रूहानी अपने घर के आँगन में अपनी सहेलियों के साथ खेल रही थी, कि अचानक उसके घर के सामने एक चमचमाती हुई कार आ कर रूकी। रूहानी अपना खेल छोड़ कर उस कार को हसरत भरी निगाहों से देखने लगी। यह कार उनके पड़ोसी अभी-अभी खरीद कर लाए थे। रूहानी दौड़ते हुए यह खबर अपनी मम्मी को बताने के लिये घर के अंन्दर भागी। वो अपनी मम्मी से पूछने लगी कि हम अपनी कार कब लेगे! हमारे पड़ोसियों के पास तो पहले से ही दो कारें है। आप लोग ऐसी कार क्यूं नही खरीदते? रूहानी की मम्मी को समझ नही आ रहा था कि वो उसको अपनी मजबूरी और लाचारी अपनी गुड़िया जैसी लाडली को कैसे बताऐ? उसके पिता की कमाई से तो घर के रोजमर्रा के खर्चे भी ठीक से पूरे नही होते। बड़ी कठिनाई से तो हम अपने पुराने स्कूटर को चलाने का खर्चा निकल पाते है। ऐसे हालात में हम लोग कार लेने की कैसे सोच सकते है! अपने गम और आंसूओं को छिपाते हुए उसकी मां ने उसे समझाया कि हमारी सभी जरूरते भगवान जी पूरी करते है। तुम भी रोज सुबह उठ कर भगवान से प्रार्थना किया करों। वो तुम्हें भी बहुत जल्द सुन्दर सी कार ले देगे। रूहानी के दिल को यह बात छू गई। उसने अपनी मां से कहा कि अब वो रोज सुबह उठ कर भगवान से ही प्रार्थना किया करेगी कि हमें भी एक खूबसूरत सी कार दिलवा दो।
कुदरत का करशिमा कहिए या बच्चे के मन से निकली हुई सच्ची प्रार्थना का असर। चंद ही दिनों में रूहानी के पापा को दफतर से बहुत लंबे अरसे से रूकी हुई तनख्वाह का बकाया चैक मिल गया। पति-पत्नी दोनों आपस में सलाह करके अपनी इकलोती बिटिया के ख्वाब को पूरा करने के बारें में सोचने लगे। रूहानी के पापा ने एक दोस्त की मदद से कुछ रकम बैंक से कर्ज में ले ली। चंद ही दिनों बाद वो भी बिटिया की मन-पसंन्द लाल रंग की चमचमाती हुई कार अपने घर ले आये। घर पहुंचते ही वो दोनो भगवान का शुक्रिया अदा करने के लिये पूजा करने में व्यस्त हो गये। रूहानी कार की चाबी लेकर खेलते-खेलते कार के पास चली गई। कुछ देर बाद जब वो पूजा करके बाहर आये तो रूहानी के पापा ने देखा कि वो नई नवेली दुल्हन की तरह खूबसूरत कार के ऊपर कुछ टेढ़ी-सीधी लाईनें खींच कर उसे खराब कर रही थी। यह सब देखते ही वो आग- बबूला हो उठे। वो अपने गुस्से पर काबू न रख पाये। उन्होने आव देखा न ताव, रूहानी के ऊपर थप्पड़ों की बरसात शुरू कर दी। रूहानी रोते-बिलखते हुए घर के कोने में जाकर सो गई। घर के बाकी सदस्यों ने भी नई कार की ख़ुशी तो क्या मनानी थी सभी बुझे हुए दुखी मन से बिना कुछ खाये-पीये ही सो गये।
अगले दिन सुबह रूहानी के पापा दफतर जाने के लिये घर से निकले। आगे बढ़ने से पहले वो रूहानी द्धारा कार के ऊपर खींची हुई उन टेढ़ी-सीधी लाईनों को देखने के लिये रूक गये। उन्होने ध्यान से देखा तो उनकी आंखों से आंसू बह निकले। वो अपने आप को कोसने लगे कि मैंने रात को बिना सोचे समझें अपनी बेटी की इतनी पिटाई क्यूं की! पति को इस तरह से रोता देख रूहानी की मम्मी भी बाहर आ गई। पति से उनकी उदासी और परेशानी का कारण जानना चाहा, तो उन्होने कार की तरफ इशारा कर दिया। जहां रूहानी ने चाबी को रगड़ कर कार पर लिखा था – पापा आई लव यू। मौका चाहे कोई भी हो, हमारे प्यारे मासूम बच्चे भी अपने मन की भावनाओं को व्यक्त करना चाहते है। लेकिन कई बार नासमझी के कारण उनका तरीका थोड़ा गलत हो जाता है।
किसी बच्चे को उसकी गलती पर कोई सजा देने से पहले हमें एक बार जरूर सोचना चहिये कि आखिर उनके मन की मंशा क्या है! जौली अंकल का तर्जुबा तो यही कहता है कि फूलों की तरह कोमल हृदय के बच्चे कभी किसी का बुरा करने के बारे में तो सोच ही नही सकते। वो तो अपनी हर छोटी-बड़ी ख़ुशी के पूरा होने पर केवल इतना ही कहना जानते है – पापा, आई लव यू।
जौली अंकल
सरंक्षक-द्वारका परिचय
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