एस.एस.डोगरा
बिल्कुल इस बात की संभावना है कि मैं दोबारा भारत के लिए न खेल सकूं। लेकिन इस बात की भी संभावना है कि टीम में वापसी कर सकता हूं। जहां तक मेरा विश्वास है कि मैं टीम में लौट सकता हूं मैं इसके लिए लगातार कोशिश कर रहा हूं।
याद रहे वर्ष २०११ के विश्व कप मैंन ऑफ़ द सीरिज रहे युवराज ने वर्ल्ड कप का ख़िताब जिताने में अहम् भूमिका अदा की थी. इससे पहले सन २००७ में टी-२० के पहले वर्ल्ड के मैच में जेम्स स्टुअर्ट के एक ओवर में छ छक्के जड़कर तथा उस टूर्नामेंट में भी उम्दा बल्लेबाजी के दम पर ही भारत को ख़िताब जिताने में सहायता की थी.
युवराज ने विजडन पत्रिका को इंटरव्यू में कहा कि लोगों की राय लगातार बदलती रहती है। अगर आप अच्छा करते हैं तो सभी आप की तारीफ करते हैं, लेकिन खराब प्रदर्शन शुरू होते ही लोग अलग बात करने लगते हैं। खिलाड़ियों पर बोलकर सुर्खियों में आने का ये आजकल कई लोगों का धंधा बन गया है। मैं इस पर हंसता हूं और ज्यादा सोचे बिना खेल पर ध्यान देता हूं। उन्होंने आगे कहा कि सेलेक्शन के बारे में मैं कुछ नहीं कहना चाहता। मेरे पास जितने घरेलू मैच है मैं उनमें अच्छा प्रदर्शन की कोशिश कर सकता हूं।
वैसे उनसे कई वरिष्ठ खिलाडियों को सबक अवश्य लेनी चाहिए जो अब अपनी बेकार परफॉरमेंस के बाबजूद टीम में चुने जाने की उम्मीद बनाए बैठे हैं.
2011 वर्ल्ड कप के बाद 19 वन-डे मैचों में युवराज का औसत 19 (18.37)से भी कम का रहा है। युवराज का फर्स्ट क्लास क्रिकेट या फिर आईपीएल में भी अपनी प्रतिभा के मुताबिक रन नहीं बटोरे हैं। जबकि सुरैश रैना के बेहतरीन खेल के चलते भी शायद चयनकर्ताओं ने भी युवी को गंभीर विकल्प के तौर पर गंभीरता से लेना छोड़ दिया। लेकिन क्रिकेट पंडितों का मानना है कि युवराज में क्रिकेट बचा हुआ है और भारतीय क्रिकेट बोर्ड उन्हें आस्ट्रेलिया के लिए तथा आगामी वर्ल्ड कप में अवश्य मौका देगा जो भारतीय क्रिकेट के लिए भी लाभकारी साबित हो सकता है. वैसे भी भारतीय क्रिकेट टीम में मध्यम-क्रम में मजबूत व अनुभवी खब्बू हरफनमौला खिलाडी की जरुरत है जो क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में फिट भी हो और हिट भी हो. अब सबसे अहम् सवाल ये है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड उनमे कितना विश्वास दिखाता है और उन्हें आगामी क्रिकेट दौरे में चुनने की पहल दिखाते हैं. और यदि वे चुने जाते हैं अपने क्रिकेट के जौहर दिखाने में सफल होते हैं तो वे अपनी विलक्षण प्रतिभा से टीम इंडिया का तो भला करेंगे ही बल्कि अपने आलोचकों का मुहँ बंद करने में भी कामयाब हो सकेंगे.