बीते- दिनों राजधानी दिल्ली में हुए सामुहिक दुष्कर्म एवं दरिंदगी की शिकार युवती की मौत से उपजे देशव्यापी क्षोभ एवं रोष के साथ लोग खासे चिंतित हैं कि आखिर कैसे मौजूदा पाशविक समाज को मानव समाज में तब्दील किया जा सके। इसी के मद्देनजर भारत विकास परिषद् दिल्ली प्रदेश उत्तर एवं जस्टिस फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में भारत विकास भवन में “महिला सुरक्षा -सम्मान व सामाजिक दायित्व“ विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने महिलाओं के खिलाफ जारी हिंसा पर रोक लगाने के लिए कड़े कानून एवं सख्त सजा देने के साथ ही साथ सामाजिक मानसिकता में परिवर्तन कर उच्च आदर्शो एवं जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापना की अत्यधिक जरुरत बतलाई।
जस्टिस फाउंडेशन की कन्वीनर सुश्री सुरभि ने कहा कि किसी भी समस्या के मूल को भूलकर उसका समाधान नहीं किया जा सकता है। समाज को निर्भय और निर्मल बनाने के लिए संस्कारों को प्राथमिकता देनी होगी जो परिवार से शुरू होती है। महिलाओं को सहानुभूति नहीं समानुभूति प्रदान करनी होगी। इस मौके पर भा वि प की सचिव एवं कवियित्री श्रीमती रितु गोयल ने महिलाओं के साथ होने वाले घोर अत्याचार एवं उनकी संवेदना पर आधारित कविता “पूछना जरुर अपनी माँ से‐‐‐“ का मार्मिक एवं भावपूर्ण पाठ कर उपस्थित लोगों की भावनाओं को झकझोर कर रख दिया।
गोष्ठी के दौरान एडवोकेट श्रीमती संध्या बजाज, एडवोकेट श्री विवेक अग्रवाल, अदि ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर भा वि प दिल्ली उत्तर के मुख्य परामर्शदाता श्री भूपेन्द्र मोहन भंडारी ,संरक्षक श्री पी डी भूत, कोषाध्यक्ष श्री बी बी दिवान, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीमती रश्मि गोयला, महिला सहभागिता समिति की संयोजिका श्रीमती कविता अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में अन्य गणमान्य एवं युवावर्ग ने अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई ।
गोष्ठी की अध्यक्षता भारत विकास परिषद दिल्ली प्रदेश उत्तर के अध्यक्ष श्री राजकुमार जैन एवं कुशल संचालन महासचिव श्री संजीव मिगलानी ने की। गोष्ठी के दौरान अपने विचार प्रस्तुत करते हुए पूर्व महापौर एवं भा वि प दिल्ली उत्तर के मुख्य संरक्षक श्री महेश चन्द्र शर्मा ने भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की समृद्ध परंपरा का जिक्र करते हुए बच्चों को उच्च आदर्शों से परिचित कराते हुए उन्हें अच्छे संस्कार प्रदान करने की बात कही। भा वि प की राष्टीय मंत्री एवं निगम पार्षद डॉ शोभा विजेंद्र ने महिलाओं के खिलाफ विभिन्न स्तरों पर जारी हिंसा पर रोष जाहिर करते हुए महिलाओं को समान अवसर प्रदान करने के साथ ही साथ निर्णयों में भी उचित भागीदारी दिए जाने की जरुरत बतलाई। एडवोकेट श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने महिला सम्बन्धी कानूनों एवं उसकी प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण एवं नाकाफी बताते हुए बदले हालत में इसमे सुधार कर उसे और भी कड़ा बनाये जाने पर जोर दिया।
भा वि प दिल्ली उत्तर के अध्यक्ष श्री राजकुमार जैन ने कहा कि कड़े कानून एवं कठोर दंड से ही स्थिति में आशातीत परिवर्तन की उम्मीद कम ही है। महिला विरोधी हिंसा पर रोक लगाने के लिए सामाजिक मानसिकता में परिवर्तन कर मानवीय संवेदना, मान-मर्यादा एवं जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापना जरुरी है।
जस्टिस फाउंडेशन की कन्वीनर सुश्री सुरभि ने कहा कि किसी भी समस्या के मूल को भूलकर उसका समाधान नहीं किया जा सकता है। समाज को निर्भय और निर्मल बनाने के लिए संस्कारों को प्राथमिकता देनी होगी जो परिवार से शुरू होती है। महिलाओं को सहानुभूति नहीं समानुभूति प्रदान करनी होगी। इस मौके पर भा वि प की सचिव एवं कवियित्री श्रीमती रितु गोयल ने महिलाओं के साथ होने वाले घोर अत्याचार एवं उनकी संवेदना पर आधारित कविता “पूछना जरुर अपनी माँ से‐‐‐“ का मार्मिक एवं भावपूर्ण पाठ कर उपस्थित लोगों की भावनाओं को झकझोर कर रख दिया।
गोष्ठी के दौरान एडवोकेट श्रीमती संध्या बजाज, एडवोकेट श्री विवेक अग्रवाल, अदि ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर भा वि प दिल्ली उत्तर के मुख्य परामर्शदाता श्री भूपेन्द्र मोहन भंडारी ,संरक्षक श्री पी डी भूत, कोषाध्यक्ष श्री बी बी दिवान, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीमती रश्मि गोयला, महिला सहभागिता समिति की संयोजिका श्रीमती कविता अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में अन्य गणमान्य एवं युवावर्ग ने अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई ।