एस.एस.डोगरा
9-10 वर्ष की अल्पायु में ही फिल्म नगरी मुंबई की ओर रुख करने वाले नरेश शनि पांचाल ने अपने को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर लिया है. वजीरपुरा, जिला सोनीपत, हरियाणा के कलाकार, निर्देशक को बचपन से ही फिल्मों के प्रति विशेष लगाव था, और वहीँ से फिल्म एक्टर बनने का सपना संजोए 11 वर्ष की आयु में ही गोरेगांव स्थित प्रसिध्द फिल्मिस्तान स्टूडियो में बतौर लाइटमेन काम शुरू कर दिया. वहीँ किसी वरिष्ठ फिल्म निर्माता/निर्देशक ने कहा कि हरियाणा के लोग फिल्म इंडस्ट्री में कामयाब नहीं होते है ये बात ही पांचाल के लिए प्रेरक साबित हुई. इसी बात को सिद्ध करने के लिए उन्होंने खूब मेहनत की. इस दौरान ही लाइट मेन से नरेश को क्लेपमेन बनने का मौका मिला लेकिन लंच व् चाय पान के ब्रेक में नरेश अपनी एक्टिंग के शौक को पूरा करते रहते साथ ही उन्होंने एडिटिंग को भी सीखना आरम्भ कर दिया. उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, और इस दौरान अपने प्रदेश यानि हरियाणावी भाषा में 150 धार्मिक, रोमांटिक व् देहाती फिल्मों के अलावा सैंकड़ों एल्बम का निर्माण किया. एच.पी .फिल्म्स एंड कैस्सेट्स नामक कम्पनी के तहत आज भी अनेक टीवी सीरियल एवं फिल्म निर्माण जारी है.
अपने मीठे अनुभवों को शेयर करते हुए नरेश जी कहना है कि वे भाग्यशाली है उन्हें अपने गुरु राजेश पांचाल से भी बहुत कुछ सिखने को मिला. इसके अलावा मशहूर कलाकार गोविनदा जैकी सोफ सीता राम पाचाल शक्ति कपूर, आशीष विद्यार्थी, ललित तिवारी, सुरेन्द्र पाल, मुस्ताक खान, सत्यं चौहान, रमेश गोयल, बनवारी लाल झोल बिरबल , पदमिनी रविना टडन मधू सहा कोल्हापुरी, मूकेश तिवारी व राजपाल यादव के साथ भी काम करने का सौभाग्य मिला. भली करेंगे राम, वो चाँद फिर निकलेगा, दिल की चाहत-मशहूर अभिनेता गोविंदा के साथ किया, साधना टीवी के लिए साजन का आँगन, हैवानियत की हद, के निर्माण कर चुके हैं पांचाल. पांचाल ने बताया कि अभी वे अर्पण और मौत का सफ़र नामक फिल्म पर काम कर रहे हैं. जबकि आगामी गोवा फिल्म फेस्टिवल में उनकी “सैक्स और नशा” फिल्म प्रदर्शित की जाएगी, इसकी कहानी युवा पीढ़ी की निजी जिन्दगी पर आधारित फिल्म है. हरियाणा राज्य के सुचना एवं प्रसारण विभाग के लिए भ्रूण हत्या एवं दहेज़ प्रथा जैसी कुरीति को मिटाने उद्देश्य से “सबक” नामक फिल्म का निर्माण कर खूब शोहरत बटौरी थी. पांचाल जी ने अपने दिल की बात कहते हुए कहा कि उन्होंने आज तक दौलत को प्राथमिकता नहीं दी बल्कि अपने फिल्म जगत में समाज के लिए कुछ अच्छा करने का प्रयास किया.