रविन्द्र सिंह डोगरा
1961 से ले कर 2013 तक यानि के लगभग पच्चास सालों से भारत सरकार , अंतर्राष्ट्रीय समाज में अपनी साख और अमेरिका द्वारा वियना समझौते के बाद भी उड़ायी गयी भारत किधज्जियों को आख़िरकार देवयानी खोबरागड़े ( अमेरिका में भारतीय राजनयिक ) के प्रकरण के बाद रोकने में कुछ हद तक सफल हो गयी है ! भारत सरकार ने भी कुछ आधिकारिकतौर पर सख्त कदम उठाये हैं , लेकिन क्या यह काफी हैं और इनसे यह निश्चित हो पायेगा कि भविष्य में अमेरिका ऐसी गलती नहीं दोहराएगा ?. चलिए ये तो हुई सरकारी बात परमुझे बहुत ही आश्चर्य है , भारत के महिला आयोग , मानवाधिकार आयोग और अंतर्राष्ट्रीय महिला एवं मानवाधिकार आयोगों पर और उनके पदाधिकारियों पर, के आज सब कुछ सचजानते हुए भी उन्होंने एक बेगुनाह महिला के लिए कोई भी आवाज़ किसी भी स्तर पर नहीं उठायी ?.कमाल कि बात है कि भारत सरकार ने आज तक उस महिला नौकरानी ( संगीतारिचर्ड ) के बारे में कोई जानकारी नहीं मांगी और ना ही अमेरिका ने ये बताया कि वो है कहाँ ? किसी को नहीं पता के संगीता कहाँ है , उसका कोई लिखित या मौखिक ब्यान या कोईसन्देश या कोई और जरिया जिसके द्वारा उससे संपर्क किया जा सके या वो खुद आगे आये ? नहीं ऐसा कुछ भी नहीं , उसका कोई अता-पता नहीं है , हो सकता है के सच – मुच ही वोC . I . A कि एजेंट हो ? जैसा कि देवयानी के पिता ने और ख़बरों ने बताया ? हो सकता है कि देवयानी को इस बात कि खबर लग गयी हो और संगीता रिचर्ड को बचाने के लिएदेवयानी को निशाना बनाया गया हो ? क्योंकि जिस वीसा सम्बन्धी गड़बड़ियों के बारे में कहा जा रहा है उसकी पूरी प्रक्रिया अमेरिका के अधिकारी अमेरिका के कानून और वीसा नियमोके अनुसार खुद ही करते हैं ! फिर चुक कैसे हुई और यदि हुई भी है तो उसके लिए अमरीकी अधिकारी या अमरीका जिम्मेवार है भारत या भारत के नुमाइंदे नहीं ! एक और बात आपसब को बता दूँ के , जिस वियना समझौते का जिक्र भारत कर रहा है वह 1961 में भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक सम्बन्धो और उनके अधिकारों को ले कर हुआ था ,जिसके अनुसार किसी भी राजनयिक को विशेष छूट प्राप्त होती है जिसमें उनको हथकड़ी नहीं लगायी जा सकती , हिरासत में नहीं लिया जा सकता , जेल में नहीं रखा जा सकता ,जामा तलाशी एवं बिना इज़ाज़त उनकी गाड़ी कि तलाशी भी नहीं ली जा सकती ! लेकिन बड़े और संगीन अपराधो में ये छूट प्राप्त नहीं है ! मज़े कि बात ये है कि भारत अपना दायित्व्अच्छी तरह से निभाता रहा लेकिन अमेरिका इस समझौते के बाद भी भारतीय राजनयिकों और भारत के विशिष्ट व्यक्तियों ( माननीय श्री ए . पी . जे अब्दुल कलाम जी , श्री जॉर्जफर्नांडिस ( रक्षा मंत्री , भारत ) , श्री .जसवंत सिंह जी , श्री प्रफूल पटेल जी , भारत के मुख्य न्यायधीश श्री आर . एस . लाहोटी एवं 13 सदसीय संसद सदस्यों ) को वियना समझौतेका उलंघन कर अपमानित करता रहा है ! फिर भारत किस लिए वियना समझौते कि दुहाई दे रहा है और क्यों ? जब अमेरिका आपकी कोई दलील सुन ही नहीं रहा ? ..हद तो तबहो गयी जब भारत को अपनी ही बेगुनाह अधिकारी को बचाने और सुरक्षा देने के लिए ज़मानत पर छुड़ाना पड़ा और उसके बाद उसके सयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में स्थानांतरित करना पड़ाताकि उससे कुछ और छूट मिल जाये , और यहाँ भारत में ,अमेरिकी राजनयिकों के परिवारों को भी खुली छूट मिलती है ! मतलब साफ़ है आपका कुत्ता , घोडा है और हमारा शेर भीगधा ! आप सब को बता दू के जिस दिन श्रीमती . मारी हर्फ़ ( अमेरिकी विदेश विभाग कि प्रवक्ता ) और श्रीमती मिशेल ओबामा ( माननीय श्री बराक ओबामा जी कि धर्मपत्नी ) कोजामा तलाशी भारत में देनी पड़ गयी और अमेरिका के राजनयिकों, अधिकारीयों और मंत्रियों को हर बार भारत आने पर कपडे जूते उतरवा कर 8 – 8 घंटे हवाई अड्डो पर तलाशी केनाम पर रोका जायेगा उस दिन उनको समझ आएगा कि बिना कारण परेशानी से गुज़ारना कितना तकलीफ देय और अपमानजनक होता है ! मैं ऐसा मनाता हूँ के ये अमेरिका किखुशकिस्मती और शायद मेरा और मेरे जैसे युवाओ का दुर्भाग्य है कि हम भारत के मंत्रिमंडल या संसद का हिस्सा अभी नहीं हैं , वरना ऐसी घटना का जवाब कैसे , कितना और किसअंदाज़ से दिया जाता है ये अमेरिका और उसके जैसे सोच वाले देशो को क्षण भर में पता चल जाता ! समझौते के नियमों को तोडना तो दूर उसके खिलाफ जाने के बारे में सोचने से भीउनकी रूह कांप जाती ! भारतवासियों या इस लेख को पड़ने वालों का तो पता नहीं पर एक भारतीय होने के नाते अमेरिका को भारतीयों के साथ किये गए, खास तौर से एक महिला केसाथ किये गए , अभद्र , असभ्य और अमानवीय व्य्वहार के लिए में कभी क्षमा नहीं करूँगा और भविष्य में वो ऐसा न करें वरना उसका अंज़ाम भुगतने के लिए अमेरिका सवयंउत्तरदायी भी होगा ! ये चेतावनी आखिरी है, क्योंकि ” पहली ” चेतावनियाँ भारत कई दे चुका है ! मेरा भारत मेरा अभिमान , मेरी शान !