महापुरुषों और पूर्वजों के सम्मान की अनूठी पहल आरजेएस की पुस्तक में भी होंगे शामिल

आज के माहौल में नई पीढ़ी को महापुरुषों से परिचित कराने की अनूठी पहल राम-जानकी संस्थान आरजेएस द्वारा की गई है। सकारात्मक भारत आंदोलन पांचवीं वर्षगांठ श्रृंखला के अंतर्गत आज भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की 137वीं जयंती 3 दिसंबर को आरजेएस फैमिली ने श्रद्धांजलि दी और सम्मान की घोषणा की।आरजेएस के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने बताया कि भारत रत्न डा.राजेंद्र प्रसाद तीव्र बुद्धि और सादा जीवन उच्च विचार के सकारात्मक व्यक्तित्व थे।हरदम प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए।उनकी प्रारंभिक शिक्षा छपरा(बिहार) में हुई और कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा प्रथम स्थान से पास की। 

डा. राजेंद्र प्रसाद के नाम आरजेएस राष्ट्रीय सम्मान 2021,  पटना बिहार निवासी श्रीमती सिंधू रामलक्ष्मण सिंह और मध्य प्रदेश के तिरोड़ी,जिला बालाघाट निवासी श्री मनोज त्रिवेदी भेंट करेंगे। श्रीमती सिंधू सिंह अपने स्व० पति पूर्व बिहार पुलिस उपमहानिरीक्षक (डी.आई.जी.)स्व० श्री रामलक्ष्मण सिंह और श्री मनोज त्रिवेदी अपने परिवार के समाजसेवी स्व० श्री प्रयागजी भाई जागेश्वर त्रिवेदी एवं स्व० श्रीमती चंद्रप्रभा प्रयाग जी भाई त्रिवेदी की स्मृति में  आरजेएस भारत-उदय डा.राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय सम्मान 2021 प्रदान करेंगे। आरजेएस ऑब्जर्वर दीप माथुर ने 3दिसंबर 1884 को बिहार के जीरादेई गांव(छपरा) में  जन्मे पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि राजेंद्र प्रसाद को माता-पिता कमलेश्वरी देवीमहादेव सहाय के भजन-कीर्तन और रामायण-महाभारत की कहानियों ने  उनके जीवन को संस्कारित किया। वे हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, बंगाली एवं फारसी भाषा जानते थे।एक वकील के रूप में करियर की शुरुआत की और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए। आजादी के बाद 26जनवरी 1950 से 14मई 1962 तक भारत के प्रथम राष्ट्रपति रहे।आपको भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।28फरवरी1963 को सादगी के मिसाल डा.राजेंद्र प्रसाद का निधन हो गया।