शहनाज हुसैन
फूलों की पंखुडियां हमेशा महिलाओं की सुन्दरता में चार चांद लगाती रही है। फूलों को पूजा, जन्म दिवस, विवाह, पार्टियों तथा सभी आयोजनों में सजावट के लिए धडल्ले से प्रयोग किया जाता है। इन्हीं फूलों को अगर आप सौन्दर्य निखार में भी प्रयोग में लाती है तो आप बिना किसी सौन्दर्य प्रसाधन के दमकती त्वचा तथा चमकीले बाल प्राप्त कर सकती है। रासायनिक सौन्दर्य प्रसाधनों के बाजार में आने से पहले फूल महिलाओं की त्वचा तथा बालों के सौन्दर्य को निखारने में प्राचीनकाल से प्रयोग किये जाते रहे है।
गुलाब, लेवेन्डर, जैसमिन, गुडहर आदि फूलों का उपयोग करके आप प्राकृतिक सौन्दर्य प्राप्त कर सकती है। फूलों से वातावरण में वनस्पतिक उर्जा मिलती है। फूलों की सुगन्ध तथा रंगों से न केवल हमारी इन्द्रियां आनन्दित महसूस होती है बल्कि फूलों में ताकतवर गुणकारी तत्व भी विद्यमान होते है। जिससे अनुकूल, मानसिक तथा शारीरिक सामज्सय प्राप्त किया जा सकता है।
अनेक फूलों की प्रजातियों की सुगन्ध से ही मानसिक शांति प्राप्त हो जाती है तथा असीम आनन्द की अनुभूति महसूस होती है। प्राचीनकाल में गुलाब, चमेली, लवेन्डर तथा नारंगी फूलों से मानसिक विकारों से ग्रस्त रोगियों का ईलाज किया जाता था। वास्तव में फूल मानसिक तथा पर्यावरण तनाव एवं थकान से सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं। आधुनिक सौन्दर्य देखभाल में सुन्दरता ग्रहण करने के लिए मानसिक तनाव से मुक्ति को परम आवश्यक माना गया है। आधुनिक काल में सौन्दर्य से जुड़ी अनेक समस्यायें जैसे: बालों का गिरना, गंजापन, कील मुहांसे आदि मानसिक तनाव की देन माने जाते है। फूलों की सुगन्ध से तनाव से मुक्ति साथ ही शरीर में शांतिदायक, अरामदेय तथा ताजगी के पलों का एहसास मिलता है। ब्यूटी सैलूनों में सौन्दर्य उपचार के लिए सौन्दर्य उत्पादों में फूलों के सत्त तथा सुगन्धित तेल का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। तिल, नारियल, जैतून तथा बादाम आदि का प्रेसड आॅयल सुगन्धित तेल से बिल्कुल भिन्न होता है। सुगन्धित तेल प्राकृतिक रूप में काफी जटिल होते है तथा सुगन्धित तेल पौधों के महकिले तथा सुगन्धित हिस्से से संघटित होते है। यह पौधे की प्राण शक्ति माने जाते है। सुगन्धित तेलों को औषधिये तेलों के साथ-साथ सुगन्ध के लिए जाना जाता है। गुलाब, चन्दन, मौंगरा, चमेली, लवेन्डर आदि फूलों की महक सुगन्धित तेलों की वजह से होती है तथा इन फूलों के सुगन्धित तेलों को सौन्दर्य निखारने में बखूबी प्रयोग किया जाता है। हमें यह सचेत रहने की जरूरत है कि सुगन्धित तेलों को दूसरे बादाम, तिल, जैतून तथा गुलाब जल लोशन से मिश्रित करके ही उपयोग में लाना चाहिए तथा सुगन्धित तेलों को विशुद्ध रूप से कभी उपयोग में नहीं लाना चाहिए।
फूलों से घरेलू सौन्दर्य:
गुलाबजल को त्वचा का बेहतरीन टोनर माना जाता है। थोड़े से गुलाबजल को एक कटोरी में ठंडा करें। काॅटनवूल की मदद से ठंडे गुलाब जल से त्वचा को साफ करें तथा त्वचा को हल्के-हल्के थपथपायें। इससे त्वचा में योवनता तथा स्वास्थ्यवर्धक बनायें रखने में मदद मिलती है। यह गर्मियों तथा बरसात ऋतु में काफी उपयोगी साबित होता है।
तैलीय त्वचा के लिएः एक चम्मच गुलाबजल में दो-तीन चम्मच नीबूं का रस मिलायें तथा इस मिश्रण में काॅटनवूल पैड डुबोकर इससे चहरे को साफ करें। इससे चेहरे पर जमा मैल, गन्दगी, पसीने की बदबूं को हटाने में मदद मिलेगी।
ठंडा सत्त तैयार करने के किए जपा पुष्प के फूल तथा पत्तियों को एक तथा छः के अनुपात में रात्रिभर ठण्डे पानी में रहने दें। फूलों को निचैड़कर प्रयोग करने से पहले पानी को बहा दें। इस सत्त को बालों तथा खोपड़ी को धोने के लिए प्रयोग में ला सकते है। इस सत्त या फूलों के जूस में मेहंदी मिलाकर बालों पर लगाने से बालों को भरपूर पोषण मिलता है तथा यह बालों की कंडीशनिंग उपचार के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
गैंदे या केलैन्डयुला के ताजा या सूखे पत्तों का भी प्राकृतिक सौन्दर्य में उपयोग किया जा सकता है। चार चम्मच फूलों को उबलते पानी में डालिये लेकिन इसे उबाले मत। फूलों को 20 या 30 मिनट तक गर्म पानी में रहने दीजिए। इस मिश्रण को ठंडा होने के बाद पानी को निकाल दें तथा मिश्रण को बालों के संपूर्ण रोगों के उपचार के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। ठंडे पानी से चेहरे को धोने से चेहरे में प्राकृतिक निखार आ जायेगा। इस मिश्रण से तैलीय तथा कील मुहांसों से प्रभावित त्वचा को अत्याधिक फायदा मिलता है।
लेखिका अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौन्दर्य विशेषज्ञ है तथा हर्बल क्वीन के नाम से लोकप्रिय है।