डायरेक्टर आर.बाल्की को लीक से हटकर फिल्में बनाना पसंद है। शमिताभ से पहले बाल्की ‘चीनी कम’ व ‘पा’ जैसी फिल्में बना चुके हैं। संयोग की बात यह भी है कि इन तीनों फिल्मों में ही अमिताभ बच्चन को मुख्य धारा में रखा गया है। ‘शमिताभ’ का काॅन्सेप्ट भी बिल्कुल अलग है। इस फिल्म को आवाज व एक्टिंग का परफेक्ट कम्बीनेशन भी कहा जा सकता है। फिल्म में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि अगर आपकी आवाज व एक्टिंग दोनों परफेक्ट हैं तो आप परफेक्ट एक्टर हो।
कहानी: फिल्म की पूरी कहानी अमिताभ बच्चन, धनुष व अक्षरा हसन के इर्द-गिर्द ही घूमती है। दानिश (धनुष) को बचपन से ही एक्टर बनने का जुनून है परन्तु दानिश बोल नहीं सकता। इसके बावजूद भी वो हर वक्त फिल्मी दुनिया में ही डूबा रहता है। सभी जगह उसकी एक्टिंग ही चलती रहती है। मां की मौत के बाद दानिश मुम्बई में एक्टर बनने के लिए चला जाता है। वह जगह-जगह एक्टिंग के लिए धक्के खाता है परन्तु उसे कोई तवज्जों नहीं देता। एक दिन वो किसी कलाकार की वैनिटी वैन में घुस जाता है और जब उससे बाहर निकलता है तो सिक्योरिटी गार्ड उसकी पिटाई करते है। इसी बीच अक्षरा (अक्षरा हसन), जोकि असिस्टेंट डायरेक्टर है, वो उसे गार्डस से छुड़वाती है। अक्षरा को दानिश अपने इशारों से समझाता है कि वो एक्टर बनना चाहता है परन्तु सबसे बड़ी समस्या यह है कि वो बोल नहीं सकता। अक्षरा को साइंस के माध्यम से ऐसी तकनीक का पता चलता है कि दानिश बोल तो सकता है परन्तु उसको आवाज कोई और देगा। अब अक्षरा व दानिश ऐसे व्यक्ति को ढूंढने निकलते है, जिसकी आवाज दानिश पर फिट बैठ सके। ढूंढते-ढूंढते उन्हें एक शराबी व्यक्ति की आवाज सुनाई पड़ती है। उन्हें लगता है कि यह आवाज बिल्कुल परफेक्ट है और वो आवाज होती है अमिताभ सिन्हा (अमिताभ बच्चन) की। अमिताभ एक अडि़यल प्रवृत्ति का इंसान है और वो अपनी आवाज देने से उन्हें मना कर देता है। अब देखना यह है कि क्या दानिश को अमिताभ की आवाज मिल पाएगी? क्या दानिश का एक्टर बनने का सपना पूरा हो पाएगा? यह तो आपको दानिश या अमिताभ यानि कि शमिताभ ही बता सकते हैं।
अभिनय: अभिनय की अगर बात करें तो अमिताभ बच्चन ने शराबी बुजुर्ग की लाजवाब एक्टिंग की है। हालांकि अमिताभ इससे पहले भी शराबी का किरदार कई फिल्मों में निभा चुके हैं परन्तु यह किरदार काबिल-ए-तारीफ है। धनुष ने फिल्म ‘रांझणा’ के बाद एक बार फिर अपनी कला का जौहर बखूबी दिखाया है। उन्होंने अपनी बेहतरीन एक्टिंग से यह साबित कर दिखाया है कि हीरो बनने के लिए चाॅकलेटी चेहरे की जरूरत नहीं होती। अक्षरा हसन की यह डेब्यू फिल्म है परन्तु उन्होंने भी कमाल का अभिनय किया है। बाल कलाकार शुभम का अभिनय भी काबिल-ए-तारीफ है।
म्यूजिक: इलैयाराजा का संगीत कर्णप्रिय है। गीतकार स्वानंद किरकिरे व कौसर मुनीर ने सिचुएशन के हिसाब से अच्छे गीत लिखे हैं। बिग बी की आवाज में ‘पिडली सी बातें’ गाना श्रोताओं में पहले से ही हिट है।
सिनेमेटोग्राफी: पी.सी. श्रीराम की सिनेमेटोग्राफी लाजवाब है। उन्होंने सभी दृश्यों को बेहतरीन ढंग से कैमरे में कैद किया है।
डायरेक्शन: आर. बाल्की का डायरेक्शन बेहतरीन है। उन्होंने सभी कलाकारों से बखूबी काम लिया है। इंटरवल से पहले फिल्म की रफ्तार पर उनकी पकड़ जबरदस्त है परन्तु इंटरवल के बाद फिल्म को अगर वो ज्यादा लम्बा ना खींचते, तो फिल्म और भी अच्छी बन सकती थी।
निष्कर्ष: अमिताभ बच्चन की जबरदस्त आवाज व संवाद अदायगी तथा धुनष की लाजवाब एक्टिंग का मिश्रण ही ‘शमिताभ’ है। हालांकि इंटरवल के बाद की फिल्म को कई जगह पर बेवजह खींचा गया है परन्तु यह फिल्म आपको अपसेट नहीं करेगी। इस सप्ताह आप निःसंकोच ‘शमिताभ’ से मिलने जा सकते हैं।