मात्र तीसरी कक्षा से ही रंगमच खेलना शुरू करने उपरांत कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा . फिल्म तथा रंगमंचीय जीवन में सफल अभिनय ,निर्देशन के लिये उन्हें 5 इंटरनेशनल तथा एक इण्डियन फिल्म फेस्टीविल में सम्मान मिला. जी हाँ वे कोई और नहीं बल्कि डॉ अलोक सोनी हैं. पिछले दिनों वरिष्ठ पत्रकार द्वारका परिचय मीडिया समूह के प्रबंधक संपादट एस.एस.डोगरा संग अभिनेता ,लेखक ,निर्देशक ,मोटीवेशनल स्पीकर डॉ. आलोक.सोनी से लम्बी बातचीत हुई. प्रस्तुत है बातचीत के अंश:
1- . आपका जन्म तथा लालन-पालन कहाँ हुआ?
उत्तर — मेरा जन्म उ.प्र.के जालोन जिले के जगम्मनपुर में , सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. एल.आर.सोनी ,सीकर के यहाँ हुआ था , म.प्र.के विभिन्न शहरों में पिताजी की पोस्टिंग की वजह से , वही लालन पालन हुआ ।
२. अपनी शिक्षा (स्कूल /कोलेज का नाम) संस्थाओं के बारे में बताएँ
उत्तर — स्कूलिंग शिक्षा म.प्र. के विभिन्न शहरों में ,तथा कालेज की शिक्षा दतिया (म.प्र.)में रहकर जीवाजी विश्वविद्यालय ,ग्वालियर से हुई ।
३. आपके माता-पिता क्या करते हैं ? क्या पूर्व में किसी परिवार के सदस्य का अभिनय-फिल्म-थिएटर क्षेत्र में जुडाव रहा?
उत्तर — मेरें पिताजी शासकीय चिकित्सा विभाग में रेडियोग्राफर के पद से रिटायर्ड हुये ,माँ ग्रहणी है , परिवार में मेरे दादा स्व.महादेव प्रसाद सोनी , जो राज स्वर्णकार थे ,वह अपने समय अच्छे भजन ,गाते थें ,रामलीला के विभिन्न पात्रों को मार्गदर्शित करते थें ,पिताजी बहुत अच्छे साहित्यकार है ,पिताजी को अभिनय , फिल्म ,थियेटर देखने का शौक शुरू से रहा है ,वह मुझे बजपन से ही अपने साथ , विभिन्न नाट्य समारोह में ले जाते थे जहां मैं उन पात्रों को गोर सै देखता ओर घर पर उसका अभ्यास करता । इस तरह मेरे काम का सिलसिला चल पड़ा ।
४. अपने बचपन की पढाई के अलावा कुछ गतिविधियों पर प्रकाश डालिए-जो आज भी आपके जीवन में विशेष महत्व रखती हों?
उत्तर — कक्षा तीन में जब पढ़ता था तब मेरे गुरु साहू जी ने मुझे मंच पर परफॉर्म करने की प्रेरणा दी धीरे-धीरे मैं इसकी ओर मेरा रूझान बढ़ा । 12 वर्ष की उम्र में मेरा पहला लेख प्रकाशित हुआ इसके बाद मेरी एक कहानी इसलिए प्रकाशित हुई जिस पर मुझे ₹11 पुरस्कार प्राप्त हुये ।कक्षा 11 में आते आते बहुत सारे कार्यक्रम में भागीदारी करने लगा कक्षा 11 में स्कूल में स्काउट गाइड की नेशनल जंबूरी हुई जिसमें मैंने अपने पिता जी द्वारा लिखित एक लोकगीत सबसे नेह लगाओ भैया ,तथा नाटक गुरू शिष्य अपनी टीम के साथ प्रस्तुत किया जिसमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ । मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोतीलाल वोरा जी द्वारा मुझे पुरूस्कृत किया , ता. प्राचार्य श्रीवास्तव जी द्वारा मुझे 101 रूपये पुरूस्कार के.रूप में. दिये ,जिससे मुझे अधिक से अधिक काम करने की प्रेरणा मिली । कक्षा 11 में अपनी पहली पुस्तक जागृति का छात्र संपादक के रूप में संपादन किया । इसके बाद बहुत सारे नाटको में मैंने भागीदारी की , 22 वर्ष की उम्र में झांसी से प्रकाशित मासिक मृगपाल का अतिथि संपादक बना । भारत शासन की योजना साक्षरता अभियान मैं परियोजना अधिकारी रहकर मैंने कुछ अपने लिखे नुक्कड़ नाटकों को 8 कला जत्थों के माध्यम से गांव-गांव में लगभग 250 प्रदर्शन करवाकर जनजागरण का काम किया ।नाट्य संस्था छाया मंदिर , महादेव सिने आर्ट ग्रुप ,ज्ञान विज्ञान जत्थों के माध्यम से कुछ अपने लिखे नाटक ,कुछ पुराने लिखे नाटको को , कुछ जगह अभिनय करके ,कुछ में निर्देशन करके , देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्वय के संसाधनों से ,लगभग 500 -600 प्रदर्शन किये ।
५. जब आपने पढाई पूरी की तब आप क्या बनने की सोचा करते थे ?
उत्तर – मेरी पहली पोस्टिंग साक्षरता में परियोजना अधिकारी के रूप में हुई , इसके बाद मैंने ओर भी जॉब की , मुझे आई ए एस बने की इच्छा थी , मैंने इसके लिए पूरे मनोयोग से तैयारी भी की थी मेरा प्री में सिलेक्शन भी हुआ था,लेकिन उसके बाद नही हुआ ,मन खराब हो गया , इधर पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन भी करना था ,ओर रंगमंच कला के क्षेत्र में भी बहुत आगे जाना था ,इसलिये नोकरी छोड़कर अपने निजी व्यवसाय को स्थापित किया ,जिससे मेरे दोनो काम चल रहे हैं ।
६. फिल्म टेलीविजन. जगत में लाने वाले अपने गुरु अथवा मार्गदर्शक के बारे में बताएँ। जिनसे सीखा जो आज भी आपके जीवन के फिल्म निर्माण में आपको शक्ति प्रदान करता हो ?
उत्तर — फिल्म और टेलीविजन दुनिया में रहने के लिए मुझे किसी गुरु का मार्गदर्शन नहीं मिला । मेरे पिताजी मेरे साहित्यक गुरु है बकाया मैंने – “खुद को कर इतना बुलंद ,कि खुदा भी पूँछे ,बता तेरी रजा क्या है -” लाईन को प्रेरणा मानकर , अपने अनुभव से अपने लिखें नाटकों में अभिनय करके ,निर्देशन करके , धीरे-धीरे काम शुरू किया ,जो लोगों को पसंद आया, मेरा अनुभव ही मेरा गुरू है ।
७. अपने जीवन साथी के व्यक्तिव् का आपके जीवन पर कितना प्रभाव रहा है ?
उत्तर -मेरी धर्मपत्नी श्रीमती संध्या सोनी उत्कृष्ट विदूषी है ,वह एक अद्वितीय ग्रहणी के साथ मेरी बहुत ही उत्कृष्ट सहयोगी है ।उनका मेरे जीवन में बहुत महत्व है , उन्होंने मुझे आगे बढ़ाने में बहुत योगदान दिया ।
८. आपने किस-किस विषय पर अभी तक कितनी शोर्ट फ़िल्म, नाटक निर्देशित किए.
उत्तर – मैने अधिकतर शिक्षाप्रद नाटक ही खेले , नशामुक्ति ,बेटी बचाओ ,महिला शिक्षा., गुरू गरिमा मे विषय.रहै.।सन 1990 से 1992 के बीच ,भारत सरकार के, गीत एवं नाट्य विभाग से जुड़ी छाया मंदिर संस्था ,महादेव आर्ट ग्रुप के बेनर तले , 100 नाटकों के शो में अभिनय किया । मेरे अभिनय , निर्देशन तथा शिक्षाप्रद काम से प्रभावित होकर ,सन 1993 में मुझे भारत सरकार के साक्षरता अभियान में, “परियोजना अधिकारी ” के पद पर शासन द्वारा नियुक्त किया गया , जिसमें जुड़कर, मैने अपने लिखे, नुक्कड़ नाटकों को , आठ कला जत्था बनाकर ,उन्हे प्रशिक्षण ,निर्देशन देकर , उन जत्थों के माध्यम से , गाँव गाँव में लगभग 200 नुक्कड़ नाटक करवाये। सन 1995 – 96 में , ज्ञान-विज्ञान जत्थों का निर्देशन , अभिनय करके लगभग 150 शिक्षाप्रद नुक्कड़ नाटकों का मंचन करवाया। सन् 1995 से 97 के बीच मेरी हमने अभिनय करके टेली फिल्में, ‘उल्फत का दिया’, ‘एक और राज’ को बनाया । संजय सक्सेना द्वारा निर्देशित ,मेरे के सहनिर्देशन ,अभिनय से सजी ,के एल सहगल के जीवन पर बनी फिल्म – उल्फत का दिया का प्रसारण दूरर्दशन के विभिन्न केन्द्रों पर हुआ । एक ओर राज का नया वर्जन शीध्र दर्शकों के बीच होगा । दूरदर्शन के अनेक परिसंवादों मे भागीदारी की ,अनेक बार ,प्रसारण हुआ ।लगभग पांच दर्जन चेनल्स पर अनेक बार साक्षात्कार , वार्तायें , परिसंवादों का प्रसारण हुआ ।
हमारे लिखित ,निर्देशित नाटक गुरू महिमा, शराब सस्ती है लेकिन, पैसा का टका, शराब जहर है, लड़कियों को हम पढ़ायेंगे, पश्चाताप, चाचा भतीजा, दिशा, तस्वीर नशे की, आदि नाटकों के लगभग 200 शो अलग अलग जिलों में हुये । हमारे क्रिएशन में , दीपक श्रीवास्तव के निर्देशन में , फिल्म ‘ठोक’ तथा ‘लौट आया खलनायक’ के रीमेक्स वर्जन का निर्माण करने में सहयोग किया । सतखण्डा वीर सिंह महल सहित आपने कई वृत्त चित्र भी बनवाये।सन् 2010 तक हमने फिल्मों की समीक्षायें भी लिखी। कोरोना की इस भीषण महामारी में भी ,हमने.अपने लेखन ,निर्देशन ,अभिनीत तीन शोर्ट मूवी घर पर रहकर ,कोरोना से बचें । शराब सस्ती है लेकिन – कोरोना महँगा है । अपनों के लिये जीकर ,कोरोना को भगायें । तथा दिलशेर द्वारा लिखित ,निर्देशित शोर्ट मूवी — जान हैं जहान है – में हमने.अभिनय करके.कोरडीनेशन किया । अपने घर पर रहकर ,शूट करके बनाई इन मूवी में ,हमारे.साथ अनेक फिल्मों , अनेक सीरियल में अभिनय करनेवाले ,सीरियल चिडि़याघर फेम अभिनेता आरिफ शहडोली ,चम्बल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीविल के आयोजक ,फिल्मकार डॉ. शाह आलम , अभिनेता दिलशेर खान , सिकन्दर खान ,अंकिता आनंद ,सीमा सिंह ने अभिनय किया । कोरोना से बचाव हेतु हमारे लिखित ,निर्देशित , अभिनीत शोर्ट मूवी ,के प्रयास को ,फिल्म निर्देशक राम बुन्देला ,निर्देशक ,अभिनेता ओम कटारे ,निर्देशक अशोक मेहरा ,निर्देशक अनिल दुबे ,निर्देशक ,अभिनेता डॉ.धर्मवीर भारती ,फिल्म समीक्षक डॉ.कुमार विमलेंन्दू , फिल्म समीक्षक डॉ.कृष्ण कृशलय , फिल्म समीक्षक डॉ. सौरभ आर्य , युवा फिल्मकार सौरभ भारद्वाज ,फिल्म अभिनेता देवदत्त बुधोलिया सहित अनेक फिल्म अभिनेताओं ,निर्देशक ने खुले व सच्चे मन से काम की सराहना की ।
९. बतौर अभिनेता, निर्माता, निदेशक, लेखक और आम दर्शक फिल्मों का हमारे जीवन में क्या महत्व है ।
उत्तर – फिल्में ,शोर्ट मूवी , का हमारे जीवन में बहुत महत्व है , फिल्म.आमजन में ,मनोरंजन के साथ ,देश भक्ति का.,समाज उत्थान का संचार करती.है ।
१०. पारवारिक जिम्मेदारी निभाते हुए आप मूवी की दुनिया से कैसे तालमेल बना पाए?
उत्तर.- मैने अपने पारवारिक दायित्वों का निर्वाहन करते हुये., पूर्व से समय निर्धारण करके ,हमने.अपने काम को अंजाम दिया , हम फिल्म ,रंगमंच के लिये पागल नही रहे ,धीरे.धीरे अपने काम.को किया । अच्छै ढंग से किया ,जिसे भरपूर सराहना मिली ।
११. आजकल क्या कुछ नया कर रहे हैं
उत्तर.- आजकल भारतीय मूल के एक फिल्मकार जो बेल्जियम में रह रहे है ,उनके कुछ.महत्वपूर्ण प्रोजक्टों पर चर्चा चल रही है ,तथा अपने लिखे नाटको के फिल्माकंन हेतु तैयारी.कर रहे है.। वर्तमान मे मैं महाराजा अग्रसेन इंटरनेशनल ओनलाईन फिल्म फेस्टीविल उ.प्र. में.- चीफ.पेटरन तथा चीफ जूरी मेम्वर के रूप में तथा इस्प्राउटिंग सीड इंटरनेशनल शोर्ट फिल्म फेस्टीविल ,महाराष्ट्र में चीफ जूरी के रूप में सहयोग कर रहा हूँ ।
१२. युवा फिल्मकारों-कलाकारों, रंगकर्मियों के लिए आपका क्या सन्देश है ताकि वे इस क्षेत्र में बेहतर कर सकें.
उत्तर.- मेरा सभी युवा फिल्मकारों से कहना है कि वह जल्दबाजी में कोई काम ना करें । पहले अपने पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करके, अपने घर की आर्थिक स्थिति मजबूत करके , फिल्म लाइन क्षेत्र में पदार्पण करें । जिससे आप समर्पित होकर इस काम को कर पाएंगे। हतोत्साहित ना हो, सीनियर फिल्मकारों के अनुभव का लाभ लेकर ,गंभीरता के साथ इस लाइन को ज्वाइन करें और आगे बढें ।
१३. आप कुछ ऐसे नामचीन फिल्मकारों -नेता-लेखक-पत्रकारों-अधिकारीयों-कलाकारों के नाम बताएँ जिनसे आप व्यक्तिगत तौर पर अत्याधिक प्रभावित हुए हों
उत्तर — सदी के महानायक अभिताभ बच्चन का मेरे जीवन में बहुत महत्व रहा । ,नेता के रूप में डॉ.शंकरदयाल शर्मा.,डॉ.ए.पी.जे अब्दुल कलाम.,राजीव गांधी ,अटलविहारी वाचपेई ,वर्तमान में नरेन्द्र मोदी ने प्रभावित किया । साहित्यकारों मैं बहुत से नाम हैं मैने हर महान आदमी की जीवनी को पढ़कर ,उससे प्रेरणा ली ।
१४. आपकी दैनिक जीवन शैली का अपनी सफलताओं में कितना बड़ा योगदान है ।
उत्तर – बहुत बड़ा योगदान है ,मैं समय का पावंद ,वचन का पक्का हूँ ,मेरी कार्ययोजना पहले से निर्धारित रहती.है ,मुझे हर काम बहुत ही व्यवस्थित करने की आदत है ,इसलिये आज मै समाजहित ,राष्टहित काम करने में सफल हूँ ।
१५. आपको लेखन ,अभिनय के क्षेत्र में अनेक अन्तर्राष्ट्रीय ,राष्टीय सम्मान मिले है कृपया जानकारी दें ।
उत्तर – मैं मूलतः लेखक, मोटीवेशनल स्पीकर, समीक्षक के रूप में देश विदेश में अपने सम्भाषण से सभी को प्रेरित करने का प्रयास कर रहा हूँ । 34 वर्षीय साहित्यिक, सामाजिक, रंगमंचीय, फिल्मी साधना के लिए हमें. अनेक अंतर्राष्टीय ,तथा राष्टीय सम्मान प्राप्त हुये । फिल्म तथा रंगमंचीय जीवन में सफल अभिनय ,निर्देशन के लिये हमें 5 इंटरनेशनल तथा एक इण्डियन फिल्म फेस्टीविल में सम्मान हुआ । इण्डियन फिल्म फेस्टिविल में मुझे , प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री नफीसा अली, फिल्म अभिनेता यशपाल शर्मा, फिल्म अभिनेता राजा बुन्देला, फिल्म अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी, फिल्म अभिनेता आरिफ शहडोली ने सम्मान किया। चम्बल इण्टरनेशनल फिल्म फेस्टिविल के समापन समारोह में अतिथि था ,जिसमें मुझे , दक्षिण भारत की फिल्मों के सुपर स्टार आदित्य ओम, फिल्म अभिनेता रफी खान, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता निर्देशक राजीव श्रीवास्तव, प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता आरिफ शहडोली, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता शाह आलम ने सम्मान किया । अन्तर्राष्टीय बाल फिल्म महोत्सव ,बिहार के समापन समारोह में मेरी अनुपस्थति में , मेरे सहयोगी को ,अभिनेता अखिलेन्दू मिश्रा , ने सम्मान किया । कोंच इंटरनेशनल ओनलाईन फिल्म फेस्टीविल में मुझे फेस्टीविल आयोजक पारस मणि अग्रवाल ने ,सम्मान किया । झारखण्ड में आयोजित लोससफा ओनलाईन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीविल के समापन समारोह में ओनलाईन मुख्यअतिथि के रूप में भागीदारी की ,जिसमें आयोजक फिल्मकार सोरभ भारद्वाज ने फिल्म निर्देशक रिषीप्रकाश मिश्रा ,निर्देशक दीपक शुक्ला ,फिल्म समीक्षक दीपक दुआ ,फिल्म लेखिका निर्देशक नंन्दिता पुरी , फिल्म निर्देशक संदीप मलानी के हस्ताक्षरित ओनलाईन सम्मानपत्र को भेट करके सम्मान किया । नवादा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ,बिहार के समापन समारोह में आयोजक डायरेक्टर अभिनेता राहुल वर्मा ने , देश विदेश में विख्यात 9 विभूतियों के साथ मेरे लाइव टाइम वर्क के लिए ” इंटरनेशनल आउटस्टैंडिंग कंट्रीब्यूशन अवार्ड 2020 ” से सम्मानित किया ।
लेखन ,समाजसेवा के क्षेत्र में प्राप्त मुझे.पाँच अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुये , 55 राष्टीय सम्मान , 200 विभिन्न राज्यस्तरीय सम्मान मिल चुके हैं , लेखन ,समाजसेवा के.क्षेत्र में मुझे तत्कालीन दो राष्ट्रपति जी , तत्कालीन 4 प्रधानमंत्री जी, विभिन्न प्रदेशों के तत्कालीन 13 राज्यपालगण, विभिन्न विश्वविद्यालयों के 13 कुलपतिगण ,विभिन्न प्रदेशों के तात्कालीन छः मुख्यमंत्रीगण सहित अनेक मंत्री विभिन्न मंचों पर अपना-अपना आशीर्वाद तथा अधिकतर सम्मान भी कर चुके हैं ।पश्चिम बंगाल के ता.राज्यपाल महामहिम केसरीनाथ त्रिपाठी जी ने हमें पाँच बार विभिन्न समारोह में सम्मान कर चुके हैं । श्रीराम जन्मभूमि न्यास के टस्टी ,शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज जी भी हमारा सम्मान कर चुके हैं.