श्रीराम नाम के स्मरण मात्र से जीवन की नैया भवसागर से पार होती है-मनोज तिवारी

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष एवं उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद श्री मनोज तिवारी धर्म जागरण समन्वय एवं विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित राम कथा का श्रवण करने के लिए रोहताश नगर पहुँचे, जहाँ उन्होंने श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज श्रीमुख से हो रही राम कथा का श्रवण किया। इस अवसर पर राम का था के मुख्ययजमान श्री विकास त्यागी एवं श्री शिव कुमार कौशिक ने उनका स्वागत किया, जिला अध्यक्ष श्री कैलाश जैन, भाजपा नेता श्री नीरज तिवारी, श्री जितेंद्र महाजन, मीडिया विभाग सह-प्रमुख श्री आनंद त्रिवेदी, श्री बीरेंद्र खंडेलवाल, श्री सुशील चैधरी, निगम पार्षद श्रीमती सुमन लता नागर, मंडल अध्यक्ष श्री धर्मबीर नागर, श्री चन्द्र प्रकाश शर्मा, श्री विकास त्यागी सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

श्रीराम कथा पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्री मनोज तिवारी ने कहा कि प्रभु श्रीराम का नाम लेने से ही व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। श्रीराम कथा सतमार्ग पर चलने का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि परम की खोज के लिए हमें जागना होगा। उन्होंने कहा कि संत का चिंतन राष्ट्र के लिए होता है। वह अपने स्वार्थ के लिए नहीं सोचते। विश्वामित्र ने समाज की रक्षा के लिए राम लक्ष्मण को दशरथ से मांगा था। परमार्थ की दृष्टि से किए गए कार्य का साक्षी स्वयं परमात्मा होता है। विश्वामित्र ने यज्ञ की रक्षा के लिए दशरथ से श्री राम एवं लक्ष्मण को मांगा इसके पीछे उनका उद्देश्य युवा शक्ति को जागृत करना था। हर राष्ट्र की रीढ़ युवा शक्ति होती है। इसके माध्यम से देश विकास पथ पर अग्रसर होता है। हमारे देश को भी आज ऐसी ही युवा शक्ति की आवश्यकता है, जो राष्ट्र के प्रति चिंतन करे।

श्री मनोज तिवारी ने कहा कि श्रीराम और भरत की कथा भाई-भाई के रिश्ते का बेहतरीन उदाहरण है। यह कथा भाई के प्रति भाई के कर्तव्य समझाती सिखाती है। आज के परिवेश में भाई-भाई छोटे-छोटे झगड़ों ओर स्वार्थों के कारण अलग हो जाते हैं और एक-एक दूसरे को अपना दुश्मन तक मान लेते हैं। ऐसे में श्रीराम कथा की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। भगवान श्रीराम का सानिध्य प्राप्त करने के लिए किसी पूजा की जरूरत नहीं है। उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रेम की जरूरत है। गोस्वामी तुलसी दास ने भी मानस में लिखा है रामहि प्रेम पियारा। भगवान राम को तो प्रेम प्रिय है श्रीराम कथा के श्रवण से विरक्तियो से मुक्ति और जीवन मे उतारने से लक्ष्य सिध्दि का योग बनता है।