अनुराग रंजन सिंह
मुख्य कार्यकारी संपादक , द्वारका परिचय
स्मृति ट्रस्ट और बिहार सरकार के उद्योग विभाग के तत्वाधान में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन द्वारका स्थित होटल रैडिसन में किया गया। देश के विभिन्न प्रदेशों से आए पूंजी निवेशकों और बिहार के उद्योग विभाग की मंत्री डा. रेणु कुमारी समेत उद्योग विभाग के निदेशक विमल नंद झा, वाणिज्य विभाग, बिहार सरकार के उपनिदेशक आर. के. ओझा, भाजपा के दिल्ली प्रदेश के सहप्रभारी रामेश्वर चैरसिया ने संगोष्ठी को सम्बोधित किया। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य बिहार में उद्योगों की वर्तमान स्थिति और भविष्य की नई सम्भावनाओं के निर्माण के सम्बंध में पूंजी निवेशकों और बिहार सरकार के बीच सामन्जस्य स्थापित करना था। इस संगोष्ठी में आम्रपाली ग्रप के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार शर्मा एवं मटियाला विधान सभा क्षेत्र के निगम पार्षद राजेश गहलोत भी मौजूद थे।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए डा. रेणु ने कहा कि बिहार की वर्तमान स्थिति परिवर्तनशील है। इस स्थिति में हम सभी आवश्यक बुनियादी सुविधाओं को और भी ज़्यादा सुचारू बनाने के प्रयास में जुटे हुए हैं। उन्होंने बताया कि निवेशकों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार के उद्योग विभाग ने अपनी नीतियों में कुछ फेर-बदल किए हैं। बिहार में उद्योग स्थापित करने वाले पूंजी निवेशकों को आर्थिक, सामाजिक और कानूनी सहायता देने के लिए हमारी सरकार वचनबद्ध है।
डा. रेणु ने निवेशकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज़ बिहार के विकास की स्थिति बिल्कुल पारदर्शी है। देश के अन्य राज्यों के मुकाबले बिहार में विकास की दर 14 फीसदी अधिक है। उन्होंने बताया कि राज्य में नई औद्योगिक इकाइयों एवं तकनीकी शिक्षण संस्थानों में निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक ‘आओ बिहार’ योजना बनाई गई है। यह योजना निवेशकों को बिहार सरकार और किसानों के द्वारा ज़मीन मुहैया कराने में हो रही कठिनाइयों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इस योजना के मद्देनज़र सरकार का यह प्रयास है कि बिना किसी बिचैलिए के निवेशकों के द्वारा किसानों को ज़मीन का उचित मूल्य प्राप्त हो सके। डा. रेणु ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह कहा कि हम बिहार को सिंगुर या नंदीग्राम नहीं बनाना चाहते हैं।
उद्योग विभाग के निदेशक विमल नंद झा ने बिहार की नवीनतम औद्योगिक नीतियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उत्पादन के पहले स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण की फीस में शतप्रतिशत की छूट दी जा रही है। इतना ही नहीं, किसी भी औद्योगिक इकाई को स्थापित करने के लिए बिहार सरकार निवेशकों को प्रोत्साहन स्वरूप आर्थिक अनुदान भी प्रदान करेगी।
संगोष्ठी के दौरान राजस्थान के टेक्सटाइल व्यापारी रवीन्द्र जाखड़ ने बिहार में निवेशकों के सुरक्षा पर संशय व्यक्त किया। बिहार की भूमि में जन्में खुशी प्रोपार्टीज एण्ड डेवलपर्स प्रा. लि. के प्रबंध निदेशक मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि माननीय मुख्य मंत्री नितीश कुमार जी के कार्यकाल में बिहार का ऐसा विकास हुआ है जो पिछले कई दशकों में संभव नहीं हो सका। बिहार में निवेश करने की इच्छा व्यक्त करते हुए श्री मुकेश जी ने कहा कि अपने जन्म स्थान से भावनात्मक लगाव के कारण वे पटना के आसपास महानगरों के तर्ज पर एक टाउनशीप डेवलप करना चाहते हैं। इस सिलसिले में उन्होंने बिहार सरकार से आग्रह किया कि वह निवेशकों का ध्यान खींचने के लिए एक मास्टर प्लान बनाए जिसमें राज्य के अलग-अलग हिस्सों को श्रेणीगत करे। भूमि अधिग्रहण के मामले में उन्होंने सरकार से यह अनुरोध किया कि सरकार खुद किसानों से ज़मीन एक्वायर कर निवेशकों को मुहैया कराए।
गौरतलब है कि स्मृति ट्रस्ट पिछले कई दशकों से बिहार के विकास और बदलाव को समय-समय पर लोगों के समक्ष उजागर करता आया है। आयोजन समिति के संरक्षक श्री राजेश गहलोत, सतीश स्वामी, चंद्रशेखर राय, के.एम.ठाकुर, रोबिन शर्मा एवं मुकेश सिंह हैं। आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री विष्णु पाठक, चेयरमैन मनोज कुमार झा, उपाध्यक्ष रंजीत मिश्र, महासचिव संतोष झा, विजय चैधरी एवं शुभ नारायण झा है। स्मृति ट्रस्ट के सचिव रंजन ठाकुर एवं गौरव ठाकुर हैं वहीं कानूनी सलाहकार संतोष मिश्र और कोषाध्यक्ष प्रेमबोध झा हैं। ट्रस्ट के सलाहकार समिति में रजनीकांत पाठक,विश्वमोहन झा, अरूण पंजियार, रंजन राय, अशोक सिंह, मस्तराम, शशि तोमर, प्रदीप झा, दिवेश वर्मा, सुशांत सिंह और विनोद सिंघानिया है। उक्त संगोष्ठी में बिहार राज्य के विकास यात्रा से सम्बधित अनेक विषयों पर कई गणमान्य अतिथियों ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए।