सुषमा सांगवान
हमारे पास बोलने को बहुत कुछ होता है हम घंटों बोल सकते हैं, अपने संसार के बारे में अपने पति के बारे में, अपने बच्चों के बारे में, दुनिया के बारे में, अपने ऑफिस के बारे में, अपने आस पास पल रहे माहोल के बारे में, लेकिन जब अपने बारे में बोलना होता है तो अक्सर समझ में नहीं आता कि हम क्या बोले ?
विमेंस डे के उपलक्ष कुछ हमको बयां करती कुछ आपकी शक्शियत का बखान करती एक तस्वीर कुछ शब्दों में बयां करने कि कोशिश कर रही हूँ, उम्मीद करती हु कि अपने आपको इन में देख सकें.
जैसे सूरज कि रौशनी आसमान से उतर कर आँगन में फैल जाती है उसी तरह एक लड़की का वजूद चारों तरफ फैल जाता है वो एक बेटी से पत्नी बनती है, पत्नी से माँ बनती है, वो किसी कि बहन है तो किसी की ननद किसी कि भाभी होती है तो किसी कि बहू, उसे हर किरदार में खरा उतरना होता है और हम ये करने की भरपूर कोशिश करती हैं. हम अपने परिवार कि नीव रखती हैं जिस पर हमारे परिवार की सफलता का घर खड़ा होता है, हमें चाहिए कि हम न केवल अपने आप को मजबूत रखें पर इस बात का भी ख्याल रखें कि हम आस पास की इमारतों की नीवों को भी नुक्सान न पंहुचा रहे हो. क्यूंकि हर घर की औरत अपने घर की नीव है और उस नीव पर किसी न किसी घर की ईमारत खड़ी है.
हर नारी की तरह हम हर रोज़ सूरज से पहले जागते हैं सूरज अगर देर से जागे तो शायद दुनिया चल जायेगी लेकिन हर ग्रहणी देर से उठे तो उसके घर कि दुनिया रुक सी जाती है, रूकती न भी हो तो पीछे ज़रूर रह जाती है क्यूंकि हर गृहणी सुबह अपने घर संसार की गाडी को धक्का लगाती है तभी तो उसका संसार चलना शुरू होता है! भगवान कि पूजा , सुबह का नाश्ता,बच्चों को स्कूल भेजना, पति को ऑफिस भेजना इतना तो हम तब तक कर लेती हैं जब कि कई लोगों का दिन शुरू भी नहीं होता. बड़ों कि सेवा करना बच्चों को संस्कार देना पूरे परिवार कि हर ज़रूरत को पूरा करना यही तो हमारे फ़र्ज़ है और ये ही फ़र्ज़ को हम ता उम्र निभाते हैं , मरते दम तक !! क्यूंकि लोग नौकरी से तो रिटायर हो सकते हैं ज़िन्दगी से नहीं , और हम ज़िन्दगी देते हैं और जीवन निभाते हैं !!
अपने नारीत्व पर अभिमान करें और इस प्रकाश की प्रेरणा हर नारी को दें !