आह्वान

प्रेम बिहारी मिश्र 

देव देश की देख दुर्दशा, आँखमेरीभर आई रे
मेरी भारत माँ की हालत, ऐसी किसने बनाई रे
गीता भूली राम विसारे, वेदों पे धूल चढ़ाई रे
वन्दे मातरम् गाना भूलें,ऐसी स्थिति आई रे

आज़ाद, भगतसिंह, राजगुरु, तडपे लक्ष्मी बाई रे
वीरशिवाजी तात्या तक की,आँख नमीं भर लाईरे
सेवक मालिक बन बैठे अब, करते खूब कमाई रे
रखवालों ने घर की दौलत, लूट लूट के खाई रे

बहुत रो चुके बहुत खो चुके,अब और न खोना भाईरे
जागो और जगाओ सबको,अब और न सोना भाई रे
आगे आओ मत शर्माओ, वतन बुलाता भाई रे
माँ का दामन पाक रखेंगे, शपथ उठाओ भाई रे