Dwarka Parichay Newsdesk
कोरोना वायरस की स्थिति में लॉकडाउन के मद्देनजर छोटे बड़े मीडिया संस्थानों के पत्रकारों की छंटनी व वेतन कटौती के संबंध में केंद्र सरकार को इस गंभीर विषय पर तत्काल कार्यवाही करने के लिए अनुरोध करते हुए ‘दिल्ली पत्रकार संघ’ (रजि.) ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को पत्र लिखा है। इस आशय की जानकारी देते हुए ‘दिल्ली जर्नलिस्ट एसोसिएशन’ के महासचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार के.पी. मलिक ने बताया कि उन्होंने बहुत विचार करने के बाद पत्रकारों की लॉकडाउन के कारण दयनीय होती आर्थिक हालत और कोरोना महामारी में भी समाचारों के संकलन की आपाधापी में संक्रमित होने के खतरे के बावजूद काम कर रहे पत्रकारों की छंटनी व वेतन कटौती के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है।
के. पी. मलिक ने पत्र में कहा है कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा कर्मचारियों को नौकरी से न निकालने और वेतन देने की अपील को भी दरकिनार किया जा रहा है। छंटनी व वेतन कटौती से पत्रकारों के सामने आर्थिक संकट व असंतोष खड़ा हो गया है। उन्होंने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री को लिखे पत्र में बताया कि ‘दिल्ली जर्नलिस्ट एसोसिएशन’ का महासचिव होने के नाते स्वयं हमने इस संकटकाल में पत्रकार समाज के लोगों की मदद के लिए सरकार से अपील भी की है। हमने अपनी सामर्थ्यनुसार अपनी एसोसिएशन के माध्यम से पत्रकारों के लिए राशन, दवाइयां एवं आर्थिक मदद आदि की व्यवस्था की है। लेकिन लगातार लॉकडाउन के चलते कई पत्रकारों की स्थिति बहुत विकट और दयनीय हो चली है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। तमाम पत्रकार संक्रमण का खतरा उठाते हुए इस महामारी से एक योद्धा को तरह लड़ रहे हैं। केंद्र व राज्य सरकार ने पुलिस, स्वास्थ्य कर्मचारियों और आम जनता की मदद की है। लेकिन पत्रकार अभी भी आर्थिक मदद व सरकारी सुविधाओं से वंचित है।
आज संकट काल में भी पत्रकार समाज को जागरूक कर रहे हैं और उनकी सूचनाओं के आधार पर सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए महामारी को रोकने की कोशिश कर रही है। उन्हीं पत्रकारों के आगे आज रोजी-रोटी का संकट खडा हो गया है। जिस पर सरकार को उनकी समस्या के समाधान के विषय में कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा है कि ‘दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन’ (डीजीए), जो कि नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) से संबद्ध संस्था है, आपसे अनुरोध करना चाहती है कि इन बड़े मीडिया संस्थानों को भारत सरकार द्वारा निर्देशित किया जाए कि इस संकटकाल में पत्रकारों की आर्थिक स्थिति के विषय में विचार करें एवं उनकी छटनी बंद करें, ताकि इनसे जुड़े मीडियाकर्मियों को राहत और उनके परिवार को भी आर्थिक सुरक्षा मिल पाये। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से जुड़े सभी पत्रकार बंधु आपके इस उपकार और की गई चिंता को कभी भुला नहीं सकेंगे।
Source: अशोक कुमार निर्भय