पर्वतारोहण से मिले तन-मन की खुशी

Career in Mountaineering

एस. एस. डोगरा

चारों ओर हरे-भरे विशाल वृक्षों के बीच कोयल की कूक, साथ में प्रेरणा का संदेश देती निरंतर बह रही सरिता, वहीं इसके किनारे बैठा ग्वाला सुरीली बांसुरी की मनमोहन धुन निकालता हुआ, इतना ही नहीं सूर्योदय और वह भी विशाल बर्फ से ढ़के पर्वतों पर स्वतः ही आकर्षक दृश्य प्रतीत होता हैं। यह ऩजारा किसी फिल्म का नहीं हैं, बल्कि हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में देखने को मिल जाता हैं। लेकिन इस मनोहरी दृश्यों के अलावा अन्य यादगार क्षणों को आप अपने जीवन में संजोना चाहते हैं, तो मौसम के मुताबिक ट्रैकिंग रुट का चुनाव करें, जहां आप प्रकृति की खूबसूरत वादियों का भरपरू म़जा लूट सकें। वैसे भी पर्वतारोहण से तन व मन की शान्ति मिलती हैं। भारतीय पर्वतारोहण संस्था के पूर्व निर्देशक कर्नल रविन्द्र नाथ का भी मानना है कि युवा पीढ़ी को ट्रैकिंग आदि में हिस्सा अवश्य लेना चाहिए। इससे आत्मविश्वास, परस्पर सहयोग की भावना, व्यक्तित्व विकास, दृढ़ निश्चय जागृत होता हैं, जिसके फलस्वरूप जीवन में नित नई ऊँचाईयाँ पाने में प्रयासरत रहता हैं तथा इसके लिए कठोर मेहनत करता हैं, तब कहीं जाकर वह एवरेस्ट की चोटी को छू पाने में सफल होता हैं।

हिमालय पर्वत की 8848 मीटर ऊँची एवरेस्ट की चोटी पर सर्व प्रथम पर्वतारोही शेरपा तेनसिंह (भारतीय) व एडमण्ड हिलेरी (न्यूजीलैण्ड) ने चढ़कर पूरी दुनिया में खूब नाम कमाया था। भ्रमण के शौकिनों के लिए पर्वतारोहण भी एक साहिसक खेल के समान है, परन्तु इस साहसिक खेल में दक्षता हासिल करने के लिए किसी केन्द्र एवं क्लब की मदद लेनी पड़ती हैं। प्रथम महिला पर्वतारोही बछेन्दरी पाल सिंह जिसनें मई, 1984 में एवरेस्ट की चोटी पर पहुँच कर भारतवर्ष का नाम गर्व से ऊँचा किया था। उनका मानना हैं कि उनकी इस विलक्षण उपलब्धि के पीछे भारतीय पर्वतारोहण व आई.एम.एफ. अध्यक्ष एच.एस. सरीन-आई.सी.एस. थे जिनका मार्ग दर्शन अत्यधिक काम आया।

भारत में पर्वतारोहण को प्रोत्साहित एवं नियामितता के लिए देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं0 जवाहर लाल नेहरु ने ही आई.एम.एफ की स्थापना की। आई.एम.एफ. का खेल, गृह रक्षा, पयर्टन एवं पर्यावरण मंत्रालयों से अटूट रिश्ता हैं। आई.एम.एफ. का मुख्य उद्देश्य पर्वतों पर चढ़ाई, खोज, साहसिक क्रीड़ा तथा हिमालय पर्यावरण सुरक्षा में जुटे लोगों को प्रोत्साहित करना हैं। संस्था भारतवर्ष में सरकारी सहायता प्राप्त पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थाओं तथा सैकड़ों पर्वतारोहण एवं साहसिक क्लबों/संगठनों को मान्यता प्रदान कर चुका हैं।

24 दिसम्बर, 1980 को तत्काल प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने 6, बेनिटो जारेज रोड़ पर साऊथ दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर क्षेत्र में नवनिर्मित मुख्यालय का अपने कर कमलों से उद्घाटन किया था। यहाँ विश्वस्तरीय एवं अत्याधुनिक चढ़ाई पद्धति के आधार पर टाटा द्वारा बनावटी दीवार स्थापित है जिसकी सहायता से जवान एवं नये पर्वतारोहियों को चढ़ाई करने का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता हैं। इसी प्रशिक्षण ग्रहण करने के बाद एक नये पर्वतारोही को भी ऊँची से ऊँची व दुर्गम पहाड़ की चोटी पर चढ़ना आसान प्रतीत होता हैं। संस्था प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय चढ़ाई प्रतियोगिता का आयोजन भी करती हैं। इस प्रतियोगिता के माध्यम से युवा एवं उभरते हुए पर्वतारोहियों को आगे आने का मौका प्राप्त होता हैं। इसके अलावा संस्था भारतीय साहसिक एवं विदेशी साहसिक यात्रियों को क्लीन-चीट देने का कार्य भी करती हैं।

पर्वतारोहरण प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद हमें किसी अभियान दल अथवा व्यक्तिगत पर्वत भ्रमण पर जाने से पहले अनेक सावधानियों को भी ध्यान रखना चाहिए। ट्रैकिंग करते समय खुले तथा प्रूफ कपड़े धारण करने चाहिए। रात में सोते समय जूते खोल देने चाहिए। दिन में आंखों की सुरक्षा के लिए सन ग्लास अवश्य पहनना चाहिए। सन बर्न आदि से बचने के लिए उपर्युक्त क्रीम अथवा लोशन का प्रयोग कर त्वचा को सूर्य की तेज रोशनी के जलने से बचाया जा सकता हैं। ट्रैकिंग के दौरान छोटी-मोठी चोट व छालों को हल्के रूप में नहीं लेना चाहिए। ठण्डी धातु को खाली हाथ से छूना चाहिए अन्यथा इससे त्वचा की मोटी चमड़ी छिल सकती हैं। अधिक वज़न नहीं ढ़ोना चाहिए। ऊँचे पर्वत पर एल्कोहल (शराब) आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

गौरतलब है कि पर्वतारोहण में रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं। एक अनुभवी प्रशिक्षण बेसिक अथवा एडवांस ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद क्लब अथवा एडवैंचर इन्स्टीच्यूट में प्रशिक्षक के रूप में अच्छी आय का अर्जन भी किया जा सकता हैं। पर्वतारोहण में प्रशिक्षण कोर्स के लिए निम्न प्रशिक्षण केन्द्र में सम्पर्क किया जा सकता हैं।


डायरेक्टोरेट आॅफ माउन्टेनयरिंग ए एलाईड स्पोटर्स, मनाली-175131

नेहरु इन्स्टीच्यूट आॅफ माउन्टेनयरिंग, उत्तरकाशी, उत्तरांचल-249193

हिमालय माउन्टेनियरिंग इन्स्टीच्यूट, जवाहर पर्वत, दार्जलिंग (पश्चिम बंगाल) जवाहर इन्स्टीच्यूट आॅफ माउन्टेनियरिंग एवं विन्टर स्र्पोटर्स, जम्मू व कश्मीर-182143