लायन्स क्लब द्वारका तथा “सुख दुःख के साथी” द्वारा ऐश्वर्यम अपार्टमेंट ,सेक्टर-चार, के सभागार में ‘माँ तुझे प्रणाम’ काव्य-संध्या का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अशोक लव ने की. काव्य-संध्या का संचालन कवि प्रेम बिहारी मिश्र ने किया. साहित्यकार डॉ अशोक लव तथा समाज-सेवी श्री मुकेशसिन्हा ने माँ सरस्वती को माल्यार्पण करके दीप प्रज्वलित किया और श्री प्रेम बिहारी मिश्र की सरस्वती-वंदना से काव्य -संध्या का शुभारंभ हुआ.
डॉ अशोक लव, अशोक वर्मा,प्रेम बिहारी मिश्र, सत्यदेव हरियाणवी, विनोद बंसल,कर्नल पी.सी. चौधरी,अशोक वर्मा,अनिल उपाध्याय,वीरेन्द्र कुमार मन्सोत्रा,ध्रुव कुमार गुप्ता,कुलविंदर सिंह कांग, धीरज चौहान और डॉ प्रसंनान्शु ने कविता-पाठ किया. डॉअशोक लव ने ‘ अम्मा की चिट्ठी’, ‘एक चेहरा’ और’नव आगमन’ आदि कविताएँ सुनाईं. ’अम्मा की चिट्ठी’ कविता की इन पंक्तियों “आंसू टपक गया तब होगा, लिखना बंद कर दिया होगा “ने श्रोताओं भावुक कर दिया.अशोक वर्मा की रेशा-रेशा टूटती है माँ सुबह से शाम तक आदि ग़ज़लों ने खूब रंग जमाया.प्रेम बिहारी मिश्र की कविता ‘जब होती है माँ’ का स्वागत श्रोताओं ने तालियों से किया. सत्यदेव हरयाणवी की ‘रिटायरमेंट’ कविता ने खूब हँसाया. कुलविंदर सिंह कांग और विनोद बंसल की व्यंग्य-कविताएँ खूब सराही गईं. अनिल उपाध्याय की कविता ‘मैं तेरी आँख का आँसू था ‘ और धीरज चौहान की ग़ज़ल के इस शेर “पहले कुछ अपनों से लड़ना पड़ता है/ फिर शोहरत की सीधी चढ़ना पड़ता है ‘ पर खूब तालियाँ बजीं. कवि वीरेन्द्र के पंजाबी गीत ‘ माँ नाल वड्डा रिश्ता नईं देख्या’ भावपूर्ण थी. ध्रुव कुमार गुप्ता के नेताओं पर कटाक्षों ने रंग जमा दिया.
अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ अशोक लव ने कहा कि कविता मानवीय संवेदनाओं को जीवंत रखती है. माँ पर लिखी कविताएँ दर्शाती हैं कि आज भी हम इन मूल्यों को जी रहे हैं.इसी प्रकार की मानवीय भावनाओं से पूर्ण कविताओं का सृजन जारी रहना चाहिए, श्री प्रेम बिहारी मिश्र ने ‘सुख-दुःख के साथी’ संस्था के माध्यम से द्वारका के इच्छुक कवियों को संगठित करने और उन्हें समुचित मंच प्रदान करने का प्रयास करने की अति प्रशंनीय शुरूआत की है. श्री प्रेम बिहारी मिश्र ने कवियों और श्रोताओं का आभार प्रकट किया.