आज दिनांक 17.02.2013 को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के व्यहवार संबंधी जागरूकता कार्यशाला का समापन किया गया। देश प्रदेश में महिला एवं युवाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से श्री ज्ञान गंगोत्री विकास संस्था पंजी. एन.जी.ओ. एवं एन.एच.पी.सी. के संयुक्त तत्वाधान में युवाओं एवं महिलाओं को शिक्षित करने के उद्देश्य से 15 दिवसीय जागरूकता कार्यशाला का आयोजन भोजपुरी धर्मशाला में किया गया। इस दौरान प्रदर्शनी, विचार गोष्ठी और युवाओं एवं शिक्षकों को इस कार्यशाला के माध्यम से जन-चेतना एवं जन-जागरण का कार्यक्रम चलाया गया। 15 दिनों तक चले इस कार्यक्रम का आज समापन किया गया।
श्री ज्ञान गंगोत्री विकास संस्था के इस समापन कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. के. पी. सिंह ने समापन अवसर पर कहा कि छात्रों को जागरूक करने से पहले आवश्यक है कि गैर सरकारी संगठन एवं सरकार उनके माता-पिता को जागरूक करे। देश में जिस तरह से आज जनसंख्या बढ रही है इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक है कि छात्रों के साथ-साथ अभिभावकों को भी जागरूक करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि छात्र ही इस देश का भविष्य है। लेकिन हमारा भविष्य स्कूलों में न होकर पार्कों व सड़कों गली मौहलो में शिक्षा से वंचित घूम रहा है भले ही सरकार ने शिक्षा का अधिनियम लागू कर दिया है परन्तु वे शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं है इसलिए शिक्षा से वंचित है।
कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथि प्रो. हन्सराज सुमन ने कहा कि स्कूलों में बच्चों के भविष्य के साथ मिडडे मिल जैसी वस्तु देकर खिलवाड़ किया जा रहा है जिन बच्चों के हाथों में किताबें होनी चाहिए थी उन बच्चों के हाथों में सरकार मिडडे मिल जैसी वस्तु देकर सरकार अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ रहे है। आज हजारों विद्यालय बिना शिक्षकों के चल रहे है शिक्षकों की संख्या कम होने पर बच्चों की शिक्षा कौन प्रदान करेगा। गांव में तो एक या दो शिक्षकों के सहारे विद्यालय चलाये जा रहे है। वहां न तो समय पर स्कूल खुलते है और न बन्द होते है प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को शिक्षा न देकर केवल खाना पूर्ति की जा रही है।
संस्था के प्रयास को देखते हुए सलेश कुमार ने कहा कि वर्तमान समय में सरकार अपने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए लोगों की सहभागिता की तरफ अपना ध्यान केन्द्रीत कर रही है और ऐसी हालातों में स्वयंसेवी संस्था एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा सरकार की नीतियों में लोगों की सहभागिता बहुत ज्यादा बढ सकती है। ऐसे में सरकार को गैर सरकारी संस्थाओं को साथ लेकर चलना चाहिए।
संस्था के महासचिव भाई बी.के. सिंह ने बताया कि प्राथमिक शिक्षक जब तक अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझेंगे तब तक लडकियों की शिक्षा अधूरी रह जायेगी खासतौर पर जहां लडकियों की उच्चमाध्यमिक शिक्षा समाजिक बुराईयों के चलते प्रभावित हो रही है। शिक्षक और अभिभावकों के बीच अच्छा तालमेल ही लड़कियों की उच्चमाध्यमिक शिक्षा को हकीकत बना सकता है। इस कार्यक्रम में उपस्थित अन्य गण्यमान शिक्षक एवं समाजसेवी ने अपने विचारों को व्यक्त किया और संस्था के प्रयास को सफल बताया।