मंसूरी यानि प्राकृतिक सौन्दर्य का अदभुत नज़ारा

Ariel view of Mussorrie

एस. एस. डोगरा 

उत्तराखण्ड को भारत का स्विट्ज़रलैंड माना जाता है। हरे-भरे वृक्ष, ऊंची-ऊंची पहाड़ियाँ, झील-झरने, प्राकृतिक सौन्दर्य का अदभूत नज़ारा देखने को मिलता है पहाड़ों की रानी मंसूरी में। भारत की राजधानी दिल्ली से मात्र 290 किलोमीटर दूर तथा समुन्द्रतल से 2003 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बेहद लोकप्रिय पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है मंसूरी। प्राकृतिक सौन्दर्य के दीवाने गर्मियों में ठण्डक लेने के लिए तथा सर्दियों में बर्फ से ढकी पहाड़ियों पर लुत्फ उठाने, मंसूरी, अक्सर घूमने चले आते हैं। उत्तराखण्ड की राजधानी देहारादून से केवल 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंसूरी में अनेक दर्शनीय स्थल है। इन दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए स्थानीय बसों तथा निजी वाहनों की मदद से देखा जा सकता है। वैसे मंसूरी शहर में, स्थानीयबस सेवाओं हेतु लायब्रेरी बस स्टैंड, मैसोनिक लोजे तथा टिहरी बस स्टैंड से विभिन्न पर्यटक स्थल तक पहुँचने में सहायक साबित होते हैं। हालांकि इन निजी टैक्सी का भाड़ा थोड़ा अधिक खर्चीला पड़ता है। परन्तु अधिकांश रूप से निजी टैक्सी से अधिकाधिक दर्शनीय स्थल देखने में सुगमता रहती है।

Mussorrie Lake

हिमालयन श्रंखलाओं में स्थित पहाड़ों की रानी को चरितार्थ करने में मंसूरी का कोई मुक़ाबला नहीं है। हरियाली, विशाल पर्वत श्रंखलाओं, घाटियों, सुन्दर फूलों से सुसज्जित मंसूरी में अनेक दर्शनीय स्थल हैं जिनहे देखने के लिए वर्ष भर पर्यटकों का आवागमन चलता ही रहता है। मंसूरी में सबसे अधिक लोकप्रिय कैंपटी फॉल है जो मंसूरी से यमनोत्री रोड पर मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर निरन्तर बहता हुआ जीवन को जाँबाज तरीके से जीने का संदेश देता है। यह समुन्द्रतल से 4500 फीट ऊंचाई पर है तथा विशाल पर्वतों से घिरा हुआ यह झरना सभी उम्र वर्ग के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। गर्मियों के मौसम में, पर्यटक गर्मी से राहत पाने के लिए गगनचुंबी बहने वाली शीतल धाराओं के नीचे नहाकर आनन्द लेते हैं। यहाँ गढ़वाल विकास निगम मण्डल द्वारा स्थापित विश्राम गृह में महिलाओं – पुरुषों को अपना कीमती सामान सुरक्षित रखने तथा कपड़े आदि बदलने की सुविधा है। इसी के पास कैंपटी झील भी है जहां बोटिंग का आनन्द भी लिया जा सकता है।

मंसूरी में पर्यटकों के लिए काफी चर्चित नाम है गन हिल। गन हिल से हिमालय पर्वत श्रंखलाओं विशेष रूप से बंदपंच, श्रीकान्थ,पिथवाड़ा, गंगोत्री के अलावा मंसूरी तथा दून घाटी के दुर्लभ तथा अत्यंत मनोरम दृश्यों को देखा जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, इसका नाम भी एक रोचक तथ्य है वास्तव में, भारतवर्ष में आजादी से पहले, इसी पहाड़ी पर ठीक दोपहर के समय एक तोप से गोला दागा जाता था ताकि लोग अपनी-अपनी घड़ियाँ समय जाँच कर ठीक कर सकें। इसलिए बाद में इसका नाम गन हिल पड़ गया। गन हिल पर पहुँचने के लिए पैदल रास्ता भी है तथा पर्यटक कार्यालय के पास ट्रालियाँ रोपवे के माध्यम से एकदम तिरछी ऊंचाई तथा माल रोड से 400 मीटर के रास्ते को रोमांचक सवारी से पहुंच जा सकता है जहां से दूर दूर तक फैली अपार प्राकृतिक सौन्दर्यता का नजारा लिया जा सकता है। यदि मंसूरी जाने का मौका मिले तो कम्पनी बाग भी अवशय जाना चाहिए क्योंकि यहाँ सुन्दर हरे भरे व्रक्षों के अलावा फूलों की महक अनायास ही पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करने की क्षमता रखता है।

Ropeway Trolly to Gun Hill – Kampty Fall



भट्टा फ़ाल: भट्टा फ़ाल भी जल्द ही पिकनिक स्थल के रूप में विकसित हो गया है। यह मंसूरी-देहारादून रोड पर, मंसूरी से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और पर्यटकों को लुभाने में किसी से कम नहीं है। यहाँ मंसूरी उत्तरांचल जल,गलोगी जल विधयुत गृह सयन्त्र 1907 में स्थापित किया गया था। इस पिकनिक स्थल पर पर्यटक ठंडे पानी में स्नान आदि कर गर्मी से राहत मिलती है साथ में थकावट भी दूर हो जाती है। पर्वतों के बीच से इस झरने का नजारा भी दर्शनीय है। सूत्रों से पता चला कि इसका नाम इसके पास स्थित गाँव भट्टा गाँव पर ही पड़ा है जहां वर्षों पहले भट्टे लगे थे। इस पर्यटक स्थल तक पहुँचने के लिए निजी वाहन अथवा पैदल जाया जाता है। इस स्थल को विकसित करने की सख्त जरूरत है। भट्टा फ़ाल के आस-पास सुन्दर पार्क तथा विश्राम हेतु अच्छा इंतजाम है तथा पेट की भूख मिटाने के लिए रेस्तरां तथा कोल्ड ड्रिंक आदि उपलब्ध हैं।

Parks at Dhanolti – Youth Hostel

यूथ हॉस्टल: मंसूरी देहारादून रोड पर मंसूरी से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यूथ हॉस्टल बना है। यहाँ के वार्डन डी.एस. रावत का दावा है कि पर्यटक को घर जैसे माहौल में रहना तथा खाना और वह भी न्यूनतम दामों पर आसानी से उपलब्ध है। रावत के अनुसार युवा आवास, यूथ हॉस्टल्स असोशिएशन ऑफ इंडिया की शाखा है तथा युवा मामले एवं खेल मन्त्राल्य, भारत सरकार से मान्यता प्राप्त है। पूरे विश्व भर में 60 राष्ट्रों में 5000 यूथ होस्टल्स बने हुए हैं जिनका उद्देश्य पर्यावरण को हरा-भरा व स्वच्छ बनाना है। मंसूरी स्थित यूथ हॉस्टल में चार डबल बेड रूम (शौच सहित) तथा 6 व 8 बिस्तर की डोरमेट्री हैं जहां स्त्री व पुरुष को अलग-अलग ठहरने की व्यवस्था है। दूरभाष, टी.वी., साइबर कैफे, समाचार पत्र,ठंडे व गर्म पानी जैसी अनेक सुविधायों का आनन्द उठा सकते हैं। रावत जी ने अनुसशित  माहौल पैदा करके तथा आवास की अनौखी पहचान बनाने में खूब मेहनत की है। यहाँ पर कोंफ्रेंस आदि आयोजन के लिए लगभग 100 व्यक्तियों की क्षमता वाला सभागार भी बना हुआ है।

मंसूरी झील: यूथ हॉस्टल से ठीक एक किलोमीटर की दूरी पर मंसूरी झील बनी है। जो पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बिन्दु है। यहाँ वर्ष भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है। यहाँ झील में नौका विहार के लिए नवविवाहित जोड़े, वृद्ध, युवा व बच्चे पास बने पार्क की सैर करना नहीं भूलते हैं। इस झील में अठखेलियाँ करती बतख़ें अपनी अदाओं से पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने में अहम भूमिका अदा कर रही हैं। कुल्फी, कोल्ड ड्रिंक, चायूमीन, छोला भटूरा, भोजन आदि हेतु व्यवस्था है। इसी झील के पास पारा गलाईडिन्ग के माध्यम से खुले आकाश में पक्षी की भांति उड़ने का भरपूर मौका मिलता है। यहीं पर, कुछ अन्य एडवेंचर गतिविधियां को करने का भी पुख्ता इंतजाम है।

सर जार्ज एवरेस्ट हाउस: सर जार्ज एवरेस्ट हाउस मंसूरी से कुछेक दूरी पर स्थित है। सर एवरेस्ट, भारत के पहले महा पर्यवेक्षक थे। यहीं पर उन्होने अपना घर तथा कार्यालय बनाया, हालांकि अब यह इमारत जर्जर हालत में है लेकिन पर्यटक आज भी इसे बड़े चाव से देखने आते हैं। गौरतलब है कि विश्व की सबसे ऊंची 8848 मीटर ऊंचाई पर स्थित पर्वत चोटी का नाम भी सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर ही पड़ा है।

धनोल्टी: मंसूरी से टिहरी रोड की तरफ, मंसूरी से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मनोरम स्थल धनोल्टी की अनुपम छटा देखकर प्रकर्ति के चहेते  इस रमणीक स्थल को जरूर देखने आते हैं। यह पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र जहां देवदार के बड़े-बड़े वृक्ष तथा ऊंची-ऊंची पहाडों से प्रकर्तिक सौन्दर्य देखते ही बनता है। यहाँ दो सुन्दर पार्क भी पर्यटकों को अपनी तरफ खीचने में बेहद लोकप्रिय हैं। वैसे यहाँ पर गढ़वाल विकास निगम मण्डल का पर्यटक विश्राम गृह भी बना हुआ है तथा कुछेक होटल भी बने हैं। इस सुन्दर पर्यटक स्थल पर भी वर्ष भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। यदि आप भी मंसूरी घूमने जाएँ तो धनोल्टी भी अवशय घूम कर आयें।

प्राचीनतम पुस्तकालय:
मंसूरी पुस्तकालय विश्व के प्राचीनतम पुस्तकालय में शुमार रखता है। इसकी स्थापना 1843 में हुई। सूत्रों के मुताबिक इसकी नींव दून के सुपरिंटेंडेंट वंसिहार्ट ने रखी। हालांकि इस जमीन के मालिक स्कॉट व पिट थे जिन्होने मेजर स्वेटेंहन को बेच दियाथा। पुस्तकालय में कार्यरत सुश्री रजनी भट्ट ने अहम जानकारी देते हुए बताया कि आज इस विश्व विख्यात पुस्तकालय में उपन्यास, जीवनी, आत्मकथा, यात्रा वृतांत आदि विषयों पर लगभग 14,000 पुस्तकें उपलब्ध हैं। इसके अलावा यहाँ पर 10-12 दैनिक समाचार पत्र व पत्रिकाएँ भी पढ़ने के लिए उपलब्ध हैं। आज इस पुस्तकालय के करीब 80 सदस्य हैं। जबकि 10 आजीवन सदस्य हैं इनमें मशहूर लेखक रस्किन बॉण्ड भी शामिल हैं। बॉण्ड समय-समय पर पुस्तकालय में आते-रहते हैं।

उत्तराखण्ड पर्यटन विकास बोर्ड के देहारादून स्थित कार्यालय में कार्यरत, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी-योगेन्द्र गंगवार के अनुसार वैसे तो वर्ष भर, परन्तु मई-जून तथा दिसम्बर-जनवरी के महीनों में पर्यटकों की टोलियाँ मंसूरी में घूमना अधिक पसन्द करती हैं। मंसूरी में, केंप्टी फॉल, गन हिल, मंसूरी झील, भट्टा फॉल, कम्पनी बाग, माल रोड, जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट आदि विशेष आकर्षक एवं लोकप्रिय पर्यटक स्थल हैं।

जाने का रास्ता:
सड़क द्वारा: दिल्ली से मंसूरी (बस/जीप/कार)
रेल द्वारा: दिल्ली से देहारादून तक
हवाई मार्ग: दिल्ली से जौली ग्रांट, हवाई अड्डा, देहारादून तक

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
उत्तराखण्ड पर्यटन विकास बोर्ड
देहारादून
फोन: 0135-2559898, 2559987
ईमेल:dd-tourism-ua@nic.in
वेब साइट:www.uttarakhandtourism.gov.in