विश्व शांति दिवस के उपलक्ष में अध्यात्म और योग विषय पर आरजेएस राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन सीनियर सिटीजन काउंसिल पंचकूला के सहयोग से आयोजित किया गया वक्ताओं ने कहा कि शारीरिक और मानसिक शांति के लिए मनुष्यों को योग और अध्यात्म को जीवन में अपनाना जरूरी है आयोजक संस्था राम जानकी संस्थान(आरजेएस)के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना और तपसिल जाति आदिवासी प्रकटन्न सैनिक कृषि बिकाश शिल्पा केंद्र (टीजेएपीएस केबीएसके) के सचिव सोमेन कोले ने कहा कि आजादी की अमृत गाथा के 75 श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रमों का यह आठवां अंक था। अगले 26 सितंबर 2021 को वर्चुअल बैठक में अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस पर अमृत गाथा का नौवां अंक होगा।
वेबिनार के मुख्य अतिथि आचार्य प्रेम भाटिया और मुख्य वक्ता प्रचारक सुरजीत सिंह कोहली थे वहीं स्वामी डा.अमृता दीदी ने अध्यक्षीय संबोधन दिया और धन्यवाद ज्ञापन सीनियर सिटिजन्स काउंसिल पंचकूला के अध्यक्ष आरपी मल्होत्रा ने दिया।वेबिनार में शहीद कनकलता बरूआ और मैडम भीकाजी कामा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर शिक्षिका ज्योति और डा.अभिलाषा गौतम ने प्रकाश डाला वहीं श्री उदय मन्ना ने सफल संयोजन व संचालन के साथ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को याद किया । स्वागत भाषण आरजेएस ऑब्जर्वर , पूर्व निदेशक एमसीडी दीप माथुर ने किया और कहा कि आरजेएस सकारात्मक भारत आंदोलन के अंतर्गत अमृत गाथा देशवासियों में अलख जगाता रहा है।
आज अध्यात्म और योग पर आमंत्रित वक्ताओं के संदेश दर्शकों को प्रेरित करेंगे।पूजनीया स्वामी डॉ. अमृता दीदी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में आयुर्वेद ,अध्यात्म और योग के माध्यम से स्वास्थ्य प्रबंधन पर अपने विचार रखे।वृद्धावस्था में होने वाले अनेक रोगों जैसे अनिद्रा ,भूलने की बीमारी, पोस्ट कोविड की शारीरिक कमजोरी और साइड इफेक्ट्स से जुड़ी अनेकों समस्याओं पर उन्होंने समाधान प्रस्तुत किया । RJS प्रश्नोत्तरी के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों और डा.नरेंद्र टटेसर के पूछे गए जिज्ञासाओं का समाधान किया। योगाभ्यास से मन में आने वाले नकारात्मक विचारों को कैसे तुरंत दूर करके स्ट्रेस और डिप्रेशन को दूर भगाया जाए ? इसके लिए उन्होंने अंतर्शक्ति को जागृत करने का सरल योग भी वेबिनार के दर्शकों को बताया ।योगी कवि आचार्य प्रेम भाटिया ने कहा कि मन खराब होता है तो सबसे पहले वह तन को खराब करता है ।तन को ठीक करने के लिए मन का ठीक रहना जरुरी है ।”अगर तन ठीक हो ,तो सारे दे देते हैं छूट ।मन अगर ठीक ना हो, तो कौन दे देता है छूट, छूट तन की देने वाला तन से होता है सही, छूट मन की देने वाला मन से होता है सही।”मन का काम होना चाहिए कि वो तन का पोषण संरक्षण और सदुपयोग करे।योग और अध्यात्म की चर्चा करते हुए श्री प्रेम भाटिया ने कहा कि अध्यात्म का मतलब आचरण में लाना है जबकि योग में सब कुछ है, ईश्वर की शक्तियां योग में शामिल हैं। “जो मेरे लिए है वह सबके लिए है, जो सबके लिए है वह मेरे लिए है।”मुख्य वक्ता प्रचारक सुरजीत सिंह कोहली ने कहा कि शरीर जहां होता है ,निश्चित रूप से श्वास भी वहीं रहता है । लेकिन शरीर और श्वास एक जगह रहने पर भी विचार भी वही रहें, यह कोई जरूरी नहीं ।अगर शरीर श्वास और विचार एक ही जगह मानव के अंदर रहें, तो शांति रहेगी और इनके समन्वय से आध्यात्मिक विकास होगा। योग और अध्यात्म एक दूसरे में सम्मिलित हैं। इनके मिश्रण से ही जीवन के उद्देश्यों की पूर्ति और विकास संभव है।वर्चुअल बैठक में वरिष्ठ नागरिकों के अलावा तमाम राज्यों की आरजेएस फैमिली ने शामिल होकर शोभा बढ़ाई।