डॉ. वेदप्रताप वैदिक
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तय किया है कि लड़कियों की शादी की उम्र को 18 साल से बढ़ाकर 21 साल कर दिया जाएगा। अब लड़कों के समान लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल हो जाएगी। इस फैसले का कई लोग विरोध भी कर रहे हैं। उनका तर्क है कि यह फैसला भी कृषि-कानूनों की तरह मनमाना है। क्या सरकार ने इसके बारे में भारत की लड़कियों से भी पूछा है? किसी कांग्रेसी महिला नेता ने सवाल किया है कि जब आपने 18 साल की लड़कियों को वोट का अधिकार दिया है तो उन्हें 18 साल में शादी का अधिकार क्यों नहीं देते? कुछ लोगों ने कहा है कि यह कानून नाकाम रहेगा, जैसे शराबबंदी का कानून रहता है। इसके अलावा कुछ लोगों का तर्क यह भी है कि गांवों की गरीब और अशिक्षित लड़कियां यदि 21 साल तक अविवाहित रहेंगी तो उन्हें बेकारी और दुराचार का सामना भी करना पड़ सकता है। इन सब तर्कों को हम एकदम निराधार नहीं कह सकते हैं लेकिन पहली बात तो यह है कि सरकार ने यह फैसला अचानक नहीं किया है। इस मुद्दे पर भलीभांति विचार करने के लिए पिछले दो साल से एक आयोग काम करता रहा है। 1929 में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 14 साल तय की गई थी और 1978 में उसे 18 साल कर दिया गया था। भारत में तो लड़के-लड़कियों की शादियां उनके गर्भ में रहते हुए ही तय हो जाया करती थीं। इस बाल-विवाह की कुप्रथा का विरोध आर्यसमाज ने जमकर किया, जिसके फलस्वरुप 1929 में शारदा एक्ट का जन्म हुआ। अब जो फैसला हुआ है, वह स्त्री-पुरुष समानता का प्रतीक है। यदि लड़कों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल है तो लड़कियों की भी वही उम्र क्यों न हो? नारियों को नरों से कमजोर क्यों समझा जाए? अभी भी देश की 23-24 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 साल के पहले ही हो जाती है। जब से लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ी है, देश में पैदा होनेवाले बच्चों की संख्या काफी घटी है और पैदा होते से ही मरनेवालों बच्चों की संख्या भी घटी है। उनका स्वास्थ्य भी बेहतर हुआ है। लड़कियां देर से शादी करती हैं तो उनका शिक्षा का स्तर भी ऊँचा होता है और उनका रोजगार भी। उनका आत्म विश्वास भी ज्यादा होगा। इससे जनसंख्या पर नियंत्रण भी होगा। भारत शायद दुनिया का एकमात्र और पहला देश होगा, जहां लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल होगी। चीन में यह 20 साल है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, जापान आदि में यह 18 साल है। रुस में 16 साल और ईरान में 13 साल है। अमेरिका के कुछ राज्यों में इससे भी कम है। वैसे भारतीय हिसाब से शादी की न्यूनतम उम्र 25 साल होनी चाहिए, क्योंकि यही ब्रह्मचर्य आश्रम का काल माना जाता है। इस तरह का कानून तभी कारगर हो सकता है, जबकि देश में सामाजिक जागृति का कोई बड़ा आंदोलन चले। भारत में यदि करोड़ों लोग इस मर्यादा का पालन करें तो उसे विश्व-गुरु बनने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।