चंदन शर्मा
अंग्रेजी अखबार मिड डे के क्राइम रिपोर्टर जे. डे की हत्या गैंगस्टर ने किया था जिसकी कड़ी निंदा हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था को झेलनी पड़ी थी और इस कांड ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा था।
इस घटना से बिज़नेस वुमन व फ़िल्मकार नंदिता सिंघा भी काफी प्रभावित हुई थी और कुछ समय बाद उन्होंने इस सच्ची घटना पर फ़िल्म बनाने की सोची जिससे वह पत्रकार के समाज के प्रति कर्त्तव्य व ईमानदार छवि को पूरी दुनिया में दिखा सके।
नंदिता का मानना है की कलम का सिपाही पत्रकार दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान होता है जो निडरता के साथ समाज को सही दिशा में ले जाने का प्रयास करता है ,वह समाज का आईना होता है , वह सत्य से जुड़ी तथ्य को लगातार खोजकर जनता में जागरूकता पैदा कर अपना फ़र्ज़ निभाता है मगर उसका जीवन असुरक्षित रहता है उसे कोई बिमा पेंसन नहीं मिल पाता , ये सोचने वाली बात है।इसीलिए मैंने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट तैयार करने में कुछ पत्रकारों ने मेरा साथ दिया है।
पत्रकारों के जीवन के साथ अपराध से जुड़ी कई विशेष घटनाओं को ध्यान में रखते हुए हमने लंबी कहानी लिखेँ हैं जिस पर 4 फिल्में मिड डे, जे. रिटर्न, मेगा कॉर्प और रेड नाम से बनाएंगे ।
मिड डे में 37 ऐसे किरदार हैं जो पेशे से पत्रकार हैं और जे. रिटर्न में नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के कलाकार काम कर रहे हैं। इन दोनों फिल्मो की 35 प्रतिशत शूटिंग दिल्ली में हो चुकी है । बाकि 2 फ़िल्म मेगा कॉर्प और रेड की शूटिंग भी जल्द शुरू करेंगे।
पत्रकार जे.डे की भूमिका के लिए बड़े कलाकार को अप्रोच किया गया है।
नंदिता सिंघा कॉर्पोरेट जगत में जाना पहचाना नाम है इनकी कंपनी ` टोटल प्रेजेंटेशन डिवाइस लिमिटेड ‘ देश विदेश में प्रसिद्ध है। इन्होंने 13 साल की छोटी सी उम्र में डरबन में हुए एक परिचर्चा में सम्मान हासिल की हैं और 30000 यु एस डॉलर की इनाम राशि भी जीती।फिर दो अमेरिकन कंपनी मोटोरोला और 3 एम से टेक्निकल प्रेजेंटेशन की ट्रेनिंग ले चुकी हैं।
नंदिता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बड़ी कंपनी बड़े बड़े ऐड फ़िल्म भी बनाये हैं।जिसके लिए उन्हें एशिया पैसिफिक अवार्ड भी मिल चूका है।
रही बात फ़िल्म निर्माण की तो और कॉर्पोरेट हाउस की तरह इनकी कंपनी ने अब तक साउथ की तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ सभी भाषाओं में 11 फिल्में बना चुकी हैं। 2007 में प्रियांशु चटर्जी ( तुम बिन फेम ) को लेकर एक हिंदी फ़िल्म भी बनायीं थी फिर अच्छी स्क्रिप्ट और सही समय का इंतज़ार करते हुए अब मैदान में उतरी हैं ।
सिनेमा के बारे में बात करते हुए नंदिता कहती हैं कि अब इंडियन सिनेमा भी तकनिकी रूप से काफी समृद्ध हो गया है । प्रतिभाशाली निर्देशकों ने सिनेमा की धारा को बदल दिया है मगर मुझे लगता है हम पहले की अपेक्षा भावनात्मक रूप में कमजोर हो गए हैं जिसका मुझे विशेष ध्यान रखना है ।आज के दौर में निर्देशक ए. आर. मुर्गानदास और राकेश ओमप्रकाश मेहरा का काम मुझे प्रभावित करता है जिनकी फिल्में मनोरंजक होते हुए गंभीरता के साथ दर्शकों के दिलो दिमाग को झकझोर देता है।
मेरी भी कोशिश रहेगी कि समाज के लिए मधुर संगीत से सजी मनोरंजन के साथ अर्थपूर्ण फ़िल्म बनाऊँ जिससे युवाओं में जोश जाग सके।