प्रो. उर्मिला पोरवाल सेठिया
बैंगलौर
हो चुनौतीपूर्ण जीवन पथ, चाहे हो ठगर पथरीली,
पथ के कांटों को एक-एक कर चुनना है…
माँ, मुझे तुम जैसा बनना है ।
तपस्वी सा जीना तेरा, त्यागपूर्ण जीवन शैली,
सब को खुशी देकर,खुश हो जाती, माँ तू अजब पहेली…बगीया सा महकाकर घर-आँगन..
फूलों की तरह खिलना है… माँ, मुझे तुम जैसा बनना है ।
देखा नही शिकायत करते तुमको, न देखी कभी चिन्ता से आँखे तुम्हारी पनीली, आशावान तुम मार्गदर्शक सबकी, ढाढस बंधाकर तुमने सबकी चिन्ता लेली…प्रेरणा लेकर ही तुमसे मुझे,अपना लक्ष्य हासिल करना है… माँ, मुझे तुम जैसा बनना है ।
मन्दिर नही जा पाती मैं, मुझसे दान-धरम नही हो पाता,
धूप-ध्यान, व्रत-उपवास नियम सब कभी-कभी मुझसे टल जाता,
ईश्वर उपासना हो न हो पर तेरा नित पूजन-वन्दन करना हेै..
माँ, मुझे तुम जैसा बनना है ।
हो चुनौतीपूर्ण जीवन पथ, चाहे हो ठगर पथरीली,
पथ के कांटों को एक-एक कर चुनना है…
माँ, मुझे तुम जैसा बनना है ।