विचारणीय प्रश्न केवल यह नहीं है कि जिसकी कुर्बानी दी जा रही है, वह पशु बेजुबान है और उसकी इच्छा-अनिच्छा को अनदेखा किया गया है।
अपितु कटु सत्य यह भी है कि –
@ वह प्रत्येक की प्रिय वस्तु/पशु नहीं, क्योंकि उसका बच्चों की तरह पालन-पोषण नहीं किया गया है और ना ही पूर्वजों से उपहार अथवा संपत्ति स्वरूप मिला है।
@ मनुष्य की भांति जानवरों में भी विविध प्रकार की शारीरिक बिमारियां होती हैं । क्या जिसकी कुर्बानी दी जा रही है, उसका स्वास्थ्य परीक्षण (मेडिकल चेकअप) करवाया गया है ? यदि कोई बीमारी उसे हुई तो क्या खाने वालों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं होगा ?
आपत्ति नहीं जिज्ञासा है