भोजपुर आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया) देश में सकारात्मक भारत आंदोलन के अंतर्गत सकारात्मक पत्रकारिता को प्रोत्साहन दिया जा रहा है ।आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया प्रमुख उदय कुमार मन्ना ने कहा कि 25 राज्यों से जुड़े मीडिया संस्थान सकारात्मक भारत आंदोलन चला रहे हैं । आरजेएस राष्ट्रीय स्टार व एडमिन शिक्षाविद् अजय कुमार की प्रेरणा से बिहार में शिक्षा,स्वास्थ्य, कृषि और व्यंजनों की बेहतरी के लिए सकारात्मक पत्रकारिता किया जा रहा है।
पिछले दिनों बारिश और ओलावृष्टि से भोजपुर जिला में हुए फसलों के नुकसान को राष्ट्रीय मानचित्र पर ध्यान आकृष्ट किया गया।इस पर रतनाढ़ पंचायत भोजपुर बिहार भानुप्रताप सिंह और रतनाढ़-बेरथ के किसानों ने आरजेएस (राम-जानकी संस्थान, नई दिल्ली) पाॅजिटिव मीडिया का धन्यवाद भी दिया है। आज बिहार में नियोजित शिक्षकों की हड़ताल से जर्जर हालत में पहुंची शिक्षा व्यवस्था का जायजा लिया जाएगा।बिहार की शिक्षा व्यवस्था 17 फरवरी 2020 से पटरी पर से उतर गई है ।कोरोना को लेकर 31 मार्च तक स्कूल बंद हैं ।इस बीच अगर बिहार सरकार से नियोजित शिक्षकों की वार्ता नहीं हुई तो बच्चों की शिक्षा और प्रभावित हो जाएगी।असहयोग आंदोलन पर जाने से पहले नियोजित शिक्षक बिहार सरकार को लगातार ज्ञापन व पत्रों से अपनी मंशा व्यक्त करते रहे ।इनके द्वारा पिछले साल 15 जुलाई ,1 अगस्त और 28 अगस्त तथा इस साल 15 जनवरी और 28 जनवरी को पत्र सरकार को भेजा गया था ।लेकिन उसका कोई समाधान नहीं हुआ। बाध्य होकर यह शिक्षक 17 फरवरी से हड़ताल पर चले गए और बिहार के 76हजार स्कूलों पर ताला लग गया ।इन पर कार्यवाही भी की गई, लेकिन कार्रवाई का इन पर कोई खौफ नहीं है ।हड़ताल वापस लेने की सरकार की अपील पर इनका कोई असर नहीं है।
सरकार ने कहा कि समान काम समान वेतन की इनकी मांग को सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है बिहार सरकार का कहना है कि हैसियत के हिसाब से नियोजित शिक्षकों का वेतन बढ़ाया जाएगा । सरकार का ये फैसला नियोजित शिक्षकों को गवारा नहीं। समान काम समान वेतन के साथ पेंशन लागू कराने पर अड़े हैं।नियोजित शिक्षकों की रोजी-रोटी और शिक्षा की समस्या को पंचायत के मुखिया और शिक्षाविद् जल्द से जल्द हल चाहते हैं । कलावती देवी ,काउप की मुखिया एवं गड़हनी प्रखण्ड के मुखिया संघ की अध्यक्ष ने आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया को बताया कि उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर बिहार के नियोजित शिक्षकों को पूर्ण वेतनमान एवं सेवा शर्त का लाभ देने पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का अनुरोध किया है।उन्होंने बताया कि नियोजित शिक्षक भेदभाव महसूस कर रहे हैं ।इसका शिक्षा व्यवस्था पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।उन्हें पढ़ाने में कैसे मन लगेगा ? विनोद कुमार चौधरी रतनाढ़ गांव के मुखिया (अंगिआंव प्रखंड) ने RJS पाॅजिटिव मीडिया से बिहार की शिक्षा पर बातचीत में बताया कि नियोजित शिक्षकों की बातों को सरकार को जल्द से जल्द सुनना चाहिए। हमारे पंचायत के अभिभावक और बच्चे कहते हैं कि गांव में क्लास रूम पर्याप्त नहीं हैं और बच्चों को शिक्षक नियंत्रित नहीं कर पाते ।शिक्षक अनुपस्थित भी बहुत रहते हैं। शिक्षक और अभिभावक सभी मिलकर अपनी जिम्मेदारी निभाएं तो सही शैक्षणिक माहौल बनेगा। पंचायत सेवक और मुखिया के द्वारा नियोजित शिक्षक आज हड़ताल पर हैं ,शायद नियोजन पत्र को उन्होंने पढ़ा नहीं है।
दूसरी बात शिक्षा में राजनीति नहीं होनी चाहिए। फिर भी सरकार से हम मांग करते हैं कि नियोजित शिक्षकों की वाजिब मांग संवेदनशीलता से सरकार सुने और कोई ठोस निर्णय निकले ताकि बिहार की शिक्षा की नींव मजबूत हो।ओम भगवान राम , बगवां पंचायत के मुखिया (गड़हनी प्रखंड )ने RJS पाॅजिटिव मीडिया को बताया कि नियोजित शिक्षक असहयोग आंदोलन कर रहे हैं ।शिक्षा स्कूल बंद होने तक बाधित रही है।अब सरकार से शिक्षक की वार्ता बहुत जरूरी है ,समझौता जल्दी से जल्दी होना चाहिए ।नियोजित शिक्षक जो मांग कर रहे हैं वह तो ठीक ही है ।ज्यादा लोग शिक्षामित्र हैं। इनको सरकार के अनुसार ही तो अनुबंध किया गया है ।यह शिक्षामित्र पंचायत के अधीन हैं। लेकिन सरकार अपने मन से पेमेंट कर रही है ,तो बिहार सरकार को चाहिए कि जल्दी से जल्दी इसका समाधान निकालें ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो।अजय कुमार शिक्षाविद् व संचालक-आइडियल एजुकेशन सेंटर,रतनाढ़, भोजपुर बिहार ने आरजेएस पॉजिटिव मीडिया को बताया कि नियोजित शिक्षकों का असहयोग आंदोलन लगभग महीने भर होने जा रहा है ।पूरे बिहार में इस बीच बच्चों और अभिभावकों के मन में घोर निराशा है ।उन्हें भविष्य अंधकार में लग रहा है ।स्कूलों में परीक्षाएं नहीं हो पाई हैं । मूल्यांकन को लेकर विद्यार्थी पशोपेश में हैं।अभिभावक भी कहते हैं कि हमारे बच्चे सरकारी स्कूल में हैं ,अब वह कहां जाएं ? कोरोना को लेकर 31 मार्च2020 तक स्कूल बंद है।इस बीच सरकार आंदोलन कर रहे शिक्षकों से वार्ता करके कोई हल निकाल कर बिहार की शिक्षा व्यवस्था पटरी पर ला सके तो बिहार की शिक्षा को बचाया जा सकता है।