(एस.एस.डोगरा की कलम से)
(Email: ssdogra@journalist.com)
जी हाँ, आज मीडिया ने भी समाज में अपनी एक विशेष जगह बना डाली है. पहले अभिभावक अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजिनियर, वकील, वैज्ञानिक आदि बनाने का सपना देखा करते थे और उन्हें उसी माहौल में पढने तथा बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया करते थे. लेकिन पिछले लगभग 10-15 वर्षों के अवधि में अभिभावक अपनी संतान को मीडिया क्षेत्र में भविष्य बनाने के लिए जागरूक हुए है. वे अपनी संतान को मीडिया क्षेत्र में कामयाब मीडियाकर्मी के रूप में देखना चाहते हैं.
लेकिन पुरे भारतवर्ष के पुस्तकालयों में विशेषतौर पर मीडिया शिक्षा पर लिखित अच्छी किताबों की भी उपलब्धता अवश्य होनी चाहिए. विशेषकर वे मीडिया पुस्तकें, जो, विधार्थियों के जीवन में मार्गदर्शन के साथ-साथ मीडिया को सकारत्मकता से उपयोग करने में मजबूत मानसिकता विकसित कर सकें. यह प्रयास, विधार्थियों में आत्म-विश्वास जागृत करने के साथ-साथ, पढाई में अच्छा करने, कैरियर बनाने और स्व-रोजगार स्थापित करने में प्रेरक एवं सहायक साबित हो सकता है..
सौभाग्य से वर्तमान माननीय प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी जी की भी किताबों के प्रति विशेष रूचि रही है. उन्होंने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” में भी किताबों को उपहार स्वरूप भेंट करने सुझाव सुझाया था. इसके अलावा अपनी अत्याधिक व्यस्तता के बावजूद मोदी जी ने “एग्जाम वारियर्स” नामक रचित उपयोगी पुस्तक लिख डाली जो जो सच में भारतवासियों ही नहीं बल्कि विदेशियों के लिए भी, किताबों के प्रति विशेष सम्मान पैदा करने वाला प्रेरक उधाहरण है. भारतवर्ष में सामाजिक एकता व् मजबूती से विकास करने में मीडिया के योगदान को समय समय पर माननीय प्रधानमंत्री जी ने सराहा है. उन्होंने अपने 2 सितम्बर, 2016 नेटवर्क 18 के ग्रुप एडिटर राहुल जोशी के संग बातचीत में रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म एंड इन्फॉर्म अपनाने की बात कही थी. इसी इंटरव्यू में उन्होंने यही भी कहा था कि “सामाजिक एकता में भी मीडिया कॉन्ट्रिब्यूट कर सकता है। मुझे लगता है हमारी अपेक्षा है, आग्रह भी है और जितनी चिंता मुझे देश, समाज की है उतनी मीडिया वालों को भी है।“
इसी दिशा में, मैंने मीडिया विषय पर एक पुस्तक भी लिखी जिसका नाम है “मीडिया केन डू वंडर्स इन स्टूडेंट्स लाइफ”. साथ मैंने भारत के विभिन्न प्रदेशों में विधार्थियों को “विधार्थी जीवन में मीडिया की भूमिका”, “दैनिक जीवन में सोशल मीडिया का महत्व” तथा “मीडिया एवं पांचवा स्तम्भ विषय पर केन्द्रित अपने मीडिया कौशल माध्यम से राष्ट्र निर्माण के लिए सैकड़ों संस्थाओं में मीडिया कार्यशालाएं आयोजित करता रहता हूँ. साथ ही विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से मीडिया लेखों आदि से नई युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का निरंतर प्रयास कर रहा हूँ. इसीलिए मेरा भी यही मानना है कि उक्त प्रयास को लागू करने से, हमारे देश की दशा एवं दिशा परिवर्तन में क्रान्तिकारी एवं सुखद परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं. जिसकी आज हमारे विधार्थियों में सख्त जरुरत है. विशेषकर वे मीडिया की पुस्तकें, जो, विधार्थियों के जीवन में मार्गदर्शन के साथ-साथ मीडिया को सकारत्मकता से उपयोग करने में मजबूत मानसिकता विकसित कर सकें. यह प्रयास, विधार्थियों में आत्म-विश्वास जागृत करने के साथ-साथ, पढाई में अच्छा करने, कैरियर बनाने और स्व-रोजगार स्थापित करने में प्रेरक एवं सहायक साबित हो सकता है.
इन्टरनेट युग में, किसी भी पेरेंट्स अथवा मीडिया में कैरियर बनाने वाले युवाओं को अनेकों सूचनाएं एवं अवसर आसानी से विभिन्न वेबसाइट, सोशल मीडिया, न्यू मीडिया आदि के माध्यम से तलाश किए जा सकते हैं. लेकिन आज के इन्टरनेट युग में मीडिया विषय पर विशेषकर मीडिया के बेसिक स्किल जानने-समझने, मीडिया में पढाई करने हेतु भरोशेमंद मीडिया संस्थाओं को तलाशने तथा मीडिया में कैरियर बनाने के लिए अच्छी पुस्तकों का अभाव सा महसूस होता है. इसका सबसे बड़ा कारण यही भी है कि इसी मीडिया विषय पर लिखी उपयोगी अच्छी मीडिया पुस्तकों को पुस्तकालयों में सम्मान ही नहीं मिला. कहने का तात्पर्य यह है कि अगर आपका बच्चा मेडिकल, इंजीनियरिंग, वकालत आदि विषय में जानने-समझने कैरियर बनाने की इच्छा रखता है तो अमूमन पुस्तकालयों में उक्त विषयों पर आसानी से अनेकों पुस्तकें मिल जाती हैं. जबकि दूसरी ओर यदि आप मीडिया विषय पर किताब तलाशना चाहें तो आप कितनी भी मश्शकत कर लें आप बड़े-बड़े पुस्तकालयों में भी मीडिया विषय पर किताब नहीं ढूढ पाएँगे. इसीलिए इस विषय पर हमारे जनप्रतिनिधियों-शैक्षिक निति निर्धारकों एवं दूरदर्शी शिक्षाविदों को भारत के उज्जवल भविष्य बनाने का सपना साकार करना है तो अन्य विषयों की भांति मीडिया पुस्तकों को सभी पुस्तकालयों में उपलब्धता हेतु देशहित में सामूहिक प्रयास करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे.
भारतवर्ष को विश्व गुरु बनाने में नित नए, क्रियाशील एवं व्यावहारिक प्रयोग करते आएं है. मेरा दावा है कि आज तक पुरे विश्व में किसी भी देश ने, इस तरह का प्रयास, लागू नहीं किया होगा. आशा है देशहित में, इस सुझाव को भी हमारे निति निर्धारक अवश्य लागूकर एक नया इतिहास रचने में अवश्य कामयाब होंगे. तो फिर देरी काहे कि मीडिया पुस्तकों को भी अन्य पुस्तकों की ही तरह सभी पुस्तकालयों में विशेष स्थान व् सम्मान दिलाएं, भारत का भविष्य उज्जवल बनाएँ.