हिमाचल हमारा-सबसे न्यारा-सबका प्यारा

(25 जनवरी को हिमाचल राज्य के 50वें स्थापना दिवस पर केन्द्रित लेख)
(लेख: एस.एस.डोगरा)

भारत के उत्तरी हिमालयन क्षेत्र में बसा, प्राकृतिक सौन्दर्य, बर्फीले पहाड़ों, पर्यटक एवं धार्मिक स्थलों के लिए देवभूमि नाम से विश्व-प्रसिद्ध है हिमाचल प्रदेश. जी हाँ, 25 जनवरी सन 1971, यानि आज से ठीक 50 वर्ष पूर्व हिमाचल को भारतीय गणराज्य में सम्पूर्ण राज्य का दर्जा मिला. हालाँकि हिमाचल के इतिहास पर नजर डाले तो 1 नवम्बर सन 1956 में ही केंद्रसाषित प्रदेश का दर्जा मिल गया था. हिमाचल राज्य स्थापना का श्रेय डॉ. यशवंत सिंह परमार को जाता हैं जो सयोंगवश हिमाचल के प्रथम मुख्यमंत्री भी बने. पहाड़ी क्षेत्र को अलग पहचान दिलाने तथा पहाड़ियों के सर्वांगीण विकास के लिए हमेशा तत्पर रहे इसीलिए उन्हें हिमाचल का जनक भी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. गौरतलब है कि हिमाचलियों ने अपनी देशभक्ति, ईमानदारी, बौद्धिकता, ईश्वर-आस्था, रचनात्मकता, समाजसेवा, मानवता, बहादुरी, कर्मठता, सादगी, आदि गुणों से अपने राज्य की भारत के साथ-साथ विदेशों में भी अनूठी पहचान बनाई है जो किसी भी हिमाचलवासी के लिए सच में गर्व का विषय है. गत वर्ष करोना महामारी के दौरान भी राज्य सरकार-निवासियों ने भी अपने राज्य में इस वैश्विक बीमारी रोकथाम में भी सराहनीय प्रयास किए-जिसने अन्य प्रदेशों को भी प्रेरित किया. और हिमाचल सरकार ने अपने राज्यनिवासियों को घर बैठे ही ऑनलाइन दस्तावेज़ मुहैय्या करवाने में भी उल्लेखनीय पहल की है.

आइए हिमाचल राज्य के महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक तथ्यों पर भी नजर दौडाए. भौगोलिकता के हिसाब से यह राज्य कुल 55,673 वर्गकिलोमीटर भूखंड में फैला हुआ जहाँ अधिकतर क्षेत्र पहाड़ी ही है. पचास वर्ष पूर्व हिमाचल आबादी 34,60,434 थी जो वर्ष 2020 में 75 लाख हो चुकी है. चूँकि मुझे भलीभांति याद आ रहा है जब सत्तर-अस्सी के दशक में अपने पैत्रिक स्थल छुट्टियाँ बिताने या पारिवारिक आयोजन में जाया करते थे तो उस हिमाचल मुलभुत सुविधाओं से वंचित था. जिनमें प्रमुख रूप से बिजली, पानी, सड़क, यातातात साधनों, अस्पतालों, एवं शैक्षिक संस्थाओं आदि इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए जूझ रहा था. लेकिन राज्य का सौभाग्य ही कहें कि राज्य की बागडौर संभालने वाले सभी मुख्यमंत्रिओं-डॉ परमार, ठाकुर राम लाल, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और वर्तमान में जयराम ठाकुर ने अपने अपने कार्यकाल के दौरान अपने राज्य को शिखर पर पहुँचाने में तन-मन-धन से सेवा की है. यहाँ के निवासियों की जागरूकता-जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार के कारण ही, सभी ने मिलजुलकर, पुरे देश के समक्ष हिमाचल की शानदार छवि बनाने में भी प्रसंशनीय उदाहरण पेश किया है. राज्य साम्प्रदायिक एकता का प्रतीक है जहाँ अनेक मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारे, गिरजाघर बड़े सम्मानपूर्वक स्थापित किए गए हैं. बौद्ध धर्म गुरु -नोबल पुरुस्कार विजेता दलाई लामा के सानिध्य में लाखों तिब्बती, धर्मशाला में अमनचैन से स्थायी रूप बस गए हैं. प्राचीनकाल से ही मुग़ल शासक हों या ब्रिटिशर-राजनैतिक हस्तियाँ हो, फिल्म-टेलिविज़न से जुड़े लोग हों, देश-विदेश के पर्यटक-हिमाचल को दिलों जान से प्यार करते हैं. भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री ने तो मनाली में अपना बंगला बनाकर काफी समय हिमाचल में ही बिताया. पिछले दिनों वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी अटल टनल उद्घाटन दौरान हिमाचल राज्य के प्रति विशेष लगाव-भरे विचार प्रकट किए थे.

अपने पचास वर्षों की संघर्षपूर्ण यात्रा के दौरान आज हिमाचल लगभग सभी क्षेत्रों में बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में कामयाब रहा है. आज राज्य में बद्दी-इंडस्ट्रियल एरिया विस्तारपूर्वक विकसित हो चुका है. राज्य के सभी 12 जिले-चम्बा, कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, किन्नौर, शिमला, सिरमौर, सोलन आपस में सड़क-मार्ग से कनेक्टेड हैं. लेकिन राज्य में अब कुछ नए रेल-एवं-हवाई मार्ग विकसित करने की जरुरत महसूस की जा रही है.
आकर्षण का मुख्य केंद्र: नदियों, झीलों, झरनों, बर्फीले पहाड़ों, हरीभरी-घाटियों से लबालब प्रदूषणमुक्त शुद्ध माहौल में, राज्य को अब स्पोर्ट्स-यूनिवर्सिटी, मीडिया यूनिवर्सिटी एवं फिल्म सिटी विकसित करने की दिशा में भी गंभीरतापूर्वक कदम उठाने चाहिए. जिसके परिणामस्वरूप, भावी पीढ़ी को अपने ही राज्य में प्रतिभा को निखारने के साथ-साथ खेलों-मीडिया एवं फ़िल्मी दुनिया में चमकने के अलावा रोजगार एवं आर्थिक पक्ष मजबूत करने में भी मदद मिलेगी और राज्य भी समृद्ध होगा. हालाँकि हिमाचलियों ने सीमित संसाधनों में भी, कृषि, मेडिकल, इंजीनियरिंग, साहित्य, सेना, शिक्षा, समाजसेवा, राजनीती, पुलिस, प्रसाशन, कला, संस्कृति, पर्यावरण, आई.टी. खेलों, मीडिया, फिल्म, टेलीवीजन आदि लगभग सभी क्षेत्रों में देश-विदेशों में खूब नाम रोशन किया है. और अब वह दिन भी दूर नहीं है जब आने वाले भविष्य में, अपनी बौधिक-लीडरशिप के दमखम पर, भारत के सर्वोच्च पद यानि राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री की गौरवशाली गद्दी पर कोई हिमाचली आसीन होगा.

(लेखक: मीडिया एजुकेशन पर दो पुस्तकें भी लिख चुकें हैं तथा वर्तमान में नेपाल से प्रकाशित हिमालिनी पत्रिका के दिल्ली-ब्यूरो प्रमुख हैं.)