आरजेएस पॉजिटिव मीडिया और आरजेएस पीबीएच के संस्थापक और राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना द्वारा आयोजित आज के राष्ट्रीय वेबिनार का विषय था “संगीत से खुशी के ग्रंथिरस(हार्मोन्स) निकलते हैं । वेबिनार की मेजबानी शिक्षाविद् और संस्थापक, मुनि इंटरनेशनल स्कूल, मोहन गार्डन,नई दिल्ली डा अशोक कुमार ठाकुर द्वारा की गई। उन्होंने सकारात्मक भारत-उदय आंदोलन को इतिहास गढ़ने की कवायद बताई। वेबिनार में मुख्य अतिथि, डॉ.देवेंद्र वर्मा ‘ब्रजरंग’, महानिदेशक, राष्ट्रीय संगीतालय परिवार थे। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता उस्ताद असगर हुसैन साहब, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली घराना के प्रसिद्ध वायलिन वादक ने की । और अन्य विशिष्ट अतिथियों में शामिल हुए – रितेश मिश्रा, बॉलीवुड गायक, डॉ. भास्कर झा, निदेशक, स्वरवेणी संगीत गुरुकुल, वीणा विशेषज्ञ, प्रकृति रेखा कलवे, अशोक कुमार मलिक, कवि व आरजेएस पीबीएच प्रवक्ता, शिक्षाविद् डा.ए.के. मर्चेंट, इसहाक खान, लाफ्टर गुरू कुलदीप राय,डा.ओम प्रकाश झुनझुनवाला और अन्य प्रतिभागी।
मेजबान ने वायलिन वादक और संगीत के क्षेत्र के अन्य चार विशेषज्ञों का स्वागत प्यारे शब्द “पंच प्यारे” या पांच प्यारे लोगों का उपयोग करके किया। डॉ.देवेन्द्र वर्मा ने कहा कि यदि हम नाद और ब्रह्म का ध्यान करें और उसे आत्मसात करें तो हम वास्तव में सफल होंगे। उन्होंने हिन्दुस्तानी साहित्य सभा के राजघाट पर मासिक संगीत समारोह में प्रस्तुति संतूर वादन से प्रतिभागियों को लाईव आभासी रूबरू कराया।
उस्ताद असगर हुसैन ने वायलिन के तारों के सूक्ष्म बिंदुओं और संगीतकार के लिए मीड और गमक के महत्वपूर्ण महत्व पर चर्चा की। उन्होंने संगीत के प्रति समर्पित अपने जीवन पर विचार किया और इस बात पर जोर दिया कि समाज में जीवन में सकारात्मकता बेहद जरूरी है। वह जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण के आरजेएस पीबीएच सिद्धांत से प्रभावित हुए और उन्होंने जीवन में हमेशा सकारात्मक बने रहने का संकल्प दिलाया- सकारात्मक बनें, सकारात्मक देखें और सकारात्मक करें। उन्होंने पत्रिका स्वर सरिता के बारे में बताया। सुश्री प्रकृति रेखा कलवे ने वीणा के प्रति अपने जुनून के बारे में बात की और पौराणिक कथाओं में बताए गए वीणा के विकास के बारे में संक्षेप में बताया। सुबह के राग टोडी_ का उनका हार्दिक गायन उनके संगीत की आत्मा को आत्मसात करने के बारे में बहुत कुछ बताता है। अशोक कुमार मलिक, कवि और आरजेएस पीबीएच प्रवक्ता ने संगीत के प्रतीकवाद को भविष्य में मानवता की उच्च मानवीय चेतना के उद्भव का पूर्वाभास बताया। उन्होंने आधुनिक समय में मानवीय मूल्यों की सकारात्मकता की वैश्विक आवश्यकता पर बल दिया। श्री उदय कुमार मन्ना ने आध्यात्मिक गुरु दीदेवर जी की सह-मेजबानी में लोहड़ी के त्योहार पर 14.1.2024 को आरजेएस पीबीएच फिजिकल/वर्चुअल वेबिनार में मेहमानों को आमंत्रित किया। उन्होंने आगामी 21.01.2024 को आरजेएस पीबीएच कार्यक्रम लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, कलावती शरण चिल्डरेन्स हाॅस्पीटल, कनाॅट प्लेस और 13.01.2024 को ग्लोबल फेस्टिवल ऑफ जर्नलिज्म, मारवाह स्टूडियो, नोएडा, एनसीआर में आरजेएस पीबीएच की भागीदारी के बारे में बताया। उन्होंने 2024 में 10 मिलियन हमवतन लोगों में सकारात्मकता फैलाकर आंदोलन को आगे बढ़ाने और यूट्यूब चैनल पर आरजेएस पीबीएच के नियमित सकारात्मक मीडिया संवाद शुरू करने का भी संकल्प लिया।