आषाढ़ पूर्णिमा पर दिवस का महत्व आरजेएस के राष्ट्रीय शैक्षणिक वेबिनार में बताया गया। वक्ताओं ने कहा कि 4जुलाई स्वामी विवेकानंद की 118 वीं पुण्यतिथि है तो इसी दिन भगवान बुद्ध ने बोधगया में ज्ञान प्राप्ति के बाद सारनाथ में प्रथम प्रवचन – धर्म-चक्र प्रवर्तन का उपदेश दिया। सभी प्रतिभागियों ने इन महापुरुषों और गुरूओं को 5जुलाई गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर वेबिनार में नमन-वंदन किया ।
वेबीनार को मुख्य अतिथि इहबास, दिल्ली सरकार के निदेशक डॉ निमिश देसाई, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वहाब हिंदी विभागाध्यक्ष ,इस्लामिया कॉलेज, तमिलनाडु ने वेबिनार की अध्यक्षता की वहीं मुख्य वक्ता एजुकेशनल मोटीवेटर डॉ अशोक कुमार ठाकुर संस्थापक मुनि इंटरनेशनल स्कूल दिल्ली रहे। अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत आरजेएस के प्रेरणा स्रोत सेवानिवृत्त एसडीओ राम जग सिंह ने अपने पोते मयंक राज के साथ किया ।
संयोजन तथा संचालन रेडियो ब्रॉडकास्ट उदय मन्ना ने किया वहीं वेबीनार में तकनीकी सहयोग डेली डायरी न्यूज़ का रहा। इसका आयोजन राम-जानकी संस्थान (आरजेएस) नई दिल्ली द्वारा किया गया।अगला वेबिनार सकारात्मक भारत दिवस 24जुलाई के उपलक्ष्य में करने की घोषणा की गई और लोग फिलहाल सकारात्मक कार्यों की अपनी कहानी अपनी जुबानी आॅडियो-विडियो-विचार भेज रहे हैं। महापुरुषों के नाम पर अपने पूरखों की स्मृतियों में आरजेएस अवार्ड्स भेंट करने की अनूठी पहल का स्वागत किया गया। राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए डॉक्टर निमिश देसाई ने कहा कि विद्यार्थियों को उम्मीद और आशा की किरण को अपने जीवन में सतत् बनाए रखना चाहिए ।जैसे स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि उठो, जागो और रुको मत, जब तक मंजिल नहीं मिल जाए। इसी प्रकार सकारात्मक जीवन सफलता की ओर ले जाती है चलते रहो। उम्मीद रखें और प्रयासरत रहें ।
मुख्य वक्ता डॉ अशोक कुमार ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि पूरी दुनिया भाव से संतुलित रहती है ।खाना कितना भी अच्छा हो, लेकिन भाव नहीं हो ,तो किसी काम का नहीं। बच्चे जीवित प्राणी है, इनका भावों से ही निर्माण करें ।आज अभाव समाज में भाव का है ।आशंका और संदेह से समाज का संतुलन बिगड़ गया है ।इसलिए थिंक ग्लोबली और एक्ट लोकली। वैश्विक दृष्टिकोण रखकर स्थानीय जरूरतों को मुहैया कराने की आवश्यकता है ।हम अपने अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखेंगे तो विश्व में का पर्यावरण अपने-आप स्वच्छ हो जाएगा।वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए डा. वहाब ने कहा कि सकारात्मकता का भाव स्वयं के विश्वास के साथ मनुष्य के मन में उपजना चाहिए। मनुष्य के परिवार से ही सकारात्मक शिक्षा या सोच का आरंभ होता है। इसलिए माता पिता और परिवारजनों को चाहिए कि वे अपने बच्चों के सामने हमेशा सकारात्मक बातें करें। उनकी बातों और व्यवहार से ही बच्चों के मन में उम्मीद जगती है और पढ़ाई में उत्साह बढ़़ता है। शिक्षक कभी अपने छात्रों को हतोत्साहित नहीं करें। कमजोर छात्र की तुलना प्रतिभावान से कभी न करें। यह शिक्षक का धर्म है। आगे उन्होंने कहा कि असंभव शब्द को हमें अपने जीवन रूपी कोश से हटा देना चाहिए।
कालिंदी काॅलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा आकांक्षा मन्ना ने वन महोत्सव के मद्देनजर पर्यावरण की रक्षा के लिए सकारात्मक सोच के साथ पौधारोपण पर अपना व्याख्यान दिया और प्रेरित किया।वेबिनार में सकारात्मक भारत आंदोलन से जुड़े कुछ राज्यों से आरजेएस फैमिली और पाॅजिटिव मीडिया उपस्थित रहे। इनमें आरजेएस-आइडियल एजुकेशन & एग्री-कल्चरल सेंटर बिहार के निदेशक आरजेएस राष्ट्रीय स्टार अजय कुमार और छात्र सत्यम आदित्य, शिक्षिका मधु जुनेजा और विजय लक्ष्मी,बेबीनार में पैक्स अध्यक्ष-रतनाढ़, बिहार आरजेएस स्टार भानूप्रताप सिंह , बेरथ गांव के प्रह्लाद कुमार ,धोनी सिंह ,छोटू कुमार ,प्रेम प्रताप ,सूरज कुमार, फुनि कुमारी ,भोलू कुमार आदि छात्र-छात्राओं के साथ उपस्थित रहे। आरजेएस राष्ट्रीय आरजेएस स्टार डा.नरेंद्र टटेसर(निदेशक पूर्ति फूड विजन, दिल्ली) आरजेएस स्टार पत्रकार प्रखर वार्ष्णेय, डा. ऋतुपर्णा घोष, डा.आर.के.गुप्ता,अमित,रजनीश कुशवाहा,पूजा, रोहिणी चौहान,सरिता मलिक आदि ने भी वेबिनार मेंवक्ताओं से सवाल पूछे।