एक कलाकार के लिए सबसे ज़रूरी है उसके भावों का उर्वर होना। रंगों और तूलिका के सहारे कैनवास पर उकेरे गए भाव बार बार कुछ कहना चाहते हैं, एक आस की डोर और उससे बंधे अनगिनत सपने, निरंतर ऊर्जा देते हैं जीवन जीने की उद्दाम इच्छा को।
कलाकार अंजली की इस कलाकृति में अनंत, गहन अँधेरों से झाँकती किरणें और विस्तार में फैलती आभा नरम सूखी नरम हथेलियों को नए जीवन का संदेश देती जान पड़ती हैं। आसपास का अंधेरा लेकिन रंगों की दस्तक कई बार अंधेरे के के भ्रम की चरती हुई जान पड़ती है। कहने को यह मात्र एक कलाकृति हो सकती है लेकिन भावों के धरातल पर अपने आप में एक जीवन संगीत समेटे हुये है।
कलाकार अंजली के कलात्मक सफर की बात की जाए तो अंजली ने दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम से कला की बारीकियाँ सीखी हैं। इसके अलावा राजधानी दिल्ली की प्रतिष्ठित कला दीर्घाओं में अब तक अपनी तमाम कलाकृतियों का प्रदर्शन कर चुकी हैं जिनमें से आइफैक्स, प्यारेलाल भवन और गांधी आर्ट गैलरी प्रमुख हैं। अभी हाल ही में उनकी कलाकृतियाँ इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित कला मेले में भी दर्शायी गई जिन्हें कलाप्रेमियों के द्वारा भरपूर सराहा गया।