गर्मी के ज़ुल्म से ये, दुनिया दहक रही थी प्यासी ज़मीन कब से,आकाश तक रही थी थम थम चले हैं बादल,डम डम बजे हैं बादल खोली है आसमान ने,बादल की अपनी छागल –मो. असदुल्लाह |
बरखा आई बादल आये,ओढ़े काले कम्बल आये मोती बादल ने बरसाए,पत्तों ने दामन फैलाये बाग़ों ने सब्ज़ा लहराया,फूलो-कलियों में रस आया सब्ज़ा:हरियाली –-सीमाब अकबराबादी |
वो देखो उठी काली काली घटा है चारों तरफ़ छाने वाली घटा घटा के जो आने की आहट हुई हवा में भी इक सनसनाहट हुई तो बेजान मिटटी में जान आ गयी — इस्माईल मेरठी |
बादल गरज रहा है,बिजली चमक रही है पुर-कैफ़ हैं फ़ज़ाएँ, हर शै दमक रही है सरसब्ज़ होगया है वीरान सारा जंगल जंगल में मच गया है हर सू ख़ुशी का मंगल पुर-कैफ़ हैं फ़ज़ाएँ:मस्ती भरा माहोल , शै:चीज़,दमकना: चमकना, सरसब्ज़ :हरा भरा,: हर-सू :हर तरफ़ –-मो. शफीउद्दीन साहिल |
हैं इस हवा में क्या क्या बरसात की बहारें सब्ज़ों की लैहलाहट, बाग़ात की बहारें बूंदों की झम- झमावट, क़तरात की बहारें हर बात के तमाशे, हर घात की बहारें क्या क्या मची हैं यारो, बरसात की बहारें सब्ज़ा:हरियाली,बाग़ात:बाग़ीचे,क़तरात: बूँदें —नज़ीर अकबराबादी |
ये बरसात, ये मौसम-ए-शादमानी ख़स-ओ-ख़ार पर फट पड़ी है जवानी भड़कता है रह-रह के सोज़-ए-मोहब्बत झमा-झम बरसता है पुर-शोर पानी शादमानी:ख़ुशी,ख़स-ओ-ख़ार:घास व पौधे सोज़:जलन / आग ,पुर -शोर:शोर से भरा —कैफ़ी आज़मी |
आज बहुत दिन बाद सुनी है बारिश की आवाज़ आज बहुत दिन बाद किसी मंज़र ने रस्ता रोका है रिम-झिम का मलबूस पहन कर याद किसी की आई है |
ऐ दीदा-ए-तर तुम भी झड़ी अपनी लगा दो इस साल तो बरसात में ,बरसात की ठहरे दीदा-ए-तर: आंसुओं से भीगी आँख –-मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी |
शोख़ियाँ, मासूमियत,स्कूल, झूला, बारिशें कितनी यादें साथ लाया,जब कोई बिछड़ा मिला —मुमताज़ अज़ीज़ नाज़ाँ |
कितने बेताब थे रिमझिम में पिएंगे,लेकिन आई बरसात, तो बरसात पे रोना आया —सैफ़ुद्दीन सैफ़ |
दर-ओ-दीवार पे शक्लें सी बनाने आयी फिर ये बारिश मेरी तन्हाई चुराने आई —कैफ़ भोपाली |
दिल पे इक ग़म की घटा छायी हुई थी कब से आज जब उनसे मिले ,टूट के बरसात हुई —मख़मूर सईदी |
तुम्हें सूरज नज़र आया कहाँ से कई दिन से तो बारिश हो रही है चलो निकल चलें बारिश के ख़त्म होने तक हमारे क़दमों के कोई निशाँ लेता है —सुरेंदर शजर |
हम भी हों,तुम भी हो बाग़ में और फिर खुल के बरसात हो —हसन काज़मी |
आदाब अर्ज़ है–रईस सिद्दीक़ी
August 21, 2015
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