मैच फिक्सिंग के बाद स्पॉट फिक्सिंग ने क्रिकेट को शर्मशार किया


एस. एस. डोगरा

यह सबने सुना है कि खेल को खेल भावना से खेलना चाहिए। लेकिन आज खिलाड़ियों में खेल भावना की कमी क्यों आ गई है,विशेषकर युवा खिलाड़ियों में। शायद फटाफट पैसा कमाना ही इसकी मूल वजह है। अप्रेल 2000 में दिल्ली पुलिक ने साउथ अफ्रीका के तत्कालीन कप्तान हंसी क्रोनिए, मैच फिक्सिंग के मामले में दोषी करार दिया था और साउथ अफ्रीकन क्रिकेट बोर्ड ने उन पर क्रिकेट केरियर में आजीवन प्रतिबन्ध लगा दिया था। उस प्रकरण में, सीबीआई जांच के बाद, भारत के नामी गरामी क्रिकेट खिलाड़ी मोहम्मद अजहरुद्दीन, अजय जडेजा व मनोज प्रभाकर भी दोषी पाये गए थे। परन्तु भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने भी इस मुद्दे को गंभीरतापूर्वक लेते हुए तीनों खिलाड़ियों को कड़ी सजा देते हुए आजीवन प्रतिबन्धित कर दिया था। इस दुखद घटनाक्रम के बाद क्रिकेट प्रेमियों को गहरा धक्का लगा था और खिलाड़ियों की ईमानदारी पर सबको शक होने लगा था। लेकिन हंसी क्रोनिए की विमान दुर्घटना में मौत के बाद मामला खामोश हो गया था।

उसके बाद सन 2010 में, इंग्लैंड के दौरे परपाकिस्तान के युवा क्रिकेट खिलाड़ी सलमान बट्ट, मोहम्मद आमिर व मोहम्मद आसिफ भी मैच फिक्सिंग में दोषी पाये गए थे। इस प्रकरण से भी क्रिकेट प्रेमियों को आघात पहुंचा था। हालांकि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भी इस तीनों खिलाड़ियों को आजीवन प्रतिबन्धित कर कडा कदम उठाया। इसी कड़ी में, हाल ही चल रहे आईपीएल-6 के दौरान, स्पॉट फिक्सिंग भारतीय युवा तेज गेंदबाज श्रीसंत, अजित चंदिला व अंकित चव्हाण की लिप्तता ने क्रिकेट खेल को ही शर्मशार कर दिया है। हैरत की बात है कि आईपीएल जैसे बड़े टूर्नामेंट में खिलाड़ियों पर अपार पैसा बरस रहा है लेकिन फिर भी ना जाने क्यों ये खिलाड़ी ईमानदारी को ताक पर रखकर ऐसा दोषपूर्ण कर्म करने से कतई नहीं कतराते हैं। ऐसे खिलाड़ियों से सख्ती से निपटना चाहिए। वैसे, अंधाधुंध व फटाफट पैसा कमाने की इस हौड ने, नवयुवा खिलाड़ियों को अंधा बना दिया है। इन्हे खेल भावना से कोई सरोकार ही नहीं है। एक अच्छे खिलाड़ी में खेल भावना व ईमानदारी से खेल खेलने के गुण होने चाहिए, उसी स्थिति में ही वे स्वंम की व खेल की लोकप्रियता बढ़ाने में कामयाब हो पाएंगे।