अशोक कुमार निर्भय
बहुत दिनों से एक विचार मन में था किस प्रकार मीडिया और वह भी ऑनलाइन मीडिया के नाम पर यू टीयूब चैनलों की बाढ़ सोशल मीडिया में आ गयी है। देखा जाये तो प्रथम दृष्टया यह आपरधिक गतिविधियों को अंजाम देने का माध्यम बन चूका है जिसपर ना सरकार ही रोक लगा रही है और ना ही भारतीय पुलिस महकमा पता नहीं क्यों ? शायद हो सकता है उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं है।
बहुत दिनों से एक विचार मन में था किस प्रकार मीडिया और वह भी ऑनलाइन मीडिया के नाम पर यू टीयूब चैनलों की बाढ़ सोशल मीडिया में आ गयी है। देखा जाये तो प्रथम दृष्टया यह आपरधिक गतिविधियों को अंजाम देने का माध्यम बन चूका है जिसपर ना सरकार ही रोक लगा रही है और ना ही भारतीय पुलिस महकमा पता नहीं क्यों ? शायद हो सकता है उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं है।
आज इस लेख में यही उजागर करूँगा की किस प्रकार समाज,राष्ट्र और मानवजाति के लिए लिए कुकरमुते की तरह जन्म ले रहे ऑनलाइन वेब साईट बनाकर चैनलों के नाम पर उगाही का धंधा चल पड़ा है और जो असली पत्रकार हैं वह पुलिस और जनता का शिकार बन रहे हैं। सबसे पहले बता देता हूँ भारतीय संविधान में किसी भी प्रचार-प्रसार को करने की अनुमति सूचना और प्रसारण मंत्रालय ही देता है लेकिन यू टीयूब चैनलों के पास अनुमति तो दूर की बात है राज्यों में डी.एम और केंद्र शाशित प्रदेशों में डी सी पी लाइसेंसिंग की अनुमति आवशयक है। अफ़सोस इस बात का है की कोई भी सरकारी अधिकारी इस बेलगाम यू टीयूब चैनलों को रोकने और उनपर कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठा रहा है ? बीएसए नेशनल काउंसिल के माध्यम से सभी को अनुमति लेनी होती है लेकिन किसी को नहीं मालूम की अनुमति होती क्या है ? इसका सपष्ट सन्देश है जो भी सोशल मीडिया में बीएसए नेशनल काउंसिल की अनुमति के बगैर यू टीयूब चैनल चलाया जा रहा है वह वह गैर क़ानूनी है और भारतीय संविधान के खिलाफ है ऐसे में पुलिस का दायित्व बनता है की वह ऐसे गैर क़ानूनी यू टीयूब चैनलों पर रोक लगाकर उनके मालिकों और संचालकों के खिलाफ संविधान के अनुरूप सख्त कार्रवाई करे क्योंकि यही देश में अराजकता और देश,समाज के खिलाफ जहर घोल रहे हैं ? आपको यह स्पष्ट होना चाहिए कि यह एक आधिकारिक बीएसए द्वारा प्रमाणितसोशल मीडिया चैनल नहीं है बल्कि इसके बदले आपकी निजी चैनल है जो बिना किसी सरकारी अनुमति के देश के संविधान के खिलाफ चलाया जा रहा है। मेरे कई जानकारों के बड़े सरकारी चैनलों,प्राईवेट निजी चैनलों से मिलते जुलते नामों से चैनल खोल कर जनता और सरकार की आँखों में धूल झोंकना शुरू किया हुआ है लेकिन अफ़सोस इस बात का का है की स्थानीय पुलिस और सम्बंधित विभाग उनके इस अनैतिक कार्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे जबकि सूचना प्रसारण अधिनियम के तहत सरकार की अनुमति के बगैर किसी भी प्रकार की सूचना अथवा खबर प्रकाशित अथवा दिखाना गैर क़ानूनी और देश के खिलाफ देश द्रोह की श्रेणी में आता है लेकिन यहाँ खुद ही स्वम्भू पत्रकार बनकर आज बिना किसी योग्यता के लोग पत्रकार बनाकर पत्रकारिता को बदनाम करने पर अमादा हैं और कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है ? यह कौन से और कैसी मज़बूरी है सरकार की यह सोचने का विषय है ? एक बात और स्पष्ट कर देता हूँ इंटर नेट पर जो भी प्रचार सामग्री किसी भी माध्यम दे डाली जाती है उसपर आई टी एक्ट लागू होता है इसलिए सूचना प्रोधोगिकी मंत्रलाय की अनुमति के भी सभी यू टीयूब चैनल गैर क़ानूनी हैं लेकिन भारत सरकार या राज्य सरकार कोई कदम इन गैर क़ानूनी यू टीयूब चैनल जो सोशल मीडिया के नाम से चलाये जा रहे हैं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है पता नहीं क्या मज़बूरी है। बहराल सोशल मीडिया के नाम से यू टीयूब चैनल का ब्लैक मेलिंग का धंधा जोर पकड़ चूका है जिसका खामियाजा असली पत्रकारों और सम्पादकों को भोगना पड़ रहा है जिन्होंने पूरा जीवन पत्रकारिता के मूल्यों को निभाने में लगा दिया। आज फ़र्ज़ी देश विरोधी कार्यों में संलिप्त फ़र्ज़ी रूप से कार्य कर रहे यू टीयूब चैनल के पत्रकार और संपादक भीड़ तंत्र का फायदा उठाकर अपना कारोबार और गैर क़ानूनी धंधा करने में जुटे हैं और सभी सरकारें मूक दर्शक बनी हैं ? लेकिन अब सरकार भी जागरूक हुई जब फ़र्ज़ी चैनल सरकार के खिलाफ फ़र्ज़ी खबरें चला रहे हैं क्यों ? जगी अब सरकार पहले क्यों नहीं बनाया कानून ? अब कमेटी बनाकर सबको क्यों खुश किया जा रहा है ? जनता जवाब चाहती है ?