26 नवं. संविधान दिवस से 26 जन. तक चलेगा आरजेएस-प्रभात नमकीन का संविधान जागरूकता अभियान

राम जानकी  संस्थान पीबीएच द्वारा 26 नवम्बर संविधान दिवस के उपलक्ष्य में डेमोक्रेटिक वैल्यू इन द कांस्टीट्यूशन: ए फिलोसफी ऑफ लाईफ ,संविधान में लोकतांत्रिक मूल्य: एक जीवन-दर्शन विषय पर वेबीनार का आयोजन संस्थापक उदय कुमार मन्ना के संयोजन व संचालन में किया गया.

वेबिनार के सह-आयोजक लक्ष्मण प्रसाद निदेशक प्रभात नमकीन, आरडी फूड प्रोडक्ट्स ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि किसी भी देश को चलाने के लिए संविधान का होना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही लोगों को संविधान की व्यापक और गहरी समझ होना चाहिए। जब तक यह नहीं होगा, लोगों में संवैधानिक मूल्यों का विकास नहीं होगा। जब तक हम  अपने मूल अधिकार और कर्तव्य से हम वाकिफ नहीं होंगे, तब तक हमारे विकास और सामाजिक परिवर्तन का कोई अर्थ नहीं है। संविधान निर्माता डा. अम्बेडकर को इस अवसर पर याद किया गया। श्री मन्ना ने 26 नवंबर संविधान दिवस से 26 जनवरी संविधान लागू गणतंत्र दिवस तक जागरूकता अभियान शुरू करने की घोषणा की। इस अवसर पर बलराम प्रजापति लिखित पुस्तक इंडियन पाॅलिटी की पीडीएफ लोगों को भेजी गई।

अमृत काल में राष्ट्र प्रथम भारत एक घर विश्व एक परिवार की भावना को मजबूती प्रदान करते हुए आरजेएस पीबीएच के 285 वें कार्यक्रम में भारतीय संविधान की चर्चा हुई.

मुख्य अतिथि शबनम खान समाजसेवी व टीवी पैनलिस्ट ने कहा कि संविधान में जरूरत के अनुसार संशोधन होते रहते हैं. हम सबका मकसद संविधान के विषय में जागरूकता फैलाना है. हमारा जीवन हवा पानी प्रदूषण सब राजनीति की देन है. हमें राजनीति में हिस्सा लेना चाहिए. 

शबनम ने संस्कृति, राजनीति और कार्यान्वयन सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की। उन्होंने व्हाइटबोर्ड की आवश्यकता और समानता के महत्व का भी उल्लेख किया। टीम ने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की अवधारणा पर भी चर्चा की, जिसमें कमल ने दूसरों से पहले अपने कर्तव्यों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। 

 पूर्व अध्यक्ष दिल्ली बार काउंसिल के एडवोकेट मुरारी तिवारी ने संविधान दिवस की बधाई दी और कहा कि भारतीय संविधान ने हमें अभिव्यक्ति का अधिकार दिया है. समानता का अधिकार है. कोई भी संविधान के साथ छेड़छाड़ करके की सोचे तो जनता मुखर विरोध करती है. बदलते सामाजिक परिदृश्य और संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता के बारे में चिंताओं को दूर करते हुए, तिवारी ने स्वीकार किया कि परिवर्तन अपरिहार्य है। उन्होंने कहा कि जबकि संविधान के मूल सिद्धांतों, विशेषकर मौलिक अधिकारों को बदला नहीं जा सकता है, अन्य पहलुओं को विकसित होते समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन मूल मूल्यों को सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों द्वारा संरक्षित किया गया है, जिसमें संविधान की “बुनियादी संरचना” पर जोर दिया गया है, जिसे बदला नहीं जा सकता।

तिवारी ने अंत में नागरिकों से चुनावों के दौरान सतर्क रहने की अपील की, उनसे अपने मतदान के अधिकार का बुद्धिमानी से प्रयोग करने और ऐसे उम्मीदवारों को चुनने का आग्रह किया जो वास्तव में उनके हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने दोहराया कि जबकि प्रत्येक उम्मीदवार के अपने मूल्य होते हैं, मतदाताओं को अवास्तविक वादे करने वालों से सावधान रहना चाहिए। उन्होंने शिक्षित युवाओं के चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के महत्व पर भी ज़ोर दिया, यह देखते हुए कि जबकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया चुनाव लड़ने के लिए आयु सीमा को पूरा करने वाले किसी भी व्यक्ति को अनुमति देती है, अधिक शिक्षित प्रतिनिधित्व की ओर बदलाव चल रहा है।

बलराम प्रजापति जी ने इंडियन पोलिटी पुस्तक भारतीय संविधान को लेकर लिखा है जो छात्रों के लिये और जो  संविधान समझना चाहते हैं, उनके लिए उपयोगी है. बलराम प्रजापति कम्प्यूटर एक्सपर्ट हैं. उन्होंने कहा कि सरकारें बदलती हैं लेकिन देश संविधान से चलता रहता है. 

स्वीटी पॉल पूर्व अधिकारी आईटीपीओ ने संविधान के विषय में वाट्सएप के माध्यम से जागरूक करने पर जोर दिया. सुरजीत सिंह दीदेवार ने कहा कि बदलते हालात में संविधान परिवर्तन जरूरी है. प्रभात नमकीन के निदेशक लक्ष्मण प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापित किया. सभी जुड़े लोगों से 15 जनवरी 2025 को दिल्ली में  प्रवासी भारतीय सम्मेलन को सफल बनाने के लिये विदेश गये भारतीयों तक संदेश पहुंचाने की अपील की गई.इस अवसर पर 300 वें कार्यक्रम में  प्रवासी भारतीयों को सम्मानित किया जायेगा. टेक्नीकल टीम और क्रिएटिव टीम ने तकनीकी सहयोग और यूट्यूब पर अपलोड करने में और रिकार्डिंग में सहयोग किया तथा उनको धन्यवाद ज्ञापित किया गया.बातचीत सकारात्मकता और दयालुता के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने के साथ समाप्त हुई।