका मानना है कि मनुष्य केजीवन में उसकी स्वाभाविकता और स्वभाव महत्वपूर्ण स्थान रखता है। धारावाहिक ‘क्लश’ के सैट पर उनसे फिल्म, सीरियल और जीवन से जुड़ी अनेक विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई। प्रस्तुत है उस बातचीतके विशेष अंश :
आपका विशेष रूप से किस कला से लगाव है?
मैं मुख्य रूप से क्लासिकल डांसर हूं। कत्थक मेरा बेस है।
फिल्म जगत में अब तक कितने वर्षों का सफर तय कर चुकी हैं?
मायानगरी में प्रवेश किए मुझे लगभग 16 वर्ष का समय गुजर चुका है। प्रारंभिक दौर में मैंने तेलगू, तमिल और मराठी फिल्मों में अभिनय किया, वहीं पिछले 10 वर्षों से मैं टीवी सीरियलों में काम कर रही हूं।
अब तक आपने सीरियलों में किस तरह के रोल ज्यादा किए हैं?
मैंने अधिकांश सीरियलों में नेगेटिव रोल अदा किए हैं।
इसकी कोई खास वजह?
ये निर्देशक और लेखक पर निर्भर करता है कि वे किस कलाकार को अपनी कहानी के अनुसार कौन सा रोल देते हैं। मेरे लिए ये बात मायने रखती है कि मुझे जो रोल दिया गया है मैं उसे पूरी ईमानदारी से निभासकूं।
धारावाहिकों में अभिनय करते-करते कहीं डांस का मुख्य शौक दब तो नहीं गया?
जी नहीं, मुझे जब-जब मौका मिला मैंने धारावाहिकों में अपनी इस कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। निर्देशक और लेखक ने भी मेरी इस प्रतिभा का सम्मान करते हुए मेरे रोल को उसी हिसाब से परिवर्तित कियाहै।
नैगेटिव रोल निभाने के लिए किन-किन अभिनेत्रियों को अपना आदर्श माना?
मैंने नैगेटिव रोल निभाने के लिए कभी किसी कलाकार की नकल नहीं की। हैलेन, शशिकला, अर्चना पूर्ण सिंह व अन्य महिला कलाकारों द्वारा जो नैगेटिव रोल अदा किए गए हैं, उनसे बहुत कुछ सीखने को अवश्यमिला।
जो लड़कियां माया नगरी में आना चाहती हैं, उनके लिए कोई संदेश?
मायानगरी में कोई भी कुर्सी या जगह किसी के लिए स्थायी नहीं होती। आज जिस कुर्सी और जगह पर मैं हूं, कल वहां हमारे से पहले कोई और था, और आने वाले कल में कोई और होगा। अगर आपको लगता है किआप में योग्यता और आत्मविश्वास है तो अपने सपनों को अवश्य पूरा कीजिए।
इस फील्ड में पैरेंट्स लड़कियों को भेजने से क्यों घबराते हैं?
फिल्म और टीवी नगरी आजादी वाली लाइफ है। यहां सब कुछ खुला है। हर कलाकार को रोज ऐसे सैंकड़ों लोगों से काम करने, 12 से 16 घंटे एक साथ बिताने का मौका मिलता है, जो शायद जिंदगी में उन्हें दोबाराफिर कभी न मिले। कुछ लोग अपने अच्छे-बुरे परिणामों के आधार पर इस फील्ड के प्रति अपनी राय कायम कर लेते हैं, जबकि वास्तविकता में ये इंडस्ट्री बहुत छोटी है, पर लोगों के सामने बहुत बड़ी है। इंडस्ट्री मेंलड़कियों के लिए कोई बुराई नहीं है।
टीवी सीरियल के अलावा फिल्मों में भी काम कर रही हैं?
जी हां, जल्द ही दो मराठी फिल्मों में अभिनय करने जा रही हूं।