“किसान टिकाऊ कृषि पद्धतियों और फसल रोटेशन को अपनाकर वैश्विक बाजार का दोहन कर सकते हैं”। ये कहना था भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक और कृषि मंत्रालय भारत सरकार के पूर्व संयुक्त निदेशक डॉक्टर चंद्रभान सिंह का। उन्होंने कहा कि बेमौसम खेती की नई तकनीक से किसानों को बेहतर कीमत मिलेगी। किसानों को नई तकनीक की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा नई प्रोद्योगिकियों,फसल चक्रण,जैविक खेती और एकीकृत कृषि विधियों के माध्यम से उत्पादकता में सुधार लाया जा सकता है।
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान निफ़्टम, कोंडली के प्रोफेसर डा. प्रसन्ना कुमार ने कहा कि निफ्टेम इच्छुक किसानों और कृषि के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रमाणन, मानक और किसानों के खाद्य प्रसंस्करण की तकनीक से उत्पादन की भरपूर कीमत मिलेगी।
23 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती राष्ट्रीय किसान दिवस पर सर्व हितकारी वेलफेयर फाउण्डेशन के सहयोग से राम-जानकी संस्थान पाॅजिटिव ब्राॅडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना के संयोजन और संचालन में 299 वां संस्करण आयोजित किया गया।
“कृषि क्षेत्र के नए दौर में पूरा विश्व बना एक मंडी स्थिर मूल्य पर हर माल बिकेगा डब्ल्यू टी ओ की झडी”- श्री मन्ना ने डा. चंद्रभान सिंह की इस फसल विविधता पर कविता से कार्यक्रम की शुरुआत की।
ऑनलाइन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आहर पईन बचाओ अभियान के कन्वीनर एम पी सिन्हा ने सवाल उठाया कि आज हमारे किसान अपनी फसल के बीजों का संरक्षण क्यों नहीं कर पा रहे हैं? ये स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने खेतों में अंधाधुंध पेस्टिसाइड के इस्तेमाल से धरती माता को बचाने की अपील की।
रतनाढ़ पंचायत,भोजपुर के अतिथि वक्ता किसान पुत्र भानू प्रताप सिंह ने कहा कि चावल- गेहूं के अलावा क्षेत्र के किसानों के लिए नई तकनीक की जानकारी ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने की जरूरत है।
कार्यक्रम में बिन्दा मन्ना, राजेन्द्र सिंह कुशवाहा , अशोक कुमार मलिक, सुदीप साहू, लक्ष्मण प्रसाद,ओमप्रकाश,मयंक सोनेश कुमार पाठक, धर्मेंद्र कुमार प्रेमी, आकांक्षा ,सोनू मिश्रा,तरूण ,मानेंद्र, गजेन्द्र, और धनजीत वर्मा आदि शामिल हुए।