अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव दयानंद वत्स ने आज संघ के मुख्यालय बरवाला में हिंदी के सुप्रसिद्ध व्यंग्य लेखक स्वर्गीय श्री हरिशंकर परसाई को उनकी 22वीं पुण्यतिथि पर आयोजित एक सादा समारोह में.भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। अपने संबोधन में श्री वत्स ने कहा कि परसाई जी ने ही सर्वप्रथम व्यंग्य को विधा का सम्मान दिलाया था। उनकी रचनाओं में खोखली होती जा रही सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में पिसते मध्यमवर्गीय समाज की पीडा मुखरित हुई है। कर्मकांड, सामाजिक पाखंड, रुढिवादी जीवन मूल्यों में जकडे समाज को उन्होने विवेक और विज्ञान से जोडकर सकारात्मक सोच विकसित की। श्री वत्स ने कहा की परसाई जी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व करिश्माई था। उनके लिखे सभी व्यंग्य लेख आज भी प्रासंगिक हैं। प्रेमचंद के फटे जूते, भेडें और.भेडिये, विकलांग श्रद्धा का दौर, बेईमानी की परत, भूत के पांव पीछे, आवारा भीड के खतरे,अपनी अपनी बीमारी, वैष्णव की फिसलन, काग भगौड़ा, सदाचार का ताबीज, माटी कहे कचम्हार से, शिकायत मुझे भी है अविस्मरणीय व्यंग्य लेख हैं। इसीलिए परसाई जी की गणना कालजयी लेखकों में की जाती है।
22वीं पुण्यतिथि पर सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई को दी भावभीनी श्रद्धांजलि, व्यंग्य विधा के पुरोधा थे हरिशंकर परसाईः दयानंद वत्स