भारत भूमि प्राचीन काल से ही विभिन्न औषधीय पौधों की जननी रही है। औषधीय पौधों से कई रोगों को जड़ से समाप्त करने के लिए बनने वाली दवाइयां काफी उपयोगी है। इसीलिए विकासशील देशों के साथ-साथ विकसित देशों में भी औषधीय पौधों से संबंधित उत्पादों की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है। परंतु दुर्भाग्य की बात है कि प्रचुर प्राकृतिक वन संपदा होने के बावजूद भारत विश्वबाजार में अन्य देशों से पिछड़ा हुआ है। इस क्षेत्र में यदि हम अपने सभी संसाधनों का दोहन कर औषधीय निर्माण की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें, तो भारत विश्व का अग्रणीय देश बन जाएगा।
इसी संदर्भ में ग्रामीण भारत के आर्थिक विकास के प्रति समर्पित “ग्रामीण क्षेत्रीय विकास परिषद” एवं वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद, भारत सरकार ने अन्य कुछ संस्थाओं के सहयोग से “दिव्य-औषधीय पौधे, उनसे निर्मित औषधीय उत्पाद, पंचगव्य तथा उनका समग्र ग्रामीण विकास में महत्व” विषय पर, एक सम्मेलन तथा प्रदर्शनी, विज्ञान भवन, नई दिल्ली में, 21-22 फरवरी, 2014 को आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसमें उपराष्ट्रपति माननीय श्री मो.हामिद अंसारी एवं केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री एस जयपाल रेड्डी भी शिरकत करेंगें। सीएसआईआर, आयुष विभाग, आरोग्य भारती एवं भारत विकास परिषद सहित कई अन्य संस्थाओं की भी इसके आयोजन में अहम भागीदारी है।
इस आशय की जानकारी देते हुए आयोजन समिति के सचिव एवं ग्रामीण क्षेत्रीय विकास परिषद के अध्यक्ष डॉ देवेन्द्र शर्मा ने बताया कि भारतीय पुराणों, उपनिषदों, रामायण एवं महाभारत जैसे प्रामाणिक ग्रंथों में भी औषधीय पौधों के उपयोग के अनेक साक्ष्य मिलते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत लोग आज भी मुख्य रूप से पारंपरिक एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर निर्भर हैं जिसमें औषधीय पौधों का उपयोग किया जाता है। ऐसे में इस सम्मेलन एवं प्रदर्शनी का आयोजन, वह भी विज्ञान भवन में काफी महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है।