जानवीं सांगवान आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। चाहे फिल्म इंडस्ट्री की बात हो या टीवी इंडस्ट्री की, उन्होंने हर जगह अपनी एक अलग मिसाल कायम की है। फिल्म ‘क्लब 60’ का माया का कैरेक्टर कोई नहीं भूल सकता, जोकि जानवीं ने अपने सशक्त अभिनय से जीवंत कर दिया। इसके अलावा फिल्म ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो’, ‘तथास्तु’ व ‘जमीन’ जैसी फिल्मों में भी जानवीं अपनी कला का जौहर दिखा चुकी हैं। सीरियल की बात करें तो उनकी फेहरिस्त काफी लम्बी हैं। हरियाणा के भिवानी के कालवास गांव से सम्बंध रखने वाली जानवीं सांगवान ने कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें कभी एक्टिंग में करियर बनाना है और आज अगर उनकी बात करें तो उनका कहना है कि वो आखिरी सांसें भी सेट पर ही लेना चाहती हैं। जानवीं आजकल स्टार प्लस के सीरियल ‘इस प्यार को क्या नाम दूं’ में मामी का किरदार निभा रही हैं। हाल ही में जानवीं से कई मुद्दों पर बातचीत हुई। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश:
स्टार प्लस के सीरियल ‘इस प्यार को क्या नाम दूं’ के कैरेक्टर के बारे में बताएं?
‘इस प्यार को क्या नाम दूं’ में मैंने मामी का कैरेक्टर निभाया है, जिसका नाम है मौसमी चटर्जी और प्यार से मेरे हसबैंड मुझे मौसमी बुलाते हैं। यह एक बंगाली कैरेक्टर है।
मैंने यह तो कभी भी नहीं सोचा था कि एक्टर बनना है। बस वो तो मेरे हसबैंड मुम्बई में थे और एक-दो जगह मैंने आॅडिशन दिए और एक्टिंग में आना हो गया। वैसे भी मेरे हसबैंड की पूरी स्पोर्ट रही मेरे साथ इस काम को लेकर।
किस सीरियल या किरदार से आपको पहचान मिली?
ऐसा कहना तो मुश्किल होगा कि एक कैरेक्टर या सीरियल से मुझे कोई पहचान मिली हो। कभी किसी ने मुझे लाडो से पहचाना, किसी ने सीआईडी से तो किसी न किसी और सीरियल से।
सबसे लम्बा किरदार किस सीरियल में चला आपका?
सबसे लम्बा किरदार मेरा स्टार प्लस के एक सीरियल भाभी में चला। इसमें मैंने एक हरियाणवी कैरेक्टर किया था, जिसका नाम था इन्दू चाची। वैसे मेरा सबसे स्ट्रांग कैरेक्टर स्टार वन के सीरियल ‘गीत’ में रहा है।
किस तरह का किरदार करना आपको पसंद हैं?
वैसे तो मुझे सभी तरह के रोल करने पसंद हैं परन्तु मुझे काॅमिक व लाइट मूड वाले रोल करने ज्यादा पसंद हैं। हालांकि मुझे रोल इस तरह के कम ही मिलते हैं परन्तु मुझे चुलबुलाहट वाले और काॅमेडी कैरेक्टर ही अच्छे लगते हैं। मैंने डीडी के एक शो ‘हम हैं ना’ में काॅमेडी की थी तो मुझे वो बहुत अच्छा लगा था।
बहुत ज्यादा। मैं टाइम की बहुत पंचूयल हूं और केवल काम को लेकर ही नहीं। अगर मैं शाॅपिंग पर भी जाऊं और चार बजे हमने टाइम फाइनल किया है तो मैं बिल्कुल चार बजे आपको तय जगह पर दिखूंगी। और इतना ही नहीं, अगर हम दोस्तों को गप्पें भी लगाने हो तो भी मैं टाइम से 15 मिनट पहले वहां पहुंच जाती हूं। एक्चुअली पापा मिलट्री में थे तो वहीं से मुझे टाइम मैनेजमेंट सीखने को मिला।
आपका फिटनेस फंडा क्या है?
मैं हूं फिट, आपको लगता है (मुस्कराते हुए)। थोड़ी बहुत एक्सरसाइज, खाना-पीना ठीक रखो और खुश रहो। मैं जिम तो कभी नहीं जाती, योगा करती हूं और कभी-कभी जब मुझे लगता है कि कुछ गड़बड़ है तो एक ट्रेकिंग कर लेती हूं। एक ट्रेकिंग से बिल्कुल फिट हो जाता है। छोटी-मोटी पहाड़ी चढ़ लेती हूं कभी-कभी।
युवा वर्ग किस तरह की तैयारी के साथ फिल्म इंडस्ट्री में आएं?
एक तो गलतफहमी पाल कर मुम्बई में न आएं, सबकी बातें न सुनें। केवल अपने काम पर फोकस करें, किसी के बहकावे में न आएं।
आपने कोई टारगेट भी फिक्स किया है फिल्म इंडस्ट्री को लेकर?
नहीं, मैंने कोई टारगेट फिक्स नहीं किया। बस मुझे काम करते रहना है। अच्छा काम करना और दर्शक मेरे काम को इस तरह से सराहते रहे, यही मेरी कामना है।