“बच्चों के खिलौने कितने सुरक्षित”? विषय पर आरजेएस पीबीएच-सीओएफ ने किया कार्यक्रम

बच्चों के लिए सुरक्षित खिलौनों की चिंता करते हुए राम-जानकी संस्थान पाॅजिटिव ब्राॅडकास्टिंग हाउस स्टूडियोज,नई दिल्ली द्वारा  कंज्यूमर ऑनलाइन फाउंडेशन के सहयोग से अमृत काल का सकारात्मक भारत-उदय का दो सौ छिहतरवां कार्यक्रम  उदय कुमार मन्ना संस्थापक  के संयोजन में आयोजित किया गया । वेबिनार में देश-विदेश से रिकॉर्ड उपस्थिति रही। श्री मन्ना ने आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि व स्वतंत्रता सेनानी कमलादेवी चट्टोपाध्याय को  श्रद्धांजलि दी। उन्होंने आगामी 29 अक्टूबर को आईएएस गांव मुख्यालय,दिल्ली में शैक्षणिक सेमिनार आयोजित करने की जानकारी दी । साथ ही कहा कि अगले साल 15 और 19 जनवरी 2025 को प्रवासी आरजेएशिएन्स सम्मेलन का आयोजन दिल्ली में किया जाएगा।

सह-आयोजक प्रफुल्ल डी शेठ , वाइस चेयरमैन पीएसएआईआईएफ ने   खिलौनों के मुद्दे को बेहद संजीदगी से उठाया। उन्होंने कहा, “हम अपने बच्चों के लिए खिलौनों को कैसे सुरक्षित बना सकते हैं?” 

  द अवेयर कंज्यूमर के इस टाॅपिक को आरजेएस पीबीएच वेबिनार की परिचर्चा के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है और  लगता है कि यह एक चिंगारी होगी। ये आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया के यूट्यूब पर लाईव  प्रसारित किया गया। 

अध्यक्षता कर रहे इंटरनेशनल कंज्यूमर पाॅलिसी के विशेषज्ञ और कंज्यूमर ऑनलाइन फाउंडेशन के संस्थापक प्रो.बिजाॅन कुमार मिश्रा ने  सुरक्षा से संबंधित कई मुद्दों पर चर्चा की और संजीदगी से कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने कहा कि खिलौनों की सुरक्षा की जागरूकता उपभोक्ताओं तक भी पहुंचना चाहिए । कार्यक्रम में मुख्य वक्ता भारत सरकार के ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) में सहायक निदेशक वैज्ञानिक बी – रसुजीत चोंगर ने पीपीटी प्रेजेंटेशन और मुख्य अतिथि एमएसएमई मंत्रालय में  संयुक्त निदेशक डा. आरके भारती ने सुरक्षित खिलौने को लेकर प्रतिभागियों को जागरूक किया। भारत सरकार के दोनों अधिकारियों ने  खिलौनों के नुकीले किनारों, सामग्री के मानकों, हानिकारक रसायनों, नकली खिलौनों और सबसे महत्वपूर्ण रूप से इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव के बारे में बात की।  एक अच्छा सुझाव आया कि एक परीक्षण स्थापित किया जाए जो खिलौनों के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के लिए भी पूर्व परीक्षण करेगा।

 हस्तनिर्मित खिलौनों, जैसे लकड़ी के खिलौनों के बारे में चर्चा की। जैसे कि एक समय में वे बहुत लोकप्रिय थे, और प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय योजना के तहत मेक इन इंडिया पहल के बारे में आह्वान किया था । यहां तक ​​कि उन्होंने एक ऐसे माहौल को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जो इस खिलौना क्षेत्र के नवाचार और रचनात्मकता को पोषित करेगा।

खिलौनों की सुरक्षा मानकों के बारे में रसूजीत चोंगर  ने   सुंदर प्रस्तुति दी। सुरक्षा मानक और BIS से प्रमाणन, जिसमें उत्पाद डिजाइन, परीक्षण, उपयुक्तता और विभिन्न सुरक्षा जांच शामिल हैं, और सरकार इस बारे में क्या कर रही है, कौन से केंद्र स्थापित किए गए हैं, उनकी क्षमता क्या हैं, इत्यादि।

प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम भी बहुत ज्ञानवर्धक रहा। एक सवाल अनियमित क्षेत्र के बारे में भी आया, जो मानकों से बचने वाले खिलौनों का प्रबंधन करता है। और हमने यह चिंता भी व्यक्त की क्योंकि, अगर हम वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को देखें, तो वहां रिकॉल तंत्र उपभोक्ता तक पहुंचता है। अध्यक्षता कर रहे बिजाॅन कुमार मिश्रा ने भी इस बिंदु का उल्लेख किया, कि यह उपभोक्ता तक भी पहुंचना चाहिए। सभी पंचायत स्तरों के माध्यम से इसके बारे में जागरूकता पैदा की जानी चाहिए।

एमएएसई में संयुक्त निदेशक डा.आरके भारती ने कहा कि वे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के क्षेत्र में उद्यमियों के विकास, उनकी कार्यशील पूंजी के आकलन और ऋण सीमा की मंजूरी दी जाती है।।  तो, यह एक महत्वपूर्ण बात हुई कि जहाँ उद्यमी, युवा, विशेष रूप से नए लोग, जो खिलौना निर्माण में उतरना चाहते हैं…

श्री रसूजीत एक जानकार अधिकारी के रूप में, बहुत अच्छी जानकारी दी। हालाँकि, यह भी ज़रूरी है… उन्हें अपने कार्यालय और अपने सहयोगियों को यह बताने की ज़रूरत है कि उपभोक्ता अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही की अपेक्षा कर रहे हैं। इसलिए, उस क्षेत्र में कुछ करने की ज़रूरत है।

डॉ. रावत ने उपभोक्ताओं की ओर से परियोजनाएँ बढ़ाने का मुद्दा भी उठाया है, और रसूजीत जी ने भी उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है।  बीआईएस जागरूकता बढ़ाने के लिए बीआईएस अनुमोदित खिलौनों को प्रदर्शित करने वाले खिलौना पुस्तकालयों की स्थापना पर विचार करेगा।