आरजेएस पीबीएच का 223वां कार्यक्रम विश्व जनसंख्या दिवस पर आयोजित हुआ

आरजेएस पीबीएच संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना के संयोजन में अमृत काल का सकारात्मक भारत-उदय -233 वाँ वेबीनॉर का आयोजन किया गया । विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई के उपलक्ष्य में रविवार 7 जुलाई‌ 2024 को “स्थायी भविष्य के लिए सतत जनसंख्या वृद्धि ” विषय पर राष्ट्र प्रथम ,भारत एक परिवार ,विश्व एक   घर की भावना को मजबूत बनाने के लिये यह कार्यक्रम नेशन वाइड टू वर्ल्ड वाइड आयोजित किया गया । आज का  सह-आयोजक माता रामरती देवी मंदिर कृषक प्रयोगशाला एवं कृषक  पयर्टन स्थल कान्धरपुर , गाजीपुर के संस्थापक राजेंद्र सिंह कुशवाहा रहे।उन्होंने तमसो मा ज्योतिर्गमय श्लोक से वेबिनार की शुरुआत की और सभी अतिथियों का स्वागत किया।

कार्यक्रम के संचालक मनोहर मनोज इकॉनोमिस्ट एवं सीनियर जर्नलिस्ट ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि भारत की जन्मदर घटी है । अब जन्म दर 2.1 के स्तर पर आ गयी है महिला पुरुष अनुपात सौ और एक सौ छह पहुंच गया है । औसत जीवन सत्तर वर्ष से ज्यादा हो चुकी है । भारत की बढ़ती जनसंख्या संसाधनों पर बोझ बन रही है । डा. शैलेश कुमार सहायक प्रोफेसर ज्योग्राफी  विभाग जयप्रकाश यूनिवर्सिटी छपरा बिहार , विशेष अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि हमने जनसंख्या की आवश्यकता पूरी करने में जंगलों का विनाश कर दिया । बंगाल में हर घर में तालाबों के होने का जिक्र किया और जंगल कटने से आने वाली बाढ़ के पानी को रोकने की व्यवस्था नहीं है ,जिस कारण भू जल स्तर लगातार गिरता जा रहा । हमने पुराने तालाबों कुंओं को पाट दिया । चीफ गेस्ट प्रो. संजोय राॅय हेड डिपार्टमेंट ऑफ सोशल वर्क दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि देश को जनसंख्या के मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है । विश्व की जनसंख्या 1987 में पांच अरब हो गयी तो विश्व संस्था ने देशों का ध्यान खींचने के लिये जनसंख्या दिवस जैसे आयोजन पर कार्य किया ।विश्व जनसंख्या दिवस ग्यारह जुलाई 1990  से मनाया जाने लगा । आज विश्व की जनसंख्या आठ अरब से ज्यादा है। चीन और भारत की जनसंख्या सबसे ज्यादा है । भारत पहला देश है जिसने जनसंख्या पर बोलने का काम किया । उन्होंने नारा दिया हिंदु , मुस्लिम, सिख, ईसाई – छोटे परिवार से सबकी भलाई । कम जनसंख्या होना समृद्धि की निशानी है । डा. अनिरुद्ध कुमार एसोसियेट प्रो. एवं हेड टी.एम . भागलपुर यूनिवर्सिटी भागलपुर बिहार ने बताया कि पृथ्वी का आकार निश्चित है उसको बढ़ाया नहीं जा सकता है । जनसंख्या से गरीबी का सीधा संबंध हैं । गरीब देशों में जनसंख्या दर ज्यादा है । विश्व ,जनसंख्या विस्फोट के दुष्परिणाम भुगत रहा है। यदि पश्चिम के उपभोग की दर से भारत जैसे अधिक जनसंख्या वाले देश उपभोग कर दें तो विनाश को कोई रोक नहीं सकता है । सह-आयोजक राजेन्द्र कुशवाहा  और उनकी बहन सुषमा जो हैदराबाद से जुड़ी थीं, ने अपने अश्रूपूरित नेत्रों से पिताजी स्व०श्री रामवृक्ष सिंह कुशवाहा का जीवन परिचय व संस्मरण सुनाया । कार्यक्रम संयोजक उदय मन्ना ने  मंच संचालन के लिये मनोहर मनोज व सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों और टेक्नीकल टीम का धन्यवाद दिया देते हुए अतिथियों को दिल्ली में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में 11 अगस्त को‌ आमंत्रित किया। हर रविवार आरजेएस वेबिनार के अंतर्गत 14‌जुलाई को 11 बजे “इंडियन पिनल कोड : ओल्ड vs  न्यू” विषय पर उज्जवल वीमेन एसोसिएशन द्वारा को-ऑर्गेनाइज करने सूचना की। कार्यक्रम के अंत में इंटरैक्टिव सेशन में एडवोकेट सुदीप साहू, डॉ देवेंद्र वर्मा, डॉक्टर प्रशांत कुमार,  कनक, रामकुमार कुशवाहा, दिनेश कुशवाहा, सत्येंद्र त्यागी ,सुमन त्यागी ,इसहाक खान ,सुषमा सिंह ,उदय सिंह ,शशांक ,सुरेंद्र सिंह ,मीरा मौर्या ,शुभ्रा ,सागर कुमार दास ,रोशन कुमार, रवि ,सोनू कुमार मिश्रा,डॉ प्रशांत कुमार , विजय कुमार सिन्हा आदि शामिल हुए। दीपचंद माथुर, सुरजीत सिंह दीदेवार,डॉ मुन्नी कुमारी आदि ने उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।