“खुदा का शुक्र है , हमारे मुल्क में जन्नत निशान रोशन है । अजीब दर्द का रिश्ता है अपनी मिट्टी से, हमारी आंख में हिंदुस्तान रोशन है।” राम जानकी संस्थान, आरजेएस नई दिल्ली के राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना ने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर क़ासिम खुर्शीद की शेरों-शायरी से हिन्दी दिवस पर आयोजित आरजेएस राष्ट्रीय कार्यक्रम का आगाज हुआ। कार्यक्रम में श्री खुर्शीद को संत कबीर राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया गया। इस अवसर पर फोर्ड हॉस्पिटल पटना के सौजन्य से 100 पौधे और डायमंड बुक्स तथा आचार्य प्रेम भाटिया के सौजन्य से पुस्तकें वितरित कर सकारात्मक संदेश दिया गया।
तत्पश्चात् विशिष्ट अतिथि पालिका विनायक हॉस्पिटल के निदेशक डॉ बी झा मृणाल को शहीद भगत सिंह राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया गया। विशिष्ट अतिथि आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में नैनो टेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष और रजिस्ट्रार डॉ राकेश कुमार सिंह को स्टीफन विलियम हाॅकिंग राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया गया। मुख्य अतिथि अतिथि एमएसएमई (डीएफओ) पटना , एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार में निदेशक प्रदीप कुमार को डा.एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से सम्मान प्रदान किया गया। ।डा अनिल सुलभ , हिन्दी साहित्य सम्मेलन को डा.राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया गया।
आरजेएस के मंच से राजनीतिज्ञ मधु मंजरी को सकारात्मक राजनीति करने की अपेक्षा के साथ सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम फीजिकल और वर्चुअल आयोजित किया गया , जिसमें आरजेएस टेक्निकल टीम दिल्ली का सहयोग रहा। मंच संचालन सुमन कुमारी और राष्ट्रीय सम्मान की प्रदाता डा. मुन्नी कुमारी ने किया।
राष्ट्रीय सम्मान2022 के प्रदाताओं में डा.सत्येंद्र सिंह -इंदू सिंह,रोजी एंथोनी-स्वाति ओस्ता,डा.मुन्नी कुमारी, कुमार राजन-श्रीमती कामिनी कुमुद, अनिल परमार,श्री रंजीत कुमार, रत्नाभ प्रसाद और श्रीमती प्रियंका सिन्हा आदि ने अपने पूर्वजों की स्मृति में मंच पर सम्मान प्रदान किया। राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त करने वालों में विभूति विक्रमादित्य, संजीव आजाद ,वैभव भारद्वाज, दिलीप वर्मा, प्रदीप प्रियदर्शी,विनोद रंजन, संतोष शर्मा, बिहार आर्ट थियेटर से आलोक दा,रवि मौर्या(उपस्थिति -विष्णु चंद) और आकांक्षा आदि शामिल रहे ।
कार्यक्रम की व्यवस्था आकांक्षा, अनुराधा सिंह, प्रियंका सिन्हा, कामिनी माथुर, दिलीप वर्मा आदि ने किया। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सभी स्टाफ व्यवस्था को बनाए रखने में सहायक सिद्ध हुए।
बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों से आए सौ ऊपर सम्मानीय लोगों ने सकारात्मक भारत-उदय संकल्प लिया और एक साथ लजीज भोजन का आनंद लिया। लोगों को आरजेएस का सकारात्मक मंच इतना अच्छा लगा कि कई लोग वैचारिक क्रांति के इस मंच से जुड़ गए।