हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर राम जानकी संस्थान(आरजेएस) नई दिल्ली और तपसिल जाति आदिवासी प्रकटन्न सैनिक कृषि विकास शिल्प केंद्र ( टीजेएपीएस केबीएसके ) हुगली प.बंगाल के संयुक्त तत्वावधान में आरजेएस वेबिनार डिजिटल संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आपदा में मीडिया कर्मियों की चुनौतियां विषय पर आयोजित वेबिनार में जाने-माने वरिष्ठ पत्रकारों, मीडिया संस्थान और नई पीढ़ी के मीडिया कर्मियों ने भाग लिया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ऐशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन के संस्थापक अध्यक्ष संदीप मारवाह ने कहा कि कि आपदा का ये काल कुछ नया सीख दे जाएगा और कुछ न देकर जाएगा। महाभारत के 18 दिन के युद्ध के बाद एक नए युग की शुरुआत हुई थी । आज हम 70 दिन का युद्ध झेल चुके हैं तो इसके बाद समाज में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इस समय में बहुत से नए मीडिया चैनल और अखबार उभर कर सामने आए हैं। ये समय नकारात्मकता में सकारात्मकता को ढूंढने का है।सरकार ने तो कह दिया कि फीस देने की ज़रूरत नहीं, लेकिन मीडिया संस्थानो से जुड़े लोगों की तनख्वाह और जो आवश्यक खर्चे हैं उनका भुगतान करना ज़रूरी है। बैंक की किश्तों में कोई रियायत नही दी गयी है, जिसकी वजह से परेशानी भी हो रही है। वेबिनार में निदेशक एशिया पैसिफिक वर्ल्ड फेडरेशन फाॅर मैंटल हैल्थ और सिम्बस के चेयरमैन जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ सुनील मित्तल ने कहा कि कोरोना के दौर में मीडियाकर्मी योग और प्राणायाम करके, हेल्दी फ़ूड के द्वारा अपनी इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत कर सकते हैं। नकारात्मक विचारों को मन और दिमाग से निकाल दें।
महामारी के दौर में मीडियाकर्मियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर उनके परिवार में भी तनाव की स्थिति में परिवार के साथ बातचीत करें। उन्हें अपने काम के बारे में बतायें। दूसरा अपने साथियों के साथ और जो भी लोग इस समय आपकी तरह ही काम कर रहे ।हैं उनसे बात करें। अपनी परेशानियों को साझा करें। अल्कोहल और सिगरेट तंबाकू जैसी चीजों का सेवन कम करें। इंडियन आॅब्जर्वर पोस्ट के चीफ एडिटर ओंकारेश्वर पांडेय का कहना था कि सोशल मीडिया में विचारों की अभिव्यक्ति बहुत ही सरल है ,स्वतंत्र हैं,जिसकी वजह से खबरों की सत्यता,स्रोत और मौलिकता पर सवाल उठते हैं। ऐसे में इन कसौटी पर खबरों की सत्यता को मापा जा सकता है। व्हाट्सएप ,ट्विटर या फेसबुक पर कोई भी संदेश को फारवर्ड करने से पहले उसको दो चार बार पढ़ना चाहिए। न्यूज़ चैनल और अखबारों में आने से पहले कोई भी खबर कई जांच परख से होकर गुजरती है इसीलिए उन खबरों के आधार पर खबर की सच्चाई देखनी चाहिए। इन खबरों की सेंसरशिप नही होनी चाहिए क्योंकि इससे लोकतंत्र की गरिमा को या बोलने की स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है। अभिव्यक्ति की आज़ादी भारतीय संविधान ने दी है। लेकिन सच्चाई होनी चाहिए। भाईचारा और अमन-चैन को खतरा ना उत्पन्न हो जाए।राज्यसभा टीवी- के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह ने सरकारों से मीडिया कर्मियों के लिए न्यूनतम राहत देने का निवेदन किया और कहा कि जब सरकार मीडिया कर्मियों को कोरोना यौद्धा मानती है तो जमीन पर भी दिखना चाहिए। उन्होंने कोरोना मारामारी और लाॅकडाउन में दिवंगत प्रवासी मजदूरों और मीडियाकर्मियों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारतीयों ने कई मुश्किल हालातों में विजय पाई है, इसे भी हम मिलकर हराएंगे ।वेबिनार का संचालन रेडियो ब्राॅडकास्टर उदय कुमार मन्ना ने किया जो आरजेएस के राष्ट्रीय संयोजक हैं। तकनीकी सहयोग प्रखर वार्ष्णेय डेली डायरी न्यूज़ का रहा।इसमें द ट्रिब्यून की वरिष्ठ संवाददाता अदिति टंडन, लेखिका और पत्रकार रिंकल शर्मा, पत्रकार उमेश कुमार,रिसर्च स्काॅलर पूजा कुमार कुमारी,पत्रकार ब्रह्मानंद झा आदि ने भाग लिया।