आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया मुहिम – कोरोना-लाॅकडाउन में सरकारें मीडियाकर्मियों को धन्यवाद के साथ सम्मान राशि भी दें

दीपक श्रीवास्तव

इंटरनेट, सोशल मीडिया और व्हाट्सअप्प के दौर में अब समाचार पाने के लिए के बड़े धुरंधरों और बुद्धिमानों को नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए बस उन्हें मार्गदर्शन देने की जरूरत है। सेमिनार और संगोष्ठियों में पत्रकारिता को उपेक्षित करने से काम नहीं चलने वाला हैं। पत्रकारिता के काम में सिर्फ नकारात्मक खबरों को छपने से ख्‍याति नहीं मिलती, बल्कि सकारात्मक खबर से पत्रकारिता का प्रसार बढ़ता है। इसे भी ठीक करने की आवश्‍यकता है। समाज से जुड़ी हर खबर में सकारात्मक पत्रकारिता का होना जरूरी है, तभी मिशन पूरा हो सकता है।

आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया मुहिम के संयोजक उदय कुमार मन्ना जी ने मीडियाकर्मियों को धन्यवाद के साथ सम्मानजनक राशि देंने की वकालत की। उन्होंने पुलिस, स्वास्थ्यकर्मियों और जनप्रतिनिधियों की तरह मीडियाकर्मियों को सम्मान राशि देने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि ये लोग भी दिन रात पूरी तत्परता के साथ समाचार और सूचना सेवा में लगे हुए हैं इसलिए इन्हें धन्यवाद के साथ धन भी मिले।मीडिया कर्मियों की आवाज भी सुनें सरकारें।उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के समय जब लोग अपने घरों से नहीं निकल रहे हैं, ऐसी स्थिती में पुलिस, स्वास्थ्यकर्मी और मीडियाकर्मी अपनी जान की बाजी लगाकर मरीजों और देश की सेवा करने का महत्वपूर्ण काम दिन रात कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से मुकाबले में डाक्टर, नर्से, सफाईकर्मियों के साथ पत्रकारिता से जुड़े मीडियाकर्मियों की बड़ी भूमिका बताते हुए इन सभी के लिए एक सम्मानजनक राशि के तहत दुर्घटना बीमा कवर और इसके अतिरिक्त कोरोना से संक्रमित होकर जान जाने की स्थिति में इनके परिजनों को एक सम्मानजनक राशि किसी भी तरह के राहत कोष से देने की मांग संगठनों के माध्यम से सरकार तक आवाज़ उठाने की मांग करी हैं। मीडियाकर्मी भी सरकार से कदम से कदम मिलाकर कोरोंना वायरस के जलजले को थामने में अपना सर्वस्व समय न्योछावर कर रहे है।

आरजेएस पॉजिटिव मीडिया के उदय कुमार मन्ना जी ने साथ मे यह भी कहा कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकार जो अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगों को सच से रूबरू कराते है वही पत्रकारिता में कुछ ऐसे पत्रकार हैं जिनको अपनी कलम ठीक से पकड़ना भी नही आता ऐसे लोग अपने आपको पत्रकार कहकर क्षेत्र में रुतबा दिखाकर गरीबों का शोषण करने में लगे है और कभी कभी ब्लैकमेलिंग भी करते हैं। ऐसे निम्न स्तर के पत्रकारों की वजह से देश के सच्चे कलमकार पर मुसीबत आ पड़ती है क्योंकि ऐसे पत्रकारों की करनी से एक सच्चा कलमकार बदनाम होता जा रहा है जो एक गंभीर विषय है।सकारात्मक पत्रकारिता और विकासात्मक पत्रकारिता से भारत निर्माण का  लक्ष्य तीव्र गति से आगे बढ़ाया जा रही है। उन्होंने कहा कि जो भी पत्रकार संगठन होते हैं, वह सभी संगठन पत्रकारों के हितों के लिए कार्य करते हैं। सभी संगठनों के काम करने का तरीका अपना-अपना हो सकता है, लेकिन सभी संगठनों की मंजिल एक ही होती है, जो भी पत्रकारों के हितों के लिए कार्य कर रहा होता है। पत्रकार की जोखिम भरी जिन्दगी में सभी पत्रकारों को एकजुट रहना चाहिए, चाहे वह पत्रकार किसी छोटे या बड़े बैनर का हो, यह पत्रकार संगठन के माध्यम से ही संभव हो सकता है। 

इसी विश्वसनीयता के कारण आज इस बदलते परिवेश में मीडिया की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। इसलिए इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि हम क्या दें रहें है इससे कहीं समाज या देश को नुकसान तो नहीं हो रहा। बदलाव के इस युग में पत्रकारिता जितनी ऊपर गई है, उसी प्रकार उतनी ही नीचे गिरी भी है। फिर भी इस बदलते दौर में पत्रकार चाहे वे किसी भी माध्यम से अपने कार्य को बेहतर तरीके से कर रहे हैं। वह सराहनीय योग्य है।(आरजेएस फैमिली व पाॅजिटिव मीडिया के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना से पत्रकार दीपक श्रीवास्तव की आॅनलाइन बातचीत‌ पर आधारित )