हिंदी स्वतंत्र रुप से प्रवाहमान वैश्विक भाषा बनीं: दयानंद वत्स


अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ के तत्वावधान में आज उत्तर पश्चिम दिल्ली स्थित संघ के मुख्यालय बरवाला में संघ के राष्ट्रीय महासचिव दयानंद वत्स की अध्यक्षता में हिंदी दिवस पर हिंदी की दशा और दिशा विषयक राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन किया। अपने संबोधन में श्री वत्स ने कहा कि अब हिंदी रोजगार की भाषा बन रही है, हिंदी का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। हिंदी की वैश्विक पहचान बनीं है।

हिंदी के प्रति लोगों की सोच बदली है। शिक्षा, साहित्य, फिल्म, टी.वी, इंटरनेट, प्रिंट, इलैक्ट्रोनिक.सोशल एवं डिजिटल मीडिया पर हिंदी के चाहने वालों की संख्या करोडों में बढी है। भारतीय हिंदी फिल्मों और टीवी धारावाहिकों, हिंदी समाचार चैनलों, हिंदी के समाचार पत्रों और पत्रिकाओं, रेडियो ने हिंदी के प्रचार-प्रसार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। श्री दयानंद वत्स ने कहा कि विश्व के तमाम देशों के लोग स्वेच्छा पूर्वक हिंदी सीख रहे हैं। हिंदी में साहित्यिक कृतियों के प्रकाशन में भी आशातीत वृद्धि दर्ज की गई है। हिंदी भारतीय अस्मिता और संस्कृति की अमिट पहचान है। हिंदी मीडिया और मीडियाकर्मियों ने भी हिंदी के उन्नयन में महती भूमिका निभाई है। अब लोग गर्व से हिंदी बोलते हैं। हिंदी अब रोजगार की भाषा बन गई है। इसलिए अब हिंदी की दशा सुदृढ और दिशा गतिशील है।श्री वत्स ने कहा कि हिंदी का किसी भाषा से कोई मुकाबला नहीं है। हिंदी स्वतंत्र रुप से प्रवाहमयी वैश्विक भाषा है।