प्रेम बाबू शर्मा
पुरानी दिल्ली की घनी अबादी के बीच स्थित हौसकाजी में एक मंदिर वर्षों से सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देता आ रहा है। इस अनूठे मंदिर में आपको एक ही छत के नीचे अनेक देवी-देवताओं के अलावा पवनपुत्र हनुमान
जी के विभिन्न रूपों के ईश्वर के दर्शन एक साथ हो जाएंगे।
वर्तमान में मंदिर के गद्दीमंहत किशनलाल केडिया के शिष्य श्री मुरारी लाल ने कहा बालाजी राधाकृष्ण मंदिर सिद्वपीठ मंदिर है। इस मंदिर अनूठे मंदिर में जो भी श्रद्वालु आकर मन्नत मांगता है बालाली भगवान उनकी इच्छा को पूरा करते है।
मंदिर में लंबे समय से मंदिर में हाजिरी लगाने वाले ज्ञान गुप्ता, आवाम, राजकमल और मधु के मुताबिक इस सिद्व मंदिर की मान्यता मेहंदीपुर बालाजी की ही तरह है। लेकिन यह मंदिर सिर्फ मंगलवार और शनिवार को ही खुलता है। श्रद्वालु इस दिन बालाजी भगवान के दरबार में हाजिरी लगाने आते है। पूरे दिन ही मदिर मे भजन कीर्तन होता है जिसका हिस्सा सैकडों लोग बनते है। इस मंदिर के बारे में एक ओर बात प्रचलित है कि हर धर्म के लोग आकर अपनी बालाजी के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते है। 35 साल पहले विभिन्न धर्मो के लोगों के बीच सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
श्री बालाजी मंदिर जो कि 3222 गली चरणदास मोहल्ला डसान में स्थित है इस मंदिर का निर्माण संवत 2032 तदानुसार बंसत पंचमी 16 फरवरी 1975 को मंहत प्रेमदास षिष्य मंहत भोलानाथ जी ने गद्दीनषीन मंहत साविताबाई शिष्य प्रेमदास व पुत्र दीपक दास की प्रेरणा से हुआ। लेकिन मंदिर में बालाजी द्वारा किऐ चमत्कार के कारन ही मंदिर की लेाकप्रियता दिनों दिन बढती रही। सही मायने में यह मंदिर आपसी दोस्ती का पैगाम देता है। गुलाबी पत्थरों से निर्मित मंदिर में प्रतिदिन हर धर्म के श्रद्धालु आकर अपने ईश्वर के शीश झुकाते हैं। दशहरा और होली त्योहारों के पावन मौके पर मंदिर से बालाजी मेहंदीपुर के लिए पदयात्रा का आयोजन किया जाता है इसके साथ साथ यहां विशाल भंडारे का आयोजन भी होता है। स्थानीय नागरिक व सेवादार मुकेष गुप्ता, ऊषा शर्मा, शोवा , सुरेन्द्र के अनुसार बालाजी मंदिर में दुखी और ऊपरी हवा से पीडित लोगों का कारगार इलाज किया जाता है। मंदिर के प्रति लोगों की श्रद्वा और मन्नत पूरा होने पर वे सवामनी का भोग व प्रसाद वितरित करते है और जरूरतमंदों के बीच भोजन और कपड़ों का वितरण किया जाता है।