महेन्द्र कुमार गुप्ता
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घोटालों की झड़ी लगी है मेरे हिन्दुस्तान में ।
बेईमानों में होड् लगी है मेरे हिन्दुस्तान में।।
लाखो, करोडों कम पड्ते, अरबों खरबों की बातें होती हैं।
ईमानदारी तार-तार हुई है, देश की जनता रोती है ।।
घोटालों की झड़ी लगी है
कोड़ा, राजा, कलमाड़ी , कनिमोझी, जाने-माने सितारे हैं ।
खुलकर लूट मचाई सबने, किए वारे न्यारे हैं ।।
नए खिलाड़ी उभर रहे हैं, जो मारन और येदू कहलाएंगे ।
बेईमानी के मिलकर सभी, नए कीर्तिमान बनाएंगे।।
घोटालों की झड़ी लगी है . . . . .
अन्ना और रामदेव, दोनों अलख जगाते हैं।
हो रही रूसवाई से, बेईमान घबराते हैं।।
जनता ने ली अंगडाई, मीडिया बना सिपाही है ।
अदालत सख्त हुई, सरकार कुछ होश में आई है।।
घोटालों की झड़ी लगी है, मेरे हिन्दुस्तान मे ।
बेईमानों में होड् लगी है, मेरे हिन्दुस्तान में ।।