सुप्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ‘दिल्ली कविता मंडल’ ने अपने चतुर्थ वार्षिकोत्सव के अवसर पर द्वारका सेक्टर-2 में स्थित भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ़ एप्लाइड साइंसेज के सभागार में एक अखिल भारतीय कवि-सम्मेलन का आयोजन किया l कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त साहित्यकार डॉ. हरीश नवल ने की l मुख्य अतिथि के रूप में भास्कराचार्य कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. बलराम पाणी तथा विशिष्ट अतिथियों के रूप में दक्षिण दिल्ली नगर निगम की पूर्व-मेयर कमलजीत सहरावत और अमेरिका की सुविख्यात प्रवासी साहित्यकार अनिता कपूर उपस्थित रहे l
कार्यक्रम के संयोजक प्रेम बिहारी मिश्र ने बताया कि उभरते हुए कवियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से दिल्ली कविता मंडल उन्हें अति वरिष्ठ कवियों के समकक्ष कवितापाठ का अवसर देता रहता है l उसी कड़ी में आयोजित इस कवि-सम्मेलन में देश के विभिन्न स्थानों से चयनित पाँच युवा कवियों ने उत्कृष्ट कविता पाठ किया l सर्वप्रथम समस्तीपुर (बिहार) से आए अक्स समस्तीपुरी ने अपनी बात इस शानदार ग़ज़ल से शुरू की “महफिल में नाम उनका पुकारा गया था और, सब लोग थे कि मेरी तरफ़ देखने लगे” l हास्यकवि डॉ. अरुण पांडे ने उस डॉक्टर का दर्द कुछ इस प्रकार बयान किया जो नर्स से शादी करने की भूल करता है कि “अजीव जुल्म सहना पड़ता है / पत्नी को सिस्टर कहना पड़ता है” l नोएडा की मधुरकन्ठीय कवयित्री मनीषा शुक्ला ने गीतगायन आरम्भ किया “बालपन की लोरियों, जाओ कहीं संन्यास लेकर” l डींग (राजस्थान) से आए मेघ श्याम ‘मेघ’ ने अपने घनात्मक छंद गायन से तालियाँ बटोरीं “कारे-कारे बाल कोरे, गोरे-गोरे गाल कोरे” l वहीं, फ़र्रुखाबाद के उत्कर्ष अग्निहोत्री भी अपने संदेशात्मक और संवेदनशील सस्वर दोहों और शानदार ग़ज़लों से श्रोताओं का दिल जीतने में सफल रहे “रिश्तों में आती नहीं, यूँ ही व्यर्थ दरार / कुछ तुम जिम्मेदार हो कुछ हम जिम्मेदार” l
युवा तथा किशोर कवियों के बहुआयामी कवितापाठ के बाद देश-विदेश में हिन्दी कविता का परचम लहराने वाले सुप्रसिद्ध वरिष्ठ कवियों का काव्यपाठ हुआ l इस क्रम में, कविता की सोलह विभिन्न विधाओं में पारन्गत आकाशवाणी के निवर्तमान उप-महानिदेशक लक्ष्मीशंकर बाजपेई के गीत, ग़ज़ल, दोहे, क्षणिकाएँ, दिल्ली कविता मंडल के संस्थापक व संचालक प्रेम बिहारी मिश्र के ग़ज़ल-गीत, डॉ. कीर्तिं काले के सुमधुर सस्वर गीत, जीवन के विविध रंगों को समेटते और संजोते हुए मासूम गज़ियाबादी की बहुआयामी ग़ज़लें, आकाशवाणी व दूरदर्शन पर कमेंटरी, मंच संचालन और अपनी विचारपूर्ण कविता के लिए प्रसिद्ध अलका सिन्हा और प्रवासी साहित्यकार अनिता कपूर की ख्याति-अनुकूल प्रस्तुतियों ने खूब तालियाँ बटोरीं l
वरिष्ठ कवियों तथा युवा प्रतिभाओं के काव्यपाठ का यह सारस्वत संगम आकाशवाणी में कार्यरत उमा शर्मा के भजन गायन और सरस्वती वंदना से शाम साढ़े चार बजे आरम्भ होकर रात्रि साढ़े आठ बजे तक चला, जिसका आकर्षक और मनभावन संचालन अंतर्राष्ट्रीय कवयित्री और मंच संचालिका डॉ. कीर्ति काले ने किया l इस कार्यक्रम की विशेषता यह भी रही की श्रोताओं में बड़ी संख्या में सुप्रसिद्ध कवि व साहित्यकार तथा कई सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी कार्यक्रम के आरम्भ से अंत तक उपस्थित रहे l मुख्य अतिथि डॉ. बलराम पाणी तथा विशिष्ट अतिथि सुश्री अनिता कपूर और कमलजीत सहरावत ने अपने उद्बोधनों में दिल्ली कविता मंडल के इस प्रयास की सराहना की और कार्यक्रम के बारे में अपने विचार रखे l वहीं, कार्यक्रम के अंत में डॉ. हरीश नवल के ज्ञानवर्धक अध्यक्षीय उद्बोधन के आकर्षण ने सम्पूर्ण उपस्थिति को आत्मविभोर किया l दक्षिण भारतीय शुद्ध शाकाहारी भोज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ l कहा जा सकता है कि इस भव्य एवं गरिमापूर्ण कवि सम्मेलन ने नई दिल्ली की द्वारका उपनगरी में उत्कृष्ट श्रेणी के साहित्यिक कार्यक्रमों की नींव रखी और आशा की जाती है कि अब भविष्य में भी इस प्रकार की गरिमापूर्ण साहित्यिक गतिविधियों का यह सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा ।