अपने पूर्वजों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध इस बार 9 सितंबर से शुरू हो रहे हैं, लेकिन यह भी जान लेना जरूरी है कि किसका श्राद्ध कब किया जाए। अपने-अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा रूपी नैवेद्य अर्पण करने वाला पावन पर्व श्राद्ध 24 सितंबर तक चलेगा।
इसलिए करते हैं श्राद्ध-
सभी सनातन धर्म को मानने वाले कुलपंरपरा के प्रति श्रद्धा रखने वाले लोग भाद्रपद पूर्णिमा से अपने दिवंगतों के लिए तिलांजलि, तर्पण-पिंडदान आदि करेंगें। माना जाता है कि इस कर्म से द्वारा पितृऋण से मुक्ति मिलती है। श्राद्धों में पुत्र या परिवार वालों का कर्तव्य होता है कि वो अपने माता-पिता तथा पूर्वजों के निमित्त श्रद्धापूर्वक ऎसे शास्त्रोक्त कर्म करें जिससे उन मृत प्राणियों को परलोक अथवा अन्य लोक में भी सुख प्राप्त हो सके।
पूर्वज या पितृगण मन के सामान तीव्र गति से वंशजों के घर जा पहुंचते हैं श्राद्ध में ब्राह्मणों के शरीर में प्रविष्ट होकर भोजन करते है और तृप्त होकर आशीर्वाद देकर पितृलोक जाते हैं। पितृरूपी विष्णु के पसीने से तिल की और रोम से कुश की उत्पत्ति मानी जाती है इसीलिए तर्पण और अघ्र्य के समय तिल और कुश का प्रयोग किया जाता है।
सभी सनातन धर्म को मानने वाले कुलपंरपरा के प्रति श्रद्धा रखने वाले लोग भाद्रपद पूर्णिमा से अपने दिवंगतों के लिए तिलांजलि, तर्पण-पिंडदान आदि करेंगें। माना जाता है कि इस कर्म से द्वारा पितृऋण से मुक्ति मिलती है। श्राद्धों में पुत्र या परिवार वालों का कर्तव्य होता है कि वो अपने माता-पिता तथा पूर्वजों के निमित्त श्रद्धापूर्वक ऎसे शास्त्रोक्त कर्म करें जिससे उन मृत प्राणियों को परलोक अथवा अन्य लोक में भी सुख प्राप्त हो सके।
पूर्वज या पितृगण मन के सामान तीव्र गति से वंशजों के घर जा पहुंचते हैं श्राद्ध में ब्राह्मणों के शरीर में प्रविष्ट होकर भोजन करते है और तृप्त होकर आशीर्वाद देकर पितृलोक जाते हैं। पितृरूपी विष्णु के पसीने से तिल की और रोम से कुश की उत्पत्ति मानी जाती है इसीलिए तर्पण और अघ्र्य के समय तिल और कुश का प्रयोग किया जाता है।
किसका किस दिन करें श्राद्ध-
परिवार की मृत सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध नवमी को, सन्यासियों का एकादशी, आत्महत्या, शस्त्र, विष, दुर्घटना, सर्पदंश वज्रघात, अग्नि से जले हुए, हिंस्त्र पशु का शिकार हुए, आत्महत्या या हमले का शिकार हुए दिवंगत जनों के लिए श्राद्ध का दिन चतुर्दशी नियत है। यदि किसी की मृत्यु तिथि मालूम नहीं हो तो उनके लिए अमावस्या के दिन श्राद्ध किया जाता है।
इस दिन भी कर सकते हैं श्राद्ध-पुराणों के अनुसार श्राद्ध करने के छियानवे अवसर हैं जिनमें बारह महीने की बारह अमावस्या, सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग के प्रारम्भ की चारों तिथियां, मनुवों के आरम्भ की चौदह मन्वादि तिथियाँ, बारह संक्रांतियां, बारह वैधृति योग, बारह व्यतिपात योग, श्राद्धपक्ष की तिथियां पांच अष्टका, पांच अन्वष्टका और पांच पूर्वेद्युह शामिल है।