गुड़गाँव मे “तथास्तु-भवः” संस्था द्वारा “संत, संस्कृति एवं संस्कार” नामक युग परिवर्तन मुहिम का प्रथम बीजा रोपण हुआ | युवा संत मुनि जयंतकुमार के सान्निध्य मे आयोजित होने वाले इस सेमिनार मे युवाओं को शक्तिशाली, संस्कारी और संस्कृति के प्रति जागरूक बनाने सहित संत समुदाय मे बढ़ते बहुरूपियों की पहचान का प्रकाश डाला गया |
मुनि जयंत कुमार का मानना है की “संस्कृति और संस्कार” से कोई भटक जाता है तो रास्ता दिखाने वाला एक संत होता है पर आज जिस तरह के प्रकरण सामने आए है इससे लगता है संत ही संस्कृति से दूर हो रहे है ऐसे संत तभी आगे आते है जब भक्तो के द्वारा आत्म विवेक का प्रयोग नही किया जाता है | देश में 60% युवा है उनके अन्दर शक्ति का कूट खजाना है लेकिन जरूरत है उसको नयी दिशा देने की, संस्कारो से परिष्कृत करने की इसके लिए युवा नशा मुक्त एवं अपराध मुक्त रहे यह जरूरी है.
केंद्र सरकार से ये भावी अपील की गयी की बिना राजस्व का मोह किए हुये सम्पूर्ण देश मे नशीले वस्तुवो का पूरी तरह रोक लगाए। संप्रद्यकिता फैलाने वाले के प्रति केंद्र एवं राज्य सरकारे कठोर कदम उठाए। “तथास्तुभवः” संस्था का मत है, भारत की संस्कृति भाईचारे की है सौहार्द पूर्ण वातावरण की है जो लोग अपने बयानों और अभियानों के द्वारा साम्प्रदायिक द्वेष फ़ैलाने का कार्य करते है उनके लिए मोदी जी को कठोर कदम उठाना चाहिए |