शिक्षा ,ज्ञान केंद्रित आजीविका के साथ स्वयं का स्वामी बनाए. पुस्तकें ही हमें हमारे विचारों को सदा के लिए अमर करती हैं- डा.जमदग्नि

लोहड़ी,मकर संक्रांति , पोंगल और माघ बिहू के शुभ अवसर पर, उदय कुमार मन्ना, संस्थापक, आरजेएस पीबीएच और राष्ट्रीय संयोजक, आरजेएस पॉजिटिव मीडिया द्वारा ‘शिक्षा, शिक्षक और सिखाया: जीवन या आजीविका के लिए’ विषय पर श्री सुरजीत सिंह दीदेवर का व्याख्यान और‌ प्रश्नोतरी आयोजित किया गया था।  दीदेवर जीवन ज्योति हॉल, पटेल नगर में अमृत काल का सकारात्मक भारत 199 की  बैठक में आरजेएस ऑब्जर्वर, पूर्व निदेशक एमसीडी दीपचंद माथुर ने  मुख्य अतिथि डॉ. शमशेर जमदग्नि, संयुक्त आयुक्त, वाराणसी, यूपी व प्रतिभागियों का स्वागत किया।  आरजेएस पीबीएच पैनलिस्ट प्रफुल्ल पाण्डेय, दुर्गादास आज़ाद उपस्थित थे  इशाक खान,  नंद किशोर, विजय लक्ष्मी पांडे ,डी आर धवन आदि उपस्थित थे।

 कार्यक्रम का शुभारंभ कीमती राही के  सुविचार और  कविता पाठ से हुआ और सिमरन कौर ने लोहड़ी का गीत सुनाया। आरजेएस पीबीएच पैनलिस्ट प्रफुल्ल पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। ओपनिंग रिमार्क्स में श्री मन्ना ने 75वें गणतंत्र दिवस पर लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज कलावती शरण चिल्डरेन्स हाॅस्पीटल कनाॅट प्लेस नई दिल्ली में आरजेएस पीबीएच के राष्ट्रीय कार्यक्रम रविवार 21 जनवरी 2024 को ढाई बजे आमंत्रित किया।

मुख्य अतिथि श्री जमदग्नि का स्वागत करते हुए आरजेएस पीबीएच की प्रथम पुस्तक प्रदान की गई।

आध्यात्मिक गुरु सुरजीत सिंह दीदेवार ने व्याख्यान और प्रश्नोत्तरी में  यह बताया कि हमें गुरुकुल परंपरा से सीखना चाहिए, लेकिन इसकी व्याख्या वर्तमान समय की जरूरतों और चुनौतियों के अनुसार करनी चाहिए, जिसमें हम रहते हैं।  हमें अपना जोर मुख्य रूप से कैरियर-उन्मुख शिक्षा से हटाकर स्वयं के ज्ञान पर केंद्रित करने की आवश्यकता है ताकि कोई व्यक्ति अपने लिए सोच सके और महसूस कर सके कि कोई भी व्यक्ति “स्वयं का स्वामी” है। उनका कहना था कि मनुष्य स्वयं के जीवन का चालक बने।

उन्होंने अपने सिद्धांत को विस्तार से समझाया और कई सवालों के जवाब दिए  प्रतिभागियों से उठाया गया।  आध्यात्मिक गुरु के व्याख्यान से पहले दीदेवर जी के सिद्धांत का सार पेश करते हुए  नंद किशोर द्वारा दी गई वार्ता की सराहना की गई, और किसी के व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ सोच और कार्यप्रणाली में शिक्षा के विभिन्न चरणों के महत्व पर मुख्य अतिथि डॉ. शमशेर जमदग्नि की बातचीत की सराहना की गई। उन्होंने  आरजेएस पीबीएच की पुस्तक की सराहना की उन्होंने कहा कि पुस्तकें ही हमें हमारे विचारों को सदा के लिए अमर करती हैं, इसलिए मैंने पुस्तक लिखी “मैं भारतवर्ष हूं।” समाज को सही दिशा में ले जाने के अपने जीवन और करियर के उदाहरणों से दर्शाया ।  समारोह के अंत में, आरजेएसिएन्स ने एक साथ  लोकप्रिय लोहड़ी लोकगीत की लय पर नृत्य प्रस्तुत किया और सभी आनंद में मग्न हो गए तथा जीवंत सांस्कृतिक माहौल में गुड़, रेवड़ी, दही चूड़ा, मूंगफली और गजक आदि  पारंपरिक व्यंजनों का आनंद भी लिया गया।